लोकसभा में हंगामे के बाद बोलीं सुषमा- कांग्रेस ने आज ओछी राजनीति की हदें पार की

नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में इराक में बंधक बनाए गए भारतीयों की मौत की पुष्टि की जानकारी दी. इसके बाद वो लोकसभा में भी भारतीयों की मौत के बारे में बयान देने पहुंचीं. जहां कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा किया, जिसके कारण सुषमा स्वराज यहां अपना बयान पूरा किए बिना ही बैठ गईं. इसके बाद शाम में सुषमा मीडिया से रूबरू हुईं और उन्होंने इस दौरान लोकसभा में बयान के दौरान हंगामे पर कांग्रेस की आलोचना की.

सुषमा स्वराज ने कहा कि वो लोकसभा में बयान देना चाहती थीं, लेकिन कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही को बाधित किया. सुषमा ने बताया, ‘वेंकैया नायडू ने मुझे कहा कि सभी दलों से बात हो गई है, आप राज्यसभा में आकर अपना बयान दें. राज्यसभा में सभी ने मेरी बात ध्यान से सुनी. इसलिए मुझे लगा कि लोकसभा में भी ऐसा होगा और मैंने लोकसभा स्पीकर से शांतिपूर्वक बयान करवाने की अपील की.’

उन्होंने बताया कि सदन में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य की मांग को लेकर हंगामा कर रहे सदस्यों ने बयान के दौरान खामोश रहने का आश्वासन दिया. सुषमा ने कहा उनके बयान के दौरान विरोध कर रहे सदस्य शांत रहे, लेकिन आज कांग्रेस ने हंगामे का नेतृत्व किया.

सुषमा स्वराज ने आरोप लगाया कि राज्यसभा में इस संवेदनशील मसले पर शांति के बयान होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा की कार्यवाही बाधित करने की जिम्मेदारी दी. सुषमा स्वराज ने दावा किया कि लोकसभा स्पीकर ने उन्हें बार-बार बैठने के लिए भी कहा. विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि कांग्रेस हंगामे के दौरान एक दिन भी खड़ी नहीं हुई, लेकिन जब मैं एक संवेदनशील मसले पर आज लोकसभा में बयान देनी लगीं तो वो खड़े हो गए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आज ओछी राजनीति की सारी हदें पार कर दीं.

सुषमा ने आगे कहा, ‘एक ही कारण मेरी समझ में आता है कि राज्यसभा की कार्यवाही देखने के बाद उनके अध्यक्ष को लगा कि ये क्या हो गया. सरकार के प्रयास सामने आ गए. इसलिए उन्होंने जानबूझकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को ये बीड़ा दिया कि आप लोकसभा की कार्यवाही न चलने दें. जितने भारी मन से मैं लोकसभा गई थीं, उससे भी भारी मन से वहां से लौटीं. उन्होंने सवाल किया कि क्या मौत पर भी हम राजनीति करेंगे?

सुषमा ने कहा कि इस विषय पर हमेशा विस्तृत चर्चा के साथ सवाल पूछे जाते थे. लेकिन जब आज मैं पूरा जवाब देने आई तो उन्होंने कार्यवाही को बाधित किया.

घटना के बार में उन्होंने कहा कि ये घटना जून 2014 की है और अब मार्च 2018 हो गया. इस बीच उन्हें ढूंढने के लिए सरकार ने हर संभव प्रयास किया. जिन देशों से इन लोगों को ढूंढने में मदद मिल सकती थी, उन देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत में प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को उठाया. यहां तक कि तुर्की में तो मैं स्वयं गई.

 

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