सीबीआई ने तेज की यादव सिंह की तलाश

तहलका एक्सप्रेस, लखनऊ। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) लतापा चल रहे अकूत संपत्ति के मालिक और करोड़ों के भ्रष्टाचार में संलिप्त नोएडा प्राधिकरण के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव की तलाश तेज कर दी है| जानकारी के मुताबिक, यादव सिंह की तलाश के लिए एयरपोर्ट इमिग्रेशन को उसकी फोटोग्राफ और जानकारी भेजी गई है। वहीं, सीबीआई मामले की छानबीन के लिए फिर से नोएडा अथॉरिटी पहुंची है। सूत्रों की माने तो सीबीआई यादव सिंह के विदेश भागने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं कर रही है।

उधर, प्रवर्तन निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि जांच के लिए निदेशालय ने चुनिंदा अफसरों और कर्मचारियों की टीम तैयार कर ली है। ईडी मुख्यालय के अफसरों का कहना है कि यादव सिंह प्रकरण की जांच की तैयारी पूरी है। सीबीआई की एफआईआर हासिल होते ही जांच शुरू कर दी जाएगी। वहीं सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसी एक-दो दिन में ईडी को यह एफआईआर भेजने वाली है। यादव सिंह के खिलाफ एक तरफ सीबीआई मामला दर्ज कर तलाश कर रही है तो दूसरी ओर ईडी के अफसरों का कहना है कि जांच एजेंसी अपने स्तर से धांधली के विभिन्न पहलुओं की जांच करेगी।

खासतौर पर उस रकम का पता लगाने की कोशिश होगी जिसे यादव सिंह ने पद का दुरुपयोग कर अर्जित की। अफसरों का मानना है कि काली कमाई को ठिकाने लगाने के लिए मनी लांड्रिंग का सहारा लिया गया होगा। लिहाजा, ईडी सिंह व उसके करीबियों से जुड़ी फर्मो का ब्योरा जुटा रही है। ईडी ने यादव सिंह से वर्ष 2014-15 में ठेके हासिल करने वाली 75 प्रतिशत फर्मो के प्रमुखों की भी पड़ताल शुरू कर दी है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से इन 75 ठेकेदारों के नाम पते और दिए गए ठेके की जानकारी मांगी गई है।

सूत्रों के मुताबिक़, यादव सिंह की अकूत संपदा के दस्तावेजों की तलाश में जुटी सीबीआई ने अब कुछ राजनेताओं की गतिविधियों पर नजर टिका दी है। सीबीआई को अंदेशा है कि यादव सिंह की संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज इन नेताओं के पास रखे हो सकते हैं। इनमें से कई नेताओं के यादव सिंह की कंपनियों में साझेदार होने की सूचना के बाद सीबीआई ने रजिस्ट्रार कार्यालय से जानकारी मांगी है कि इन कंपनियों में कौन-कौन साझेदार है। सीबीआई ने कंपनियों के कार्यालय व साझेदारों द्वारा दस्तावेजों में दिए गए आवासीय पते की सूची भी मांगी है। सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि जरूरत पड़ने पर इन सभी या इनमें से कुछ के यहां छापामारी की जा सकती है।

सीबीआई ने अभी तक सामने आई संपत्तियों व यादव सिंह के करीबियों की सूची तैयार कर ली है। इसमें उन नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जिनसे यादव सिंह की करीबी सामने आई है। कुछ ऐसे नेताओं के नाम भी सामने आए हैं जिनसे यादव सिंह के कारोबारी रिश्ते की पुख्ता सूचना है। इनमें बसपा सरकार से लेकर सपा सरकार तक के अति महत्वपूर्ण व प्रभावशाली लोगों के नाम बताए जा रहे हैं। सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि कई ऐसे राजनेताओं के बारे में सीबीआई को जानकारी मिली है, जिन्होंने अपनी काली कमाई तक यादव सिंह की कंपनियों में निवेश की है। सूत्रों के मानें तो यादव सिंह की संपत्तियों में से कई के दस्तावेज इन्हीं राजनैतिक साझेदारों के यहां रखे हैं।

गौरतलब है कि सीबीआई की अभी तक की पड़ताल में यादव सिंह की 24 कंपनियों के बारे में ही जानकारी मिली है। आशंका है कि इन कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया गया था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इन कंपनियों में नेताओं और अफसरों के बेटों और पत्नियों को डायरेक्टर बनाया गया था। नियमों को ताक पर रखकर इन कंपनियों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े-बड़े व्यवसायिक भूखंड दिए गए। कुछ कंपनियों को अथॉरिटी से करोड़ों के ठेके भी दिए गए।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई को मॉरीशस की एक एयरलाइंस कंपनी का पता चला है, जिसमें यूपी के एक बड़े नेता के साथ यादव सिंह की पार्टनरशिप की बात सामने आ रही है। उधर समाजवादी पार्टी अब भी न्यायिक जांच को सीबीआई जांच से बेहतर मान रही है।

 

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