सपा में नए मुस्‍लि‍म चेहरे के तौर पर आजम का वि‍कल्‍प बन रहे आशु मलि‍क

ashu-malikतहलका एक्सप्रेस
लखनऊ। दादरी कांड में मारे गए अखलाक को लेकर राजधानी स्थित सीएम आवास पर सपा एमएलसी आशु मलिक का पहुंचना संयोग मात्र नहीं है। दरअसल, आशु मलिक को पार्टी आजम का वि‍कल्‍प और एक नए मुस्लिम चेहरे के तौर पर पेश करने में लगी है। अभी तक मुलायम के करीबी रहे आजम खान को पार्टी का मुस्लिम चेहरा माना जाता रहा है, लेकिन लोकसभा चुनावों में अपने गढ़ रामपुर और आसपास की सीटों को न बचा पाने के कारण आजम पार्टी के अन्य बड़े नेतृत्व के बीच अपना करिश्मा खो बैठे हैं।
हालांकि, इस दौरान आजम खान ने कई बार अपनी अहमियत साबित करने की कोशिश की, लेकिन वे अपने व्यक्तित्व का वह प्रभाव नहीं छोड़ पाए, जो कभी पहले हुआ करता था। रही-सही कसर अमर सिंह की सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से लगातार हो रही मुलाकातों और उनकी पार्टी में वापसी की सुगबुगाहट ने पूरी कर दी है। यही नहीं, कई मौकों पर आजमा खान ने भी इशारों-इशारों में उनके नजरअंदाज किए जाने की खबरों को सही साबित कर दिया है। ऐसे में पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले एक ऐसा मुस्लिम चेहरा चाहिए, जिससे पार्टी के मुस्लिम वोट-बैंक को वापस पार्टी की तरफ मोड़ा जा सके।
बीते कुछ दिनों में जिस तरह से पश्चिमी यूपी में मुस्लिम समुदाय के मसलों पर आशु मलिक सामने आए हैं उससे साफ जाहिर है कि पार्टी उन्हें मुस्लिम चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है। जानकार भी मानते हैं कि आजम खान के ‘पल में तोला, पल में माशा’ वाली छवि से पार्टी को नुकसान ही पहुंचेगा। ऐसे में पार्टी को एक ऐसे चेहरे की दरकार है, जो पूरी तरह से पार्टी लाइन से बंधा हुआ हो। दूसरी ओर, पार्टी में अखिलेश यादव के सीएम बनने के बाद से युवा चेहरों को आगे लाने की कवायद शुरू हो चुकी है। साथ ही पार्टी अब सोची समझी रणनीति के तहत सेकंड लाइन ऑफ लीडरशिप तैयार कर रही है, ताकि पश्चिमी यूपी में एक राशिद मसूद के जेल जाने के बाद जो जगह खाली हुइ है, उसे भरा जा सके।
बीते फरवरी में मेट्रो रेल का वर्किंग मॉडल बनाने वाले शामली के अब्दुल समद से सीएम अखिलेश ने लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर मुलकात की। इस मुलाक़ात को भी संभव बनाने में आशु मलिक ने अहम भूमिका नि‍भाई। इस दौरान सीएम ने उनके प्रोजेक्ट से खुश होकर समद को 10 लाख रुपए दिए जाने की भी घोषणा की।
आशु मलिक ने मेरठ में हुए हाशिमपुरा दंगे के पीड़ितों का भी प्रतिनिधित्व करते हुए उन्हें सीएम अखिलेश यादव और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से मिलवाया। दूसरी ओर, आजम खान ने उन्हें न्याय दिलाने के लिए अपनी सरकार के खिलाफ कैंडल मार्च निकालने की घोषणा कर दी। आशु मलिक के साथ पहुंचे दंगा पीड़ितों को सीएम अखिलेश यादव ने पांच-पांच लाख रुपए दिए जाने की घोषणा कर दी। वहीं, मुलायम सिंह से मुलाकात के दौरान पीड़ितों ने दंगों की जांच के लिए बनाई गई ज्ञान प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी।
दादरी में तथाकथित तौर पर बीफ खाए जाने के नाम पर अखलाक की हत्‍या के बाद गरमाई राजनीति को देखते हुए सीएम अखिलेश ने एक बार फिर आशु मलिक के ऊपर भरोसा किया। उन्होंने आशु मलिक को निर्देश दिया कि वे पीड़ित परिवार को लेकर तुरंत लखनऊ पहुंचें। पीड़ित परिवार ने मलिक के साथ रविवार को लखनऊ में सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात की। सीएम ने अखलाक की फैमिली को सिक्युरिटी और हर संभव मदद का भरोसा दिया। साथ ही सीएम अखिलेश ने पूरे परिवार को 45 लाख रुपए के मुआवजे और नोएडा में एक मकान देने की घोषणा कर दी।
बीती जुलाई में यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने जब इफ्तार पार्टी दी, तो उसमें सपा का अंदरूनी कलह एक बार फिर खुलकर सामने आता दिखा। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह के बुलावे पर अमर सिंह इफ्तार पार्टी में शामिल होने पहुंचे। यही बात आजम खान को बुरी लग गई और नाराज आजम इफ्तार पार्टी में अपना चेहरा दिखाकर वापस लौट गए। दूसरी ओर, इस इफ्तार पार्टी में सपा का तमाम छोटा-बड़ा मुस्लिम चेहरा शामिल हुआ था और आजम खान के मौजूद न रहने पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने कमान संभाल रखी थी।
वरिष्ठ पत्रकार अतुल चंद्रा भी मानते हैं कि आशु मलिक को लोकल लेवल पर एक मुस्लिम चेहरा बनाकर पार्टी एक तरह से सेकंड लाइन ऑफ लीडरशिप और विकल्प खड़ा कर रही है। वे कहते हैं कि‍ आजम खान बड़े कद के नेता हैं और पूरे वेस्टर्न यूपी के इंचार्ज हैं। ऐसे में लोकल लेवल पर एक ऐसी लीडरशिप प्रमोट करनी है, जो इस इलाके में पकड़ बना सके। ऐसे में आशु मलिक एक चेहरा बनकर उभर रहे हैं, जो उस इलाके के मुस्लिमों की नुमाइंदगी कर रहे हैं।
वहीं, कभी सपा की सहयोगी तो कभी विरोध में रहने वाली कांग्रेस पार्टी इसे आजम खान के साथ हो रहा अन्याय मानती है। यूपीएसीसी के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत कहते हैं कि कांग्रेस ने कभी पार्टी में अपने नेताओं को जाति-धर्म के नाम पर तरजीह नहीं दी है। पार्टी में उसी नेता को आगे आने का मौका मिला है, जो जनता के बीच जाकर काम करता रहा हो। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे आजम खान जैसे कद्दावर और सम्मानित नेता को साइडलाइन कर सपा ने अपना असली समाजवादी चेहरा दिखा दिया है।
सपा की धुर विरोधी पार्टी बीजेपी सपा को एक कन्फ्यूज्ड पार्टी मानती है। उसकी निगाह में न तो पार्टी के नेताओं को पता है और न सरकार को पता है कि क्या करना है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि वैसे तो यह सपा का अंदरूनी मामला है, लेकिन पार्टी में हो रही गतिविधियों को देखकर लग रहा है कि सरकार तो कन्फ्यूज्ड थी ही, लेकिन अब पार्टी भी कन्फ्यूज्ड दिखाई दे रही है। न तो सरकार और न ही पार्टी यह निर्णय ले पा रही है कि आखिर करना क्या है। ऐसे में वे किसी को चेहरा बनाएं या दरकिनार करने इससे जनता के ऊपर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
 

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