शास्त्री को श्रद्धांजलि देने नहीं गए मोदी, कांग्रेस और परिवार ने जताया ऐतराज

modi31तहलका एक्सप्रेस

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजलि पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शास्त्री की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी है जिस पर कांग्रेस और शास्त्री के परिजनों ने ऐतराज जताया है।

मोदी सरकार ने यह नीति बना रखी है कि किसी अन्य पार्टी के नेता के जन्मदिन या पुण्यतिथि पर सरकार कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं करेगी। संभवतया इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की समाधि पर तो गए लेकिन शास्त्री की समाधि पर नहीं गए।

यह बात शास्त्री के परिजनों और कांग्रेस दोनों को नागवार गुजरी है। कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने लिखा, ‘”जय जवान जय किसान” का मान बढ़ाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री शास्त्री जी को नमन करने नहीं गये मोदी। तंग सोच और ओछी मानसिकता।’

शास्त्री के परिजनों ने कहा कि 50 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई प्रधानमंत्री शास्त्रीजी की समाधि पर नहीं गया, जो दुखद है। लाल बहादुर शास्त्री के पोते विभाकर शास्त्री ने कहा, ‘पीएम ने अपने भाषण में जय जवान जय किसान का प्रयोग किया लेकिन लाल बहादुर शास्त्री जी की समाधि पर नहीं गए।’

शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि पीएम मोदी शास्त्री जी की समाधि पर क्यों नहीं गए लेकिन यह पहली बार है जब कोई पीएम वहां नहीं गया।’

वैसे, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर शास्त्री को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने एक फोटो ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर मेरा प्रणाम।’ लेकिन यह एक पुराना फोटो है। यह फोटो मोदी की ताशकंद यात्रा का है। वैसे, अपने ट्वीट में पीएम मोदी ने कहीं नहीं लिखा है कि यह पुराना फोटो है।

इससे पहले इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर भी मोदी पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि ‘शक्ति स्थल’ पर नहीं गए थे। हालांकि इंदिरा की पुण्यतिथि 31 अक्टूबर को सरकार ने देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की याद में ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ घोषित किया था। सत्ता संभालने के बाद सरकार ने पिछले साल यह फैसला किया था कि केवल महात्मा गांधी की जंयती और पुण्यतिथि पर ही सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अन्य बड़े नेताओं से जुड़े सालाना कार्यक्रमों का आयोजन उनसे संबंधित ट्रस्ट, राजनीतिक दल, सोसायटी या समर्थक कर सकते हैं। इसके साथ ही सरकार ने यह भी तय किया था कि सरकारी इमारतों को नेताओं के नाम पर मेमॉरियल में नहीं बदला जाएगा।

 

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