वीके सिंह की कुत्ता टिप्पणी: पासवान नाराज, बना चुनावी मुद्दा

Paswanतहलका एक्सप्रेस

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीतीश की अगुआई में सामाजिक आधार पर बने बेहद मजबूत महागठबंधन को चुनौती देने में लगी है तो दूसरी तरफ पार्टी नेता हर दिन शर्मिंदा करने वाले बयान देने में लगे हैं। संगीत सोम, महेश शर्मा, खट्टर और अब केंद्रीय मंत्री वीके सिंह इस फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं। हरियाणा में दलित परिवार के मासूम बच्चों को पेट्रोल छिड़क जिंदा जलाने के मामले में सिंह का असंवेदनशील बयान बिहार में दलित बहुल इलाकों में एनडीए पर भारी पड़ सकता है। सिंह के बयान पर न केवल विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आपत्ति जतायी है बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी चीफ और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ऐसे बयान से परहेज करने को कहा है।

हरियाणा में दो दलित बच्चों को जिंदा जलाने पर सिंह ने गुरुवार को कहा था कि सरकार इन हत्याओं की जिम्मेदारी नहीं ले सकती। इसके बाद उन्होंने अपने बयान में यह बात भी जोड़ी थी कि यदि कोई कुत्ते पर पत्थर फेंकता है तो यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

विपक्ष ने इस बयान पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। पासवान का कद बिहार में बड़े दलित नेता का है। उन्होंने सिंह के बयान पर कहा कि बातचीत का स्तर इतना नीचे नहीं आना चाहिए। किसी भी मुद्दे पर इस कदर बयान नहीं दिया जा सकता। पासवान ने कहा, ‘मैंने उनका बयान नहीं देखा है। यदि कोई किसी भी तरह से समाज को बांटने का काम करता है तो मैं पूरी तरह से खिलाफ हूं। मेरा मानना है कि ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। इस तरह की बयानबाजी ठीक नहीं है।’

बुधवार को पासवान ने इस घटना के लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। हरियाणा में फरीदाबाद जिले के सोनपेड़ गांव में अपर कास्ट के लोगों पर दो दलितों बच्चों को जिंदा जलाने का आरोप है। पासवान ने कहा था कि इस वारदात की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने कहा था कि यह कानून-व्यवस्था का मामला है। लालू और नीतीश ने सिंह के बयान की ट्विटर पर कड़ी निंदा की है।

लालू ने ट्वीट कर कहा, ‘जो वीके सिंह ने बोला वही बीजेपी का मूल विचार है। जो दलित-पिछड़ा को जितना अधिक गाली देगा, शोषण करेगा उसको संघ और बीजेपी उतना ही बड़ा नेता मानता है।’ जेडीयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा, ‘हमलोग स्तब्ध हैं कि ऐसे लोगों को मोदी ने मंत्री बना रखा है। वीके सिंह अक्सर गैरजिम्मेदार और असंवेदनशील बयान देते हैं। हमलोग को चुनावी मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है बल्कि बीजेपी खुद बनवा रही है।’

बिहार में बीजेपी को पारंपरिक रूप से अगड़ी जातियों का समर्थन मिलता है। लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने दलितों और ओबीसी को भी पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के जरिए साधने की कोशिश की है। इस साल अगस्त में एनडीए ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के दलित नेता रामनाथ कोविंद को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया था। बीजेपी बिहार में नीतीश के महादलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में लगी है।

 

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