लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम से लोगों को हो रहा ये बड़ा नुकसान, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

कोरोना के चक्कर में स्कूल तो खुले नहीं हैं. पर ऑनलाइन क्लासेज़ ज़रूर हो रही हैं. नर्सरी के बच्चों की घंटों ऑनलाइन क्लासेज़ चल रही हैं. इसके लिए उन्हें घंटों कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर आंखें गड़ाए बैठे रहना पड़ता है.

अब खुद ही सोचिए, अपन लोग जब कुछ देर लगातार मोबाइल की स्क्रीन या कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करते हैं तो क्या होता है. आंखों पर ज़ोर पड़ता है. सिर दर्द शुरू हो जाता है.स्टडी में पता चला है कि लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम के कारण चार गुना ज़्यादा एक्सपोज़र शुरू हो गया है डिजिटल वस्तुओं का. जैसे मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप वगैरह.

इस अध्ययन के अनुसार कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से आपकी लाइफस्टाइल में आए बड़े बदलाव का आपकी नींद की गुणवत्ता पर बहुत ही गहरा असर पड़ा है. इस रिसर्च में शामिल प्रतिभागियों की नींद की क्षमता, सोने के समय में कमी, नींद की गुणवत्ता और दिन की नींद में विपरीत बदलाव देखा गया. इस शोध में 18-65 साल की आयु के बीच के 121 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया था. उनकी नींद की आदतों पर क्वारंटाइन के पहले और फिर बाद के 40 दिन तक नजर रखी गई थी. फिर इसका डेटा एकत्रित करने के बाद, पिट्सबर्ग स्लीप क्वालिटी इंडेक्स (पीएसक्यूआई) का इस्तेमाल करके उनकी नींद की गुणवत्ता को जांचा गया और उनके बीएमआई को भी नोट किया गया.

 

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