शपथ ग्रहण का दिन, समय, स्थान सब तय, लेकिन यूपी के सीएम के नाम को लेकर इतना सस्पेंस क्यों?

नई दिल्ली। देश की राजनीति में अभी का सबसे बड़ा सवाल यही है कि कौन बनेगा यूपी का मुख्यमंत्री. यूपी में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के फौरन बाद शुरू हुई अटकलों पर अभी तक विराम नहीं लगा है और शायद अभी लगेगी भी नहीं. ये सत्ता और सियासत की रेस है, जहां पल में बाजियां पलटती हैं, घटनाक्रम बदलते हैं और नाम आते-जाते रहते हैं. यूपी का सीएम कौन होगा, इसका सही जवाब सिर्फ दो लोगों के पास है- वे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह.

गोवा और मणिपुर में सरकार बना लेने के बाद,बीजेपी ने उत्तराखंड का मुख्यमंत्री भी तय कर लिया है. RSS के प्रचारक रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को शपथ लेंगे. लेकिन बीजेपी के सबसे बड़े चुनावी दुर्ग का नेता तय होना बाक़ी है. शनिवार शाम चार बजे विधायक दल की बैठक के बाद बीजेपी यूपी के अगले मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान करेगी. यानी उत्तराखंड में जब शपथ ग्रहण समारोह चल रहा होगा, उसी समय यूपी में नेता चुना जा रहा होगा.

बीजेपी के विधायक दल की बैठक लोक भवन में होगी. केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव मुख्यमंत्री निर्वाचित करने के लिए बैठक में मौजूद होंगे. और फिर रविवार शाम 5 बजे उत्तर प्रदेश को मिलेगा उसका नया मुख्यमंत्री और नई सरकार. राज्यपाल राम नाइक ने लखनऊ में बयान जारी कर कहा है कि यूपी के नए मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के सहयोगियों के साथ 19 मार्च को शाम 5 बजे कांशीराम स्मृति उपवन में शपथ लेंगे. मीडिया में कई नाम चर्चा में हैं, लेकिन औपचारिक ऐलान लखनऊ में शनिवार शाम विधायक दल की बैठक में ही होगा.

राजनाथ सिंह से लेकर मनोज सिन्हा तक कई नाम सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारे में घूम रहे हैं. वैसे तो मनोज सिन्हा रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं लेकिन वो खुद किसी भी रेस में होने से इनकार कर रहे हैं. यूपी बीजेपी के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि अगर अभी नाम का खुलासा कर देंगे तो फिर शनिवार को होने वाली विधायक दल की बैठक का क्या मतलब रह जाएगा. मीडिया में कयास लगते रहे लेकिन बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं हुआ. दिल्ली में भी बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठकें चलती रहीं. शुक्रवार देर रात पार्टी के उपाध्यक्ष दिनेश शर्मा को दिल्ली बुलाया गया, लेकिन दिनेश शर्मा इसे सामान्य बात मान कर टाल गए. दिनेश शर्मा बोले, मैं उपाध्यक्ष हूं पार्टी का, दिल्ली आता रहता हूं.

यहां याद रखना चाहिए कि पिछले साल आनंदीबेन पटेल जब गुजरात सीएम के पद से हटी थीं तो उसके बाद नितिन पटेल का नाम तय माना जा रहा था. यहां तक कि उन्होंने ख़ुद मीडिया से मुख्यमंत्री के तौर पर शुभकामनाएं भी स्वीकार कर ली थीं लेकिन विधायक दल की बैठक में विजय रूपानी का नाम प्रस्तावित किया गया और वो सीएम बन गए. कोई बड़ी बात नहीं कि शनिवार को यूपी में भी ऐसा ही कुछ होता नज़र आए.

 

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