शपथ लेने से पहले ही कुमारस्वामी को नजर आईं गठबंधन सरकार की चुनौतियां

बेंगलुरु। जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी 23 मई, बुधवार को कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. नई सरकार में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन में 12:22 के फार्मूले पर समझौता हुआ है. उनके मंत्रिमंडल में 34 मंत्री होंगे, जिनमें 12 जेडीएस के और 22 कांग्रेस पार्टी के. 24 मई को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा, जिसमें उन्हें बहुमत साबित करके दिखाना है. जेडीएस कर्नाटक का सबसे छोटा दल होने के बाद भी कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने जा रहा है, लेकिन सरकार गठन से पहले की कुमारस्वामी को गठबंधन की चुनौतियां नजर आने लगी हैं. यहां तक कि सरकार द्वारा 5 साल पूरा करने पर भी संशय नजर आ रहा है.

कुमारस्वामी ने शपथ लेने से ठीक एक दिन पहले स्वीकार किया कि अगले पांच साल जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार चलाना उनके लिए बड़ी चुनौती रहेगी. उन्होंने कहा, ‘मेरी जिंदगी की यह बड़ी चुनौती है. मैं यह अपेक्षा नहीं कर रहा कि मैं आसानी से मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर पाऊंगा.’

आदि शंकराचार्य द्वारा पहला मठ स्थापित करने वाले स्थल श्रृंगेरी पहुंचे कुमारस्वामी ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि देवी शारदाम्बे और जगदगुरू की कृपा से चीजें सुचारू रूप से चलेंगी. उन्होंने कहा, ‘केवल मुझे नहीं, लोगों को भी संदेह है, राज्य के लोगों को भी संदेह है कि यह सरकार सुचारू ढंग से काम कर पाएगी या नहीं. लेकिन मुझे भरोसा है कि शारदाम्बे और श्रृंगेरी जगदगुरू (शंकराचार्य) की कृपा से सबकुछ सुचारू रूप से होगा.’

क्या है पेंच
बता दें कि बीजेपी समेत तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने इन गठबधंन के लंबा चलने पर सवालिया निशान खड़े किए हैं. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि कांग्रेस का इतिहास है कि उसने कभी भी किसी भी दल के साथ गठबंधन का समय पूरा नहीं किया है. ऐसा केंद्र और राज्यों में कई बार हो चुका है. बीजेपी ने भी इस गठबंधन को जनादेश के खिलाफ बताया है.

इसके अलावा कांग्रेस और जेडीएस में इससे पहले 36 का आंकड़ा रहा है. इन चुनावों में भी जेडीएस और कांग्रेस ने एकदूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा और चुनाव प्रचार के दौरान एकदूसरे पर खूब आरोप लगाए. यहां तक कि गठबंधन की घोषणा होने पर कई कांग्रेसी विधायक पार्टी आलाकमान से नाराज भी चल रहे हैं. इसके अलावा एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है. इस चुनाव में 18 कांग्रेस के लिंगायत विधायक जीतकर आए हैं. इससे साफ है कि यह फैक्टर आगे चलकर गठबंधन में दरार जरूर डालेगा.

डीके शिवकुमार ने बताया कड़वा घूंट
वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि कर्नाटक में धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने के वास्ते जदएस से हाथ मिलाने के लिए उन्हें कड़वा घूंट पीना पड़ा. शिवकुमार ने कहा कि 1985 से ही वह गौड़ा परिवार के खिलाफ लड़ते आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं संसदीय चुनाव में सीनियर गौड़ा से हार गया था. उनके बेटे और बहु के खिलाफ चुनाव जीता. खूब राजनीति हुई. ढेर सारे मामलों से मैं दोचार हुआ लेकिन पार्टी और राष्ट्र के हित में हमें यहां धर्मनिरपेक्ष सरकार लाना है. यह राहुल गांधी का फैसला था.’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमने यह रुख अपनाया और मुझे कड़वा घूंट पीना पड़ा. यह मेरा कर्तव्य था.’

 

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