सरकारी बंगलों को लेकर सख्त हुई सरकार, नहीं चलेगी आवंटी की मनमानी

लखनऊ। राज्य संपत्ति विभाग के नियंत्रण वाले सरकारी भवनों में रहने का मानक न पूरा करने व अनधिकृत तरीके से रहने वाले लोगों, संस्थाओं व राजनीतिक दलों को अब तय प्रक्रिया के तहत बेदखल किया जा सकेगा। अब तक विभाग के भवनों में अनधिकृत तरीके से रहने वालों को निकालने के लिए कोई नियमावली नहीं थी। योगी कैबिनेट ने मंगलवार को इससे जुड़ी नियमावली को मंजूरी दे दी है।

ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि राज्य संपत्ति विभाग के नियंत्रण वाले भवनों में सरकारी, गैर सरकारी संगठनों, राजनीतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं, न्यासों, व्यावसायिक संघों, कर्मचारी संघों तथा राजनीतिक दलों की इकाइयों या अग्रणी संगठनों के गैर कानूनी निवासियों या गैर सरकारी व्यक्तियों (पत्रकार भी शामिल) की बेदखली करने और उससे संबंधित व्यवस्था के लिए यूपी सार्वजनिक भू-गृहादि (कतिपय अप्राधिकृत अध्यासियों की बेदखली) नियमावली-2018 को मंजूरी दी गई है। इसमें बेदखली की विस्तार से प्रक्रिया तय की गई है। अब इसके अनुसार बेदखली की कार्यवाही होगी।

राज्य संपत्ति विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तमाम संगठन अनधिकृत तरीके से राज्य संपत्ति के भवनों में कार्यालय चला रहे हैं। कई राजनीतिक व सामाजिक संगठन जिस मानक के भवन में हैं, पर उसका मानक पूरा नहीं करते हैं, इसके बावजूद कब्जा जमाए हैं।

कई क्षेत्रीय व पंजीकृत दल, राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की तरह बड़े-बड़े भवनों में काबिज हैं। मुख्य संगठन के अलावा फ्रंटल संगठनों के लिए बड़े-बड़े भवन में कब्जा जमाए हुए हैं। कोई नियमावली न होने से इनसे खाली कराने में तमाम कानूनी दांवपेंच की आशंका रहती है। नियमावली बनने से सरकार तय व्यवस्था से अब ऐसे लोगों को आसानी से बेदखल कर सकेगी।

फीस मनमानी पर आएगा विधेयक

निजी विद्यालयों में मनमाने शुल्क वसूली को नियंत्रित करने के लिए सरकार विधानमंडल के मानसून सत्र में उप्र. स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) विधेयक 2018 पेश करेगी। प्रदेश कैबिनेट ने अध्यादेश की जगह विधेयक लाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

सरकारी प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि सरकार ने निजी स्कूलों में फीस वसूली को नियंत्रित करने के लिए 9 अप्रैल 2018 को स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश लागू किया था। अब सरकार ने अभिभावकों और विद्यार्थियों की सुविधा के लिए मानसून सत्र में विधेयक लाने का निर्णय किया है।

उन्होंने बताया कि मंडल स्तर पर बनाई गई समिति के स्थान पर शुल्क को विनियमित करने के लिए हर जिले में डीएम की अध्यक्षता में जिला शुल्क नियामक समिति का गठन किया जाएगा।

इस समिति को सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अधीन दीवानी न्यायालय और अपीलीय न्यायालय की शक्तियां प्राप्त होंगी। समिति के सदस्यों का कार्यकाल दो वर्ष रहेगा। इस निर्णय से शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के साथ ही विद्यार्थियों और अभिभावकों को सीधा लाभ मिलेगा।

 

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