सातवें वेतन आयोग पर लटकी तलवार, बैंक घोटालों का साइड इफेक्ट्स

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैकों में हजारों करोड़ रुपए के घोटाले के सामने आने के बाद देश के लगभग 50 लाख कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन वृद्धि का इंतजार लंबा हो सकता है. सातवें वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन बढ़ाने की सिफारिशें की गई थीं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यूनतम वेतन को लेकर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने में देरी हो सकती है क्योंकि इस मामले को लेकर सरकार की तरफ से कोई स्पष्टता नहीं है. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कई बैंकों में धोखाधड़ी का मामला सामने के बाद इस पर असर पड़ा है.

वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, वित्त मंत्री ने न्यूनतम वेतन को 18 हजार से बढ़ाने का वादा किया था. आयोग की सिफारिशों को वित्त मंत्रालय से भी मंजूरी मिल चुकी थी. अब सरकारी बैंकों में एक के बाद एक घोटाले सामने आने के बाद वित्त मंत्री असमंजस में पड़ गए हैं.

सेन टाइम्स की खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक के अप्रैल 2013 से लेकर जून 2016 के आंकड़ों के मुताबिक, 1232 बैंक घोटलों में 2450 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. इन 1232 घोटालों में लगभग 1 लाख से अधिक बैंककर्मियों के लिप्त होने की भी सूचना है.

वित्त मंत्रालय ने जून, 2016 में वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूर करते हुए न्यूनतम वेतन को सात हजार से बढ़ा कर 18000 करने पर सहमति जताई थी. हालांकि अब खबर यह है कि सरकारी कर्मचारियों को अप्रैल, 2018 से 18 हजार की बजाय 21 हजार रुपए सैलरी दी जाएगी.

 

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