सावधान फतेहपुर जिला भी आजमगढ की राह पर, एक समुदाय विशेष के युवकों को बड़े रहस्यमय तरीके से दिया जा रहा है प्रशिक्षण

लखनऊ। क्या उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक समुदाय विशेष के युवकों को बडे रहस्यमय तरीके से एक खास किस्म का प्रशिक्षण दिया जा रहा है? इस शहर से दूर वीरान इलाके में चल रही कुछ ऐसी ही संदिग्ध गतिविधियों को लेकर इन दिनों इस चर्चा ने फिर जोर पकड लिया है। पिछले दिनों मुंबई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा के संदिग्ध कुख्यात आतंकी सलीम उर्फ दानिश इसी जिले के बंदीपुर ग्राम का मूल निवासी है। कहा तो अब यहां तक जाने लगा है कि पिछले कुछ समय से प्रदेश का फतेहपुर जिला भी आजमगढ की राह पर चल पडा है।

बताया जाता है कि अर्सा पहले क्षेत्रीय लोगों की शिकायत पर स्थानीय खुफिया एजेंसी और पुलिस के संयुक्त प्रयास से इस मामले की तह में जाने की कोशिश की गयी थी। लेकिन, उसका परिणाम क्या हुआ, यह बताने को कोई भी तैयार नहीं है। इस बाबत सिर्फ इतना ही बताया गया है कि इस मामले की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी है। नये पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में भी इस बात के लाये जाने पर उनका कहना है कि वह भी इस मामले की जांच कराने के बाद ही कुछ बता सकेंगे।

बहरहाल, फतेहपुर जिले में कथित रूप से चल रही इन संदिग्ध गतिविधियों के बारे में एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक अमर उजाला में प्रकाशित सनसनीखेज रिपोर्ट में कहा गया है कि‘लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी सलीम खान की कथित साजिश से जिले मे इस तरह का रहस्यमय ट्रेनिंग कैंप चलाया जा रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि शहर की आबादी से बाहर तीन साल से संचालित संदिग्ध प्रशिक्षण कैंपों का रहस्य छंट नहीं रहा है। यहां गैर प्रांत के युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण किस तरह का है, इस बारे में कोई नहीं जानता है। प्रशासन के पास भी कोई ठोस जवाब नहीं है। इन कैंपों में दूर से आ रही केवल यस सर और नो सर की आवाजें ही सुनायी पडती हैं। आरोप है कि इनमें सैकडों की तादाद में प्रशिक्षण ले रहे युवाओं को पुलिस प्रशासन और खुफिया इकाई दोनों पूरी तरह से नजरंदाज कर रहे हैं।‘

इस  दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि-‘प्रशासन के पास भी कोई ठोस जवाब नही है। तीन साल से आबादी के बाहर स्थान बदल बदल कर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें श्रीनगर, बंगाल, असम, गुजरात बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक से आकर शामिल होने वाले युवक बताये जाते हैं। इन दिनों नेशनल हाईवे पर रिलायंस पेट्रोल पंप के पीछे और आबुनगर में किला के पास प्रतिदिन सुबह पांच बजे से सात बजे तक ये कैंप चल रहे हैं। इन कैंपों में एक भी स्थानीय युवा नहीं शामिल है।‘

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि-‘कैंप के पास पहुंचने पर प्रशिक्षक और प्रशिक्षणार्थी दोनों चुप्पी साध लेते हैं।…..प्रशिक्षण  लेने वाले किराये पर कमरे लेकर आसपास ही रहते हैं। कुछ पूछने पर व्यावसायिक प्रशिक्षण लेने की बात करते हैं। व्यवसाय के बारे में वे जानकारी नहीं देते हैं। दूसरी ओर, एस.पी.कवींद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अभी उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा कोई कैंप चलता है तो उसकी जांच करायी जायेगी।‘

इस रिपोर्ट के अंत में सबसे ज्यादा चैंका देने वाली यह बात कही गयी है कि ‘पुलिस चैकी फतेहपुर हसवा के पास जंगल में संचाििलत एक शिक्षण संस्थान की कार्यशैली भी संदिग्ध बतायी जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यहां देर रात तक गैरप्रांतों की लग्जरी कारें खडी रहती है, जो भोर होने से पहले ही गायब हो जाती हैं।‘

बहरहाल, जानकार सूूत्र अभी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि गिरफ्तार आतंकी सलीम का संदिग्ध गतिविधियों वाले इन पशिक्षण शिविरों से संबंध है अथवा नहीं। लेकिन, उनका यह कहना है कि सलीम का गांव बदीपूर मुस्लिम बहुल है। इसकी आबादी लगभग सात सौ होगी। इसमें बमुश्किल पांच हिंदू परिवारों को छोडकर शेष सभी एक समुदाय विशेष के लोगों के ही है। इस गांव में बाहरी लोगों का बराबर आना जाना बना रहता है। उन्हीं के प्रभाव में आकर इस गांव के लगभग सौ मुस्लिम युवा सऊदी अरब सहित खाडी के दूसरे देशों में जा चुके हैं। सलीम को भी उन्हीं में से एक बताया जाता है।

जानकार सूत्रों के अनुसार, पिछले लगभग 15 सालों में इस जिले के समुदाय विशेष के युवाओं को रोजगार दिलाने के बहाने खाडी देशों में ले जाया जाता रहा है। सिर्फ सलीम के गांव बंदीपुर के लगभग सौ युवकों को  इसी बहाने बहलाफंसलाकर ले जाया जा चुका है। इनमें से अधिकांश निरक्षर अथवा बहुत कम पढे लिखे रहे हैं। ऐसे युवकों का बडी आसानी से बे्रनवाश कर दिया जाता है। सलीम के भी आतंकी बनने की यही असल दास्तान बतायी जाती है। 2007 में पासपोर्ट बनवाकर इसे भी पहले सऊदी ले जाया गया था। बे्रनवाश कर दिये जाने के बाद इसे पाकिस्तान लाकर तीन बार आतंकी संगठनों के जरिये कठोर प्रशिक्षण दिलाया गया है। इसी का नतीजा रहा कि यह भारत को अपना दुश्मनराष्ट्र जैसा समझने लगा है।

इस संबंध में ‘इंडिया संवाद‘को पता चला हे कि फतेहपुर जिला के थाना हथगांव के तहत अधिकांश गांव मुस्लिम बहुल ही हैं। इस इलाके में बाहर के संदिग्ध लोगों का बराबर आना जाना बना रहता है। लेकिन, सलीम की गिरफ्तारी के बाद अधिकांश स्थानीय लोग अपना दामन बचाने में लगे हुए हैं। वे खौफजदा भी हैं। इसीलिये इस बाबत कोई कुछ बोलने को ही तैयार नहीं है। ये सभी लोग अब सलीम को ही बुरा कह रहे हैं।

दूसरी ओर पुलिस अधीक्षक फतेहपुर कवींद्र प्रताप सिंह ने इस खबर को पुरी तरह बेबुनियाद और बेसिरपैर की बताया है। असलियत क्या है? इसका खुलासा उच्च स्तरीय जांच के बाद ही हो सकता है।

जानकार सूत्रों के अनुसार, पिछले लगभग 15 सालों में इस जिले के समुदाय विशेष के युवाओं को रोजगार दिलाने के बहाने खाडी देशों में ले जाया जाता है। सिर्फ सलीम के गांव बंदीपुर के लगभग सौ युवकों को  इसी बहाने बहलाफंसलाकर ले जाया जा चुका है। इनमें से अधिकांश निरक्षर अथवा बहुत कम पडंलिखे होते है। ऐसे युवकों का बडी आसानी से बे्रनवाश कर दिया जाता है। सलीम के भी आतंकी बनने की यही दास्तान है। 2007 में पासपोर्ट बनवाकर इसे भी पहले सऊदी ले जाया गया था।  बे्रनवाश कर दिये जाने के बाद इसे पाकिस्तान लाकर तीन बार आतंकी संगठनों के जरिये कठोर प्रशिक्षण दिलाया गया। इसी का नतीजा रहा कि यह भारत को अपना दुश्मनराष्ट्र जैसा समझने लगा था।

 

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