वाजपेयी के निधन पर बोलीं महबूबा, ‘वो पहले पीएम थे जिन्होंने हमारी वेदना को समझा’

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 93 वर्ष की उम्र में गुरुवार की शाम निधन हो गया. वह एक कुशल राजनेता, कवि, प्रखर वक्ता और पत्रकार के रूप में राजनेताओं और जनता के बीच लोकप्रिय रहे. जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उनके निधन पर शोक जताया. उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी का निधन केवल देश के लिए नहीं, बल्कि जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए बड़ी क्षति है. महबूबा ने कहा कि वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने हमारी वेदना को समझने का प्रयास किया.

वाजपेयी ने खुद को कश्मीर के लोगों का प्रिय बनाया
इंसानियत’, जम्हूरियत और ‘कश्मीरियत’ के मंत्र के साथ, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद को कश्मीर के लोगों का प्रिय बनाया जिन्होंने अंतत: एक ऐसे नेता को देखा जो राजनीतिक नफे नुकसान से ऊपर उठकर संघर्षरत घाटी की जटिल समस्याओं का समाधान करने के इच्छुक थे. कश्मीरी लोग वाजपेयी को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद करते है जिन्होंने पाकिस्तान की तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाया और अप्रैल 2003 में यहां अपने ऐतिहासिक भाषण में अलगाववादियों से बातचीत की पेशकश की. देश के एक प्रधानमंत्री द्वारा इस तरह का पहला कोई कदम उठाया गया था जिसमें वाजपेयी ने कहा, “हम फिर से एक बार मित्रता का हाथ बढ़ा रहे हैं लेकिन हाथ दोनों ओर से बढ़ने चाहिए.”

 

 

इसके कुछ दिनों बाद वाजपेयी ने लोकसभा में अपने श्रीनगर में दिए गए भाषण के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “यदि हम इंसानियत (मानवता), जम्हूरियत (लोकतंत्र) और कश्मीरियत (कश्मीरी मूल्यों) के तीन सिद्धांतों का पालन करते हुए आगे बढ़ते है तो मुद्दों का समाधान किया जा सकता है.”

पाकिस्तान के साथ मित्रतापूर्ण संबंध के किए प्रयास  
वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाने के भरसक प्रयास किए. उन्होंने 1999 में दिल्ली-लाहौर बस से पड़ोसी देश की यात्रा की. हालांकि उस वर्ष के अंत में करगिल घुसपैठ ने इन प्रयासों पर पानी फेर दिया. पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर ने कहा कि वाजपेयी कश्मीर और कश्मीर के बारे में एक संदर्भ बिंदु बन गए थे. माकपा नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी ने कहा कि वाजपेयी ने महत्वपूर्ण पहल करके कश्मीर के लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया था. तारिगामी ने कहा,‘‘पाकिस्तान समेत हितधारकों के साथ वार्ता की शुरूआत सार्थक कदम थे.”

 

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