लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ आया चर्च, कहा- ‘खतरे में लोकतंत्र’

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले धार्मिक संस्थाओं ने गोलबंदी शुरू कर दी है. दिल्ली के कैथोलिक चर्च के मुख्य पादरी अनिल कोटो ने देशभर के अन्य पादरियों को पत्र लिख कर कहा है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है, जिसका बचना बेहद जरूरी है. पादरी ने पत्र में किसी पार्टी या सरकार का जिक्र तो नहीं किया है लेकिन यह साफ है कि उनका निशाना केंद्र की मोदी सरकार पर है.

अनिल कोटो ने कहा, ”हमलोग अशांत राजनीतिक माहौल का गवाह बन रहे हैं. इसके कारण संविधान के लोकतांत्रिक मूल्यों और देश के धर्मनिरपेक्षता को खतरा है.” उन्होंने कहा कि देश और नेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी पवित्र परंपरा है. आम चुनाव नजदीक होने के कारण और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. कोटो ने कहा, ”हमलोग साल 2019 की ओर बढ़ रहे हैं. इसी साल हमें नई सरकार मिलेगी. ऐसे में हमें 13 मई से अपने देश के लिए प्रार्थना अभियान शुरू करना चाहिए.”

आपको बता दें कि चर्च पर हुए हमलों और कथित धर्म परिवर्तन के नाम पर हुई हिंसा को लेकर ईसाई समुदाय केंद्र की मोदी सरकार और आरएसएस को आड़े हाथों लेते रही है.

आरएसएस ने कहा- धर्मांतरण उद्योग बंद होने से है घबराहट

पादरी के पत्र पर बीजेपी और आरएसएस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. बीजेपी नेता शायना एनसी ने कहा कि बहुत ही खराब संदेश है. एक कौम के लोग धर्मनिरपेक्ष देश में किसी पार्टी के खिलाफ वोट देने के लिए कह रहे हैं. वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने कहा कि धर्मांतरण उद्योग पर डंडा चलने से वह घबराए हुए हैं.

उन्होंने कहा, ”पत्र भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है. यह सब बेटिकन के निर्देश पर हो रहा है. दरअसल मोदी सरकार बनने के बाद इन्हें मिलने वाले पैसे में भारी गिरावट आई है. 17 हजार 773 करोड़ से घटकर यह राशि 6 हजार 795 करोड़ रह गई है. यह पैसा ईसाई संगठनों को कई कामों के लिए मिलता था. लेकिन इससे केवल और केवल धर्मांतरण उद्योग चलता था.”

 

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