सरकारी बैंकों का घाटा चौथी तिमाही में छू सकता है 50 हजार करोड़ का आंकड़ा

नई दिल्ली। कंपनियों और बैंकों ने जनवरी से मार्च तिमाही के नतीजे जारी करने शुरू कर दिए हैं. मार्च 2018 को खत्म हुई चौथी तिमाही में ज्यादातर सरकारी बैंक घाटे में दिख रहे हैं. पंजाब नेशनल बैंक को अब तक का सबसे बड़ा घाटा सहना पड़ा है. वहीं, भारतीय स्टेट बैंक को भी रिकॉर्ड स्तर का घाटा हुआ है. ऐसे में आशंका है कि चौथी तिमाही में सरकारी बैंकों का घाटा रिकॉर्ड 50 हजार करोड़ का आंकड़ा छू सकता है.

नीरव मोदी के 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले से जूझ रहे पंजाब नेशनल बैंक को चौथी तिमाही में 13,417 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. यह घोटाला बैंक के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला था. इसके अलावा एसबीआई को भी इस तिमाही में 7,718 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है.

अब तक 15 पब्ल‍िक सेक्टर  बैंकों ने अपने नतीजे जारी किए हैं. इनमें से 13 को चौथी तिमाही में घाटा हुआ है. सिर्फ इंडियन बैंक और विजया बैंक हैं, जो प्रॉफ‍िट में हैं. इस तरह इन 15 बैंको के घाटे को मिलाकर देंखें तो यह 44,241 करोड़ होता है.

बैंकों का यह घाटा और बढ़ने की आशंका है. क्योंकि अभी आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनाइटेड बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक ने अपने नतीजों की घोषणा नहीं की है.  इस वजह से आशंका जताई जा रही है कि पीएसयू बैंकों का घाटा 50 हजार करोड़ का रिकॉर्ड आंकड़ा छू सकता है. दिसंबर 2017 को खत्म हुई तिमाही में पीएसयू बैंकों का कुल घाटा 19 हजार करोड़ रुपये रहा था.

माना जा रहा है कि पीएसयू बैंकों को इतने बड़े स्तर पर हो रहे घाटे के लिए भारतीय र‍िजर्व बैंक के नियम जिम्मेदार हैं. दरअसल आरबीआई ने लोन-रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम्स को खत्म कर दिया है. इसकी वजह से सरकार को इन बैंकों में पूर्वनियोजित पूंजी से ज्यादा पूंजी डालनी पड़ेगी. इसके अलावा बैड लोन पर लगाम कसने के लिए किए जा रहे प्रावधान भी इसकी वजह हैं.

 

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