सादिया असद पासपोर्ट मामला: राजनीति के लिए अछूत बन चुके ब्राह्मण विकास यह समझ ही नहीं सके कि मुसलमान शब्द में कितनी ताकत है

देश में यह कोई पहला प्रकरण नहीं कि कोई लड़की जब शादी करती है तो उसका टाइटिल उसके पति वाली हो जाया करती है। पर नाम तो वही रहता है। हाँ नाम में भी बदलाव करना है तो उसकी भी प्रक्रिया अपनाते हुए नाम में संशोधन किया जा सकता है। प्रकरण है नोयडा की रहने वाली तन्वी सेठ जो अब विवाह/निकाह के बाद तन्वी सेठ से सादिया असद हो गयी है। उसका घर नोएडा में है,लेकिन उसे लखनऊ के पते पर ही पासपोर्ट चाहिए था। विकास की गलती यह थी कि एक तो वह आज कल राजनीति के लिए अछूत बन चुके ब्राह्मण समाज से आते हैं, दूसरा कि उन्होंने वह सब करने की कोशिश की जो पासपोर्ट जारी करने के लिए आवश्यक होता है। वह समझ ही नहीं सके कि मुसलमान शब्द में कितनी ताकत है। पंडित जी बेवजह क़ानून की बात कर सजायाफ्ता हो गए। लखनऊ में पासपोर्ट ऑफिस, रतन स्क्वायर में अधिकारी विकास मिश्रा को हिंदू-मुस्लिम कपल को धर्म के नाम पर अपमानित करने के कथित आरोप में गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। विकास मिश्रा का पक्ष मीडिया में आने के बाद सोशल मीडिया पर वे ट्रेंड होने लगे।

सादिया असद के प्रकरण में जब विकास मिश्रा का पक्ष सामने आया तो उनके समर्थन में ट्विटर पर एक मुहिम छिड़ गई और हैशटैग #ISupportVikasMishra ट्रेंड होने लगा। ट्विटर पर कई नामी हस्तियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पीएमओ और विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए विकास के समर्थन में आवाज उठाया। किसी ने कहा कि अफसर अपनी ड्यूटी कर रहा था। किसी को पासपोर्ट जारी करने से पहले कई तरह की जांच की जाती है, ये उसी का हिस्सा है। ऐसे में अफसर पर की गई कार्रवाई सही नहीं है। गायिका मालिनी अवस्थी ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकारी नियम की एक प्रक्रिया है। पासपोर्ट के लिए तो और भी गहन गंभीर प्रक्रिया है। मामले की पूरी जांच बिना अफसर को हटाना ठीक नहीं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि विकास मिश्रा के पक्ष को भी सुनने की जरुरत है, जिसे मामले में पक्षकार बनाया गया है। वह अर्थपूर्ण सवाल उठा रहे हैं।

एक ही महिला के दो नाम उपयोग करने पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें दस्तावेजों की जांच का पूरा हक है। हमें कैसे पता की तन्वी जो आरोप लगा रही हैं वह सही है। पासपोर्ट बनवाने के लिए वे झूठ भी बोल सकती हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर लोगों ने विकास मिश्रा के तबादले और तन्वी को घंटे के भीतर बिना जांच के पासपोर्ट जारी करने पर भी सवाल उठाए। मध्य प्रदेश से पंडित हरिहर निवास शर्मा लिखते हैं-दरअसल सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा में पोस्टर लग चुके हैं – गुमशुदा की तलाश ! क्योंकि बड़ी नेता हैं, तो संसदीय क्षेत्र में उन्हें जाने की जरूरत भी क्या है ? लेकिन अंदाज अवश्य लग चुका है कि इस बार अगर विदिशा से लड़ीं तो जीतना मुश्किल है। इसलिए इस बार भोपाल वालों पर गाज गिरने वाली है और यह तो सभी जानते हैं कि भोपाल पुराना नबाबी इलाका होने के कारण वहां पर्याप्त मुस्लिम वोट भी हैं। उन मुस्लिम वोटों की खेती काटने के चक्कर में ही वे आजकल सिक्यूलर बन गई हैं।

देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भूल रही हैं कि भोपाल में हमेशा हिन्दू वोट ध्रुवीकृत होता है और मुस्लिम वोट बहुत कम भाजपा को मिलता है। इसीलिए उमाभारती, कैलाश जोशी और आलोक संजर जीतते रहे। हिन्दू वोटों की नाराजगी भोपाल में भी सुषमा जी को भारी पड़ेगी। विकास मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही जिस तरह लखनऊ में नोएडा निवासी एक हिंदू-मुस्लिम दंपति को हाथों-हाथ पासपोर्ट मिल गया वैसा शायद भारत में पहले कभी नहीं हुआ । इस मामले में पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने तुरंत दंपति का पासपोर्ट जारी किया और मीडिया के सामने आकर सफाई भी दी। इस बीच पासपोर्ट विभाग के जिस अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगा, उन्होंने भी सफाई दी और कहा कि जो हो रहा है वो गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक की जानकारी की कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है। उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था।

पासपोर्ट विभाग लखनऊ में तैनात विकास मिश्रा का तर्क है कि आवेदक नोएडा की रहने वाली थीं, उन्हें अपना पासपोर्ट बनवाने के लिये गाजियाबाद में अप्लाई करना चाहिए था। उन्होंने तथ्य को छिपाया और लखनऊ का पता दिखाकर पासपोर्ट लेने के लिए निवेदन किया जो कि गलत था। उन्होंने कई गलत जानकारी दी। विकास मिश्रा ने कहा कि आप हमारे पासपोर्ट के वेबसाइट पर मौजूद फॉर्म को देखेंगे तो पाएंगे कि वहां एक कॉलम है कि ‘हैव यू एवर चेंज योर नेम’ मतलब क्या आपने कभी अपने नाम में बदलाव किया है। तन्वी को कॉलम में हां करते हुए पुराना नाम देना चाहिए था। जैसे ही वो हां में जवाब देतीं तो सिस्टम से ऑटोमेटिक एक तहकीकात होती, जिसके बाद उनसे उनके पुराने नाम की मांग की जाती। विकास मिश्रा ने नाम के सवाल पर कहा कि नाम पूछने पर दंपति ने निकाहनामा दिखाया जिसमें सादिया हसन नाम था लेकिन उस नाम को वो आवेदन पत्र में शामिल नहीं कराना चाहती थीं। इसके बाद मैंने उनसे आवेदन पत्र में नाम चढ़ाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया।

जब देश में कानून सबके लिये बराबर है तो फिर तन्वी सेठ उर्फ सादिया असद को विशेष दर्जा क्यों ? तन्वी सेठ सही तथ्य की जानकारी पासपोर्ट के आवेदन पपत्र में भरने से इंकार क्यों किये ? जब सही जानकारी को आवेदक द्वारा पासपोर्ट के आवेदन पत्र में दर्शाने से मना कर दिया तो मजबूर होकर विकास मिश्रा मामले को एपीओ अधिकारी के पास भेज दिया। उन्होंने दंपति से पूछा कि आप नोएडा में रहती हैं तो पता चढ़ाने के लिए क्यों मना कर रही हैं ? दंपति ने वहां भी मना कर दिया। जिसके बाद एपीओ ने उनकी फाइल को यहां के पॉलिसी सेंटर भेज दिया। विकास मिश्रा ने कहा कि अभद्रता तथा चिल्लाने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि मैं उनके ऊपर नहीं चिल्लाया बल्कि वो यहां दफ्तर में चिल्ला रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने हमें धमकी भी दी कि हम सक्षम लोग हैं, हम पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज करवाएंगे। हम नोएडा में जरूर रहते हैं लेकिन हम लखनऊ के पते पर रिपोर्ट लिखवा लेंगे जिसके बाद आपको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। ट्रांसफर तथा नोटिस जारी होने के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई नोटिस मिली है तो हम उसका जवाब देंगे, ट्रांसफर की किसी कार्रवाई की जानकारी हमारे पास नहीं है। इस प्रकरण में जो भी हो रहा है वह गलत हो रहा है।

विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इस पर उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था। दूसरा पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत यदि अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है उसका नाम व पता यह है। पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोडऩा पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है जिससे एक आदमी के अलग नाम से पासपोर्ट न बन सकें। तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर बढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था। यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने कहा कि इससे पहले विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है।

 

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