समर्थन वाले इलाकों में अच्छी वोटिंग से BJP खुश

bihar29तहलका एक्सप्रेस

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के दौरान बीजेपी जिन जगहों पर अपना दांव मजबूती से खेल रही थी, उन जगहों पर खासी तादाद में मतदान होने के कारण पार्टी काफी खुश नजर आ रही है।

 बीजेपी के मुताबिक यह इस बात का संकेत है कि एनडीए गठबंधन ने धर्मनिरपेक्ष महागठबंधन के ऊपर बढ़त हासिल कर ली है। मालूम हो कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले बुधवार को हुए तीसरे चरण के मतदान में ज्यादा मतदान हुआ।

भगवा रणनीतिकारों को यकीन है कि उनका ‘विकास के लिए बदलाव’ का संदेश जनता तक सही मायनों में पहुंच गया है और यह काम भी कर रहा है।

2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी तीसरे चरण के मुकाबले में जिन सीटों पर मतदान हुआ था, उन 50 सीटों में से 20 सीटें जीती थी। वहीं, एनडीए गठबंधन 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों में से 37 में आगे रही थी।

हालांकि हर बार के आंकड़ों में एक जैसा दोहराव होना मुश्किल है क्योंकि जनता का मिजाज एक जैसा नहीं रहा, लेकिन बीजेपी की यह खुशी और आत्मविश्वास कई कारणों से है। ओबीसी वोटरों का बीजेपी के खिलाफ संगठित हो जाने का कोई संकेत नहीं है, जबकि लालू यादव ने मोहन भागवत के आरक्षण से जुड़े बयान का बीजेपी पर हमला करने में जमकर इस्तेमाल किया।

आरा और वैशाली जिलों में बीजेपी के उम्मीदवारों को आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग और दलितों का भी समर्थन मिलने की संभावना है। एक ओर जहां अगड़ी जातियों, वैश्य समाज, पासवान और मुसहरों का वोट बीजेपी को मिलने की संभावना है, ऐसे में ईबीसी और दलितों का वोट मिलने से बीजेपी का आधार और भी मजबूत होने की उम्मीद गहरा रही है।

ईबीसी वर्ग के लोगों में असंतोष का फायदा भी बीजेपी को मिलने की उम्मीद है। ये जातियां लालू-राबड़ी के 15 साल के कार्यकाल के दौरान यादव समुदाय को मिले फायदों के विरोध में थीं। कथित ‘जंगलराज भाग-2’ का डर भी उन विदानसभा क्षेत्रों में हावी दिखा जिन्होंने बुधवार को अपना मत दिया।

उधर, आरजेडी ने आरा में कम संख्या में यादवों को वोट देकर अपना नुकसान करने के साथ-साथ बीजेपी का फायदा कर दिया। यहां यादव ईबीसी के उम्मीदवारों के साथ मौका साझा करने के पक्ष में नहीं थे। ऐसा पहले भी होता आ रहा था, लेकिन तब ये वोटर नीतीश के पक्ष में जाते थे। अब नीतीश के बीजेपी से अलग होने और लालू के साथ खड़े होने से यह वोट बैंक बीजेपी के पक्ष में जाने का अंदेशा है। ईबीसी वोटरों को यादवराज का दौर लौटने का डर है। वह ऐसे में बीजेपी को विकल्प मान रहे हैं। इस धड़े का वोट बीजेपी के लिए सरकार बनाने में अहम साबित होगा।

बीजेपी इन खबरों से खुश है और इससे पार्टी का आत्मविश्वास भी लौटा दिख रहा है। पहले चरण की 49 सीटों के लिए हुए चुनाव में खराब प्रदर्शन की खबर से पार्टी का उत्साह घटता दिख रहा था। चौथे चरण का चुनाव रविवार 1 नवंबर को होना है। बीजेपी को इस चरण में और भी बेहतर करने की उम्मीद है। इस चरण के लिए 55 सीटों पर चुनाव होना है। यहां बीजेपी और उसका विरोधी खेमा दोंनौं के पास 26 सीटें हैं। बाकी की सीटें अन्य के पास हैं।

पिछले साल लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मोदी लहर का बहुत फायदा मिला था। बीजेपी ने 53 सीटें जीती थीं। इसने महागठबंधन को 38 फीसद मत के बदले 44 फीसद मत से पीछे छोड़ दिया था। चौथे और आखिरी चरण के मतदान में अच्छा प्रदर्शन करना बीजेपी के लिए बेहद अहम है। अगर पहले के 2 चरणों में इसका प्रदर्शन खराब रहा तो उसकी भरपाई के लिए यह निर्णायक मौका है। महागठबंधन द्वारा आखिरी चरण के मतदान में अच्छा करने की संभावना है। पांचवे चरण में 57 सीटों के लिए चुनाव होना है जिसमें मुस्लिम और यादव वोटरों की तादाद काफी ज्यादा है।

 

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