सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी से भरा नामांकन, बदामी पर फैसला कल

चामुंडेश्वरी। कर्नाटक में कांग्रेस के चेहरे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चामुंडेश्वरी से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है. नामांकन से पहले सिद्धारमैया और उनके बेटे ने चामुंडेश्वरी मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की. सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी से कई बार चुनाव जीत चुके हैं.

सिद्धारमैया ने कहा कि मैं एक हिंदू हूं लेकिन अमित शाह मुझे हिंदू विरोधी बता रहे हैं, जबकि खुद शाह हिंदू नहीं हैं, वो जैन हैं, जो कि एक अलग धर्म है. उन्होंने कहा कि अमित शाह हिंदुओं के नाम पर लगातार झूठ बोल रहे हैं. सिद्धारमैया ने कहा कि मैं मानवता में विश्वास करता हूं और उन्हीं मूल्यों पर चलता हूं.

उन्होंने कहा कि बीजेपी लगातार दलितों का अपमान कर रही है और संविधान को खत्म करने में जुटी है. बीजेपी को संविधान पता ही नहीं है. बीजेपी के मंत्री अनंत कुमार हेगड़े कहते हैं कि हम संविधान को बदल देंगे. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह उनके खिलाफ कुछ नहीं करते, जबकि ऐसे मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए.

सिद्धारमैया विधानसभा चुनाव में एक सीट से चुनाव लड़ेंगे या फिर दो जगहों से, इसे लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं है. फिलहाल उन्होंने चामुंडेश्वरी से शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. दूसरी सीट बदामी विधानसभा से चुनाव लड़ने पर शनिवार को फैसला करेंगे. कांग्रेस ने बदामी के लिए डॉक्टर देवराज पाटिल का नाम घोषित किया है, लेकिन पार्टी ने फिलहाल उन्हें नामांकन भरने से रोक दिया है.

सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत चामुंडेश्वरी से की थी. इस सीट से वे पांच बार जीत हासिल कर चुके हैं. सिद्धारमैया ने 2008 में वरुणा विधानसभा सीट को चुनाव था. इसके बाद उन्होंने अपने बेटे के लिए वरुणा की सीट खाली कर दी थी.

मौजूदा समय में चामुंडेश्वरी सीट पर जेडीएस के जीटी देवगौड़ा का कब्जा है. देवगौड़ा यहां से सिद्धारमैया को हराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. इतना ही नहीं जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी भी सिद्धारमैया को घेरने के लिए तीन दिनों तक चामुंडेश्वरी में चुनाव प्रचार कर चुके हैं. हालांकि बीजेपी ने अभी तक यहां से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है.

चामुंडेश्वरी का सियासी समीकरण

चामुंडेश्वरी विधानसभा सीट पर 72 हजार वोक्कालिगा और 40 हजार लिंगायत के वीरशैव समुदाय का वोट हैं. इसके अलावा 60 फीसदी से अधिक मतदाता ओबीसी, अल्पसंख्यक और दलित समुदाय के हैं.

 

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