विशाखापट्टनम: आखिर पता चल गया कि केमिकल प्‍लांट में जहरीली गैस कैसे लीक हुई!

विशाखापट्टनम। जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रारंभिक जांच के हवाले से बताया कि फैक्टरी के दो टैंकों में रखे स्टाइरीन गैस से जुड़ी प्रशीतन प्रणाली में तकनीकी खराबी आने के कारण उसमें गैस बना और वह लीक हो गई. बृहस्पतिवार तड़के हुई इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं. जिलाधिकारी वी. विनय चंद ने बताया कि एलजी पॉलीमर्स लिमिटेड से हुई गैस लीक इतनी ज्यादा थी कि ‘‘हमें सुबह करीब साढ़े नौ बजे समझ आया कि आखिरकार हुआ क्या है, क्योंकि उस वक्त क्षेत्र में लीक के कारण छाया घना कोहरा छंटा.’’

फैक्‍टरीज विभाग की ओर से प्राप्त प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने कहा, ‘‘स्टाइरीन एकलक सामान्य तौर पर तरल रूप में रहता है और उसके भंडारण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के नीचे रहने पर वह सुरक्षित रहता है. लेकिन प्रशीतन (रेफ्रीजेरेशन) इकाई में गड़बड़ी के कारण यह रसायन गैस में बदल गया.’’ उन्होने यहां संवाददाताओं को बताया कि तकनीकी खामी के कारण टैंक में रखे गए रसायन का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और वह गैस में बदलकर लीक हो गया.

कारखाने में बनते हैं एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के बर्तन
विशाखापट्टनम में जानलेवा स्टिरीन गैस का रिसाव जिस एलजी पॉलिमर इंडिया के कारखाने से हुआ वह दक्षिण कोरिया की रसायन कंपनी एलजी केम की अनुषंगी कंपनी है. एलजी केम ने एक स्थानीय कंपनी का अधिग्रहण कर 1997 में भारत में इस क्षेत्र में कारोबार शुरू किया था.

कंपनी के इस वाइजैग संयंत्र में पॉलीस्टिरीन (पीएस) का विनिर्माण किया जाता है, जिसका खानपान सेवा उद्योग में काफी इस्तेमाल होता है. इस रसायन का इस्तेमाल प्लास्टिक के एकबारगी इस्तेमाल वाले ट्रे और कंटेनर, बर्तन, फोम्ड कप, प्लेट और कटोरे आदि बनाने में होता है. इन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है.

जानकार सूत्रों के अनुसार एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की विशाखापट्टनम फैक्‍टरी को लॉकडाउन के बाद फिर से खोलने के लिये तैयार किया जा रहा था, तभी यह दुर्घटना हुई. कंपनी के कर्मचारी परिचालन को फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहे थे, तभी शुरुआती घंटों में गैस का रिसाव होने लगा.

कहा जा रहा है कि जब रिसाव हुआ तब भंडारण टेंक में 1,800 टन स्टिरीन गैस थी. ठहराव और तापमान में बदलाव के कारण, स्टिरीन का स्वत: पॉलीमराइजेशन हो सकता है, जिसके कारण वाष्पीकरण हो सकता है.

कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना श्रीराम ग्रुप के द्वारा 1961 में विशाखापत्तनम में पॉलीस्टिरीन और इसके सह-पॉलिमर निर्माण के लिये ‘हिंदुस्तान पॉलिमर’ के रूप में की गई थी. बाद में 1978 में यूबी ग्रुप के मैकडॉवेल एंड कंपनी लिमिटेड के साथ इसका विलय हो गया.

एलजी केम ने आक्रामक वैश्विक वृद्धि की योजनाओं के तहत भारत को महत्वपूर्ण बाजार मानते हुए जुलाई 1997 में हिंदुस्तान पॉलिमर का अधिग्रहण किया और जुलाई 1997 में इसका नाम बदलकर एलजी पॉलिमर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एलजीपीआई) कर दिया.

कारखाने को पिछले साल 222.8 अरब वॉन (18.18 करोड़ डॉलर) का राजस्व और 6.3 अरब वॉन का शुद्ध लाभ हुआ था. बिक्री के मामले में, मूल कंपनी एलजी केम 2017 में दुनिया की 10 वीं सबसे बड़ी रासायनिक कंपनी थी.

स्टिरीन गैस एक ज्वलनशील तरल है, जिसका उपयोग पॉलीस्टिरीन प्लास्टिक, फाइबरग्लास, रबर और लेटेक्स बनाने के लिये किया जाता है.

विशाखापट्टनम कारखाने में दुर्घटना ने उद्योग में रसायनों के अनुचित रखरखाव पर सवाल खड़े कर दिये हैं और दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की याद दिला दी है.

 

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