शिवराज हुए CBI जांच को तैयार

vyapam_1तहलका एक्सप्रेस ब्यूरो, नई दिल्ली/भोपाल/उज्जैन। मध्यप्रदेश के व्यापमं (व्‍यासवायिक परीक्षा मंडल) घोटाले से जुड़ीं स्टूडेंट नम्रता डामोर केस की फाइल दोबारा खोलने के 24 घंटे के भीतर ही उज्जैन पुलिस ने बंद कर दी है।  19 साल की नम्रता डामोर झाबुआ की रहने वालीं थीं। जनवरी 2012 में उनकी लाश उज्जैन के पास रेलवे ट्रैक पर मिली थी। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने शक जताया था कि नम्रता की मौत से पहले उनके साथ रेप की कोशिश की गई होगी।
मंगलवार को ही हुई थी फिर जांच किए जाने की घोषणा
बता दें कि उज्जैन के एस.पी. मनोहर सिंह वर्मा ने मंगलवार को ही घोषणा की थी नम्रता डामोर की मौत की फिर से जांच की जाएगी। इसके लिए डामोर की मौत से जुड़ी फाइल फिर से खोली जा रही है। लेकिन इसके 24 घंटे के अंदर ही पुलिस ने कहा कि नम्रता की पोस्टमॉटर्म रिपोर्ट में कुछ भी ऐसा नहीं पाया गया जिस पर शक की गुंजाइश हो और इसीलिए फाइल अब बंद की जा रही है। पुलिस ने 2012 में सबसे पहले हत्या के एंगल से जांच की लेकिन बाद में फाइल बंद कर दी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह आशंका भी जताई गई थी कि नम्रता के साथ पहले रेप की कोशिश की गई और बाद में उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई होगी।
अनामिका के पति, ससुर अरेस्‍ट
व्यापमं के जरिए ही पुलिस में भर्ती हुई ट्रेनी सब इंस्पेक्टर अनामिका कुशवाह की मौत के मामले में पुलिस ने बुधवार को उनके पति और ससुर को गिरफ्तार कर लिया है। अनामिका ने पिछले दिनों सागर स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर के करीब एक तालाब में कूदकर खुदकुशी कर ली थी। पुलिस का कहना है कि उनकी पति और ससुर से अनबन रहती थी। उधर, कांग्रेस ने दिल्ली में व्यापमं मामले में एमपी के सीएम शिवराज सिंह से इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। कांग्रेस मांग कर रही है कि सीबीआई जांच बाद में होगी पहले चौहान इस्तीफा दें। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने मध्‍यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बेदाग बताते हुए उनका ‘अभिनंदन’ करने की बात कही है। राज्‍य भाजपा के दफ्तर में मीडिया से बातचीत में जाजू ने व्यापमं मुद्दे पर कहा कि इस मामले की जांच मुख्यमंत्री चौहान ने ही शुरू कराई थी। अब उन्‍होंने सीबीआई जांच की भी सिफारिश कर दी है। शिवराज बेदाग हैं, इसलिए उनके फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। जाजू ने यह भी कहा कि मीडिया ने एक नॉन इश्यू को इश्यू बनाया है।
अगर हाईकोर्ट सीबीआई जांच को मंजूरी दे देती है तो सीएम के पूर्व पीए प्रेमचंद प्रसाद और व्यापमं के पूर्व कंट्रोलर सुधीर भदौरिया के खिलाफ नए सिरे से जांच शुरू हो सकती है। इस बीच, सीबीआई जांच को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तीन व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी, डॉ. आनंद राय और प्रशांत पांडेय की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करने वाला है। व्यापमं घोटाले में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान सीबीआई जांच कराने पर तब राजी हुए, जब उन्हें दिल्ली से बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह का फोन आया। सूत्रों ने यह खुलासा किया है। बता दें कि सीएम ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह एलान किया था कि इस केस की जांच सीबीआई से कराने के लिए वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से गुजारिश करेंगे। एलान के ढाई घंटे के अंदर ही चौहान ने हाईकोर्ट को लेटर भी लिख दिया। यह लेटर सरकारी प्लेन से जबलपुर स्थित हाईकोर्ट तक पहुंचा दिया गया। अब तक इस केस में एसटीएफ ने जांच की है। इसकी मॉनिटरिंग हाईकोर्ट की ओर से बनाई गई एसआईटी ने की है।
शिवराज को कब आया अमित शाह का फोन?
व्यापमं घोटाले को लेकर चौहान पर सीबीआई जांच के लिए दबाव बढ़ता ही जा रहा था। वे अपने भरोसेमंद मंत्रियों और अफसरों के साथ सोमवार रातभर बातचीत कर चुके थे, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे। इस बीच, मंगलवार सुबह यह खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट ने एमपी के राज्यपाल रामनरेश यादव को हटाने के लिए दायर याचिका के साथ व्यापमं से जुड़ी अन्य सभी याचिकाओं को क्लब कर लिया है। इन पर 9 जुलाई को सुनवाई है। सूत्रों के मुताबिक, इसी के बाद दिल्ली से अमित शाह का फोन आया। शाह और चौहान के बीच बमुश्किल पांच मिनट हुई। कुछ ही घंटे बाद चौहान ने सीबीआई जांच की मांग को मान लिया। जबकि सोमवार तक वे इस मांग को लगातार खारिज कर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह से भी बातचीत के बाद चौहान ने एडवोकेट जनरल रवीश चंद्र अग्रवाल और एडिशनल एडवोकेटट जनरल पुष्पेंद्र कौरव को सीएम हाउस बुलाया। उनसे बात करने के बाद सीएम मंत्रालय आ गए। दूसरी ओर, स्टेट प्लेन से अग्रवाल और कौरव राज्य सरकार की अर्जी हाईकोर्ट तक पहुंचाने के लिए जबलपुर चले गए। सीएम ने जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले की चर्चा सुबह 11 बजे हुई कैबिनेट बैठक में भी नहीं की। बैठक के बाद कुछ मंत्री पीछे-पीछे सीएम के चैंबर तक गए, लेकिन शिवराज ने उन्हें कुछ भी नहीं बताया। कुछ दिनों पहले यूनियन होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने व्यापमं घोटाले की सीबीआई जांच से इनकार कर दिया था, लेकिन सूत्रों के मुताबिक अमित शाह और राजनाथ को इस बात की आशंका थी कि संसद के मानसून सत्र पर इस घोटाले का साया पड़ सकता है। दरअसल, शाह और राजनाथ के साथ ही बीजेपी हाईकमान विपक्ष को ताकतवर होने का कोई मौका नहीं देना चाहता था। एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि ललित मोदी मामले में बीजेपी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया का बचाव इसलिए किया क्योंकि इन दोनों के खिलाफ लगे आरोप अलग थे। दोनों के खिलाफ क्रिमिनल केस भी नहीं थे। लेकिन व्यापमं मामले में लगातार होती मौतों ने बीजेपी की सेंट्रल लीडरशिप को चिंता में डाल दिया था। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि व्यापमं घोटाले से जुड़े सभी मामलों की एक साथ सुनवाई 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में है। इसे लेकर राज्य सरकार को डर था कि यदि सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा आदेश दे देता है हालात सरकार के हाथ से बाहर हो जाएंगे। यदि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर राज्य सरकार को जांच सीबीआई को सौंपने पर मजबूर होना पड़ा तो इससे पार्टी की किरकिरी भी होगी। इसीलिए पहले ही सीबीआई जांच की पहल कर दी गई। हालांकि, गलियारों की यह चर्चा भी पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित दिख रही है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए कैलाश विजयवर्गीय ने सोमवार को ही अमित शाह से ढाई घंटे तक बातचीत की थी। इसके भी राजनीतिक मायने देखे जा रहे हैं।
vyapam_2सीबीआईजांचकीमांगपरअबतकक्याहुआ?
1. सरकारअबतकइनकारहीकररहीथी
मध्यप्रदेश सरकार अब तक यही कहती रही है कि हाईकोर्ट की ओर से बनाई गई एसआईटी इस जांच को मॉनिटर कर रही है। वह समय-समय पर कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंपती रही है। ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले से आगे जाकर सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते।
2. सुप्रीमकोर्टनेभीठुकरादीथीअर्जियां
नवंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने उन चार अर्जियों को नामंजूर कर दिया जिनमें व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी। सीबीआई जांच की मांग करने वालों में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एसटीएफहाईकोर्ट की बनाई एसआईटी की मॉनिटरिंग में इस केस की जांच कर रही है। एसटीएफ में कई  प्रोफेशनल इन्वेस्टिगेटर हैं। ऐसे में किसी और एजेंसी से जांच कराने की जरूरत नहीं है।
3. लेकिनअबसुप्रीमकोर्टभीकरेगी 9 जुलाईकोइसीमुद्देपरसुनवाई
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं केस की सीबीआई जांच की मांग करने वाली अर्जियां विचार के लिए मंजूर कर लीं। चीफ जस्टिसएच.एल. दत्तू की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि 9 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तीन व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी, डॉ. आनंद राय और प्रशांत पांडे ने ये अर्जियां दायर की हैं।
सुप्रीम कोर्ट में क्यों पहुंचा है व्यापमं केस?
सीबीआई करे जांच
सुप्रीम कोर्ट करे निगरानी
राज्यपाल को हटाया जाए
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और तीन व्हिसलब्लोअर आशीष चतुर्वेदी, डॉ. आनंद राय और प्रशांत पांडे ने याचिका दायर की है। इसमें मांग की गई है कि व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के निर्देश दिए जाएं। सुनवाई  9 जुलाई को होगी।
आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने अपनी अर्जी में कहा है कि इस केस से जुड़े 45 लोगों की मौत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट संज्ञान ले। वह अपनी निगरानी में जांच कराए। इस अर्जी पर भी 9 जुलाई को सुनवाई होगी।
वकीलों के एक ग्रुप ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि व्यापमं केस में रामनरेश यादव पर लगे आरोपों के चलते उन्हें मध्यप्रदेश के राज्यपाल पद से हटाया जाए।
मध्यप्रदेश सरकार अब तक यही कह रही थी कि हाईकोर्ट की ओर से बनाई गई एसआईटी इस जांच को मॉनिटर कर रही है। वह समय-समय पर कोर्ट को स्टेटस रिपोर्ट सौंप रही है। ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले से आगे जाकर सीबीआई जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते।
राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट रद्द कर चुकी है। इस अर्जी पर भी 9 जुलाई को सुनवाई है।
कौन हैं व्हिसलब्लोअर्स?
1. आशीष चतुर्वेदी
26 वर्षीय आशीष ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क कर रहे हैं। वे आरटीआई अर्जियां दाखिल कर व्यापमं घोटाले से जुड़े दस्तावेज सामने लाए। उनका दावा है कि उन्होंने अपनी निजी जांच 2009 में शुरू की थी जब वे अपनी मां के कैंसर का इलाज करा रहे थे। डॉक्टर्स के पास एक्सपीरियंस नहीं होने के कारण उन्हें शक हुआ और वे मामले की तह तक गए। आशीष साइकिल पर चलते हैं। उनके साथ एक पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर भी साइकिल पर चलता है। आशीष ने मध्य प्रदेश पुलिस से ज्यादा सुरक्षा देने की मांग की है।
2. प्रशांत पांडे
36 वर्षीय प्रशांत डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं। अदालती दस्तावेज में इनका नाम मिस्टर एक्स के रूप में दर्ज है। जुलाई 2014 में वे व्हिसलब्लोअर के रूप में उभरे क्योंकि उन्होंने पाया कि इस घोटाले की जांच कर रही एसटीएफ तो उन दस्तावेजों पर निर्भर है जिनके साथ छेड़छाड़ की गई है। पांडे ने जो एक्सेल शीट पेश की थी, उसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम का 48 बार जिक्र होने का दावा है। पांडे का आरोप है कि एसटीएफ ने उस एक्सेल शीट को माना जिसमें सीएम का नाम नहीं था। उनके खिलाफ जांच से जुड़ी जानकारी लीक करने के आरोप में एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। मई में एक ट्रक ने उन्हें इंदौर में टक्कर मार दी थी। इस हादसे में वे बाल-बाल बचे थे।
3. आनंद राय
इंदौर के मेडिकल कॉलेज के पासआउट डॉ. आनंद राय एक्टिविस्ट हैं। उन्हीं की पीआईएल पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जुलाई 2013 में स्पेशल इन्विस्टेशन कराने के आदेश दिए थे।
– मध्यप्रदेश में मेडिकल एट्रेंस और अन्य एग्जाम्स में गड़बड़ी हुई। इसमें व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के अफसरों और आरोपियों के बीच मिलिभगत थी। कैंडिडेट्स के हॉल टिकट पर लगे फोटो स्कोरर से बदल दिए जाते थे। कई मामलों में स्कोरर को ऐसी जगहों पर बैठा दिया जाता था, जहां से वे आसानी से स्टूडेंट्स को आंसर बता सकें। कुछ कैंडिडेट्स की ओएमआर शीट्स में भी छेड़छाड़ की जाती थी ताकि उन्हें ज्यादा नंबर मिलें।
कैसे सामने आया था व्यापमं घोटाला?
– व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं। लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में डॉक्टर जगदीश सागर को गिरफ्तार किया। उसे मुंबई के एक बड़े होटल से गिरफ्तार किया गया था। उसके इंदौर स्थित घर से कई करोड़ रुपए कैश बरामद हुए थे। पुलिस के मुताबिक, एमबीबीएस डिग्री रखने वाले सागर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को एमबीबीएस कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।
अभी जांच कौन कर रहा है?
– 26 अगस्त 2013 को एडिशनल डीजीपी रैंक के पुलिस अफसर की अगुवाई में बनी स्पेशल टास्क फोर्स को इस घोटाले की जांच सौंपी गई। तब तक इस मामले की जांच पीएमटी भर्ती घोटाले के पहलू से ही हो रही थी। अक्टूबर 2013 में इंदौर की एक कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर हुई। एसटीएफ ने बताया कि 438 कैंडिडेट्स ने मेडिकल कॉलेजों में गलत तरीके से एडमिशन की कोशिश की थी। व्यापमं के अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने सीट अरेंजमेंट ऐसे कराया कि दूसरे राज्यों से आने वाले ‘स्कोरर’ उन स्टूडेंट्स के पास बैठें जिन्होंने एडमिशन के लिए पैसे दिए थे। इस मामले में व्यापमं के एग्जामिनेशन कंट्रोलर रहे पंकज त्रिवेदी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। एसटीएफ का मानना है कि 876 स्टूडेंट्स इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं।
– पीएमटी के तहत एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स में हुए एडमिशंस के अलावा पुलिस, एक्साइज, रेवेन्यू और एजुकेशन डिपार्टमेंट में 2007 से 2013 के बीच 1 लाख से ज्यादा पदों पर हुई भर्ती इस घोटाले की जांच में शामिल है।
– जांच का दायरा पीएमटी से आगे जाकर दूसरी एग्जाम्स तक फैल गया। पहले उन स्टूडेंट्स और आरोपियों की तलाश की गई, जिन्होंने एग्जाम में चीटिंग के लिए 25 लाख रुपए तक दिए थे। एसटीएफ अब तक 2000 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस मामले में 55 एफआईआर दर्ज हैं और 26 चार्जशीट दाखिल हो चुकी हैं।
drअब दिग्विजय अड़े- सीबीआई जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही हो 
 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा व्यापमं मामले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट से अपील करने के बाद अब कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि ये जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही होनी चाहिए, तभी सच सामने आ सकेगा। दिग्विजय की इस मांग पर शिवराज ने कहा, “अभी जांच की निगरानी हाईकोर्ट कर रही थी। यदि सुप्रीम कोर्ट भी निगरानी करें तो हमें कोई दिक्कत नहीं है।’’ सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल रामनरेश यादव को हटाने की याचिका पर भी नौ जुलाई को सुनवाई करेगा। उधर,  कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश ने कहा कि कांग्रेस ने 16 जुलाई को प्रदेश बंद का आह्वान किया है।
सरकार सीधे भी कर सकती थी जांच की मांग 
 प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता आरएन सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट में आवेदन-पत्र देने की बजाए राज्य सरकार को अधिकार है कि वह अधिसूचना जारी कर सीधे कार्मिक मंत्रालय को सीबीआई जांच के लिए आदेश दे। सीबीआई मैनुअल में भी इसका अधिकार है। राज्य सरकार इसके बाद हाईकोर्ट को इसकी सूचना दे देती। प्रधानमंत्री, राज्य सरकार से लेकर कैबिनेट मंत्री तक सीधे सीबीआई जांच के लिए लिख सकते हैं। हाईकोर्ट की जांच के साथ भी यह किया जा सकता था। वैसे भी हाईकोर्ट एक बार सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर चुका है तो फिर कैसे इसी मसले को सुनेगा।
 जांच मंजूर हुई तो खुलेंगे पुराने मामले 
 हाईकोर्ट यदि सीबीआई जांच की मंजूरी देता है तो व्यापमं से जुड़े तमाम दस्तावेज, मामले, फाइलें और चालान आदि सीबीआई को स्थानांतरित हो जाएंगे। हाईकोर्ट सीधे पूरे दस्तावेज सीबीआई को सौंप देगा।
 

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