सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद जब खुलेआम बिक रहा है तेजाब तो कैसे रुकेंगे एसिड अटैक!

लखनऊ। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में एसिड अटैक की संख्या में कोई कम नहीं आ रही। लगातार बढ़ रही घटनाओं ने प्रशासन के होश उड़ा दिए हैं। करीब तीन महीने पहले रायबरेली से लखनऊ आ रही गैंगरेप पीडि़त महिला पर ट्रेन में एसिड अटैक हुआ था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गंभीर प्रयास के बाद उसको मौत के मुंह से निकाला गया, लेकिन शनिवार लखनऊ में गर्ल्स हास्टल में रह रही महिला पर एक बार फिर तेजाब फेंका गया। फिलहाल उसको ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है लेकिन तेजाब फेंकने वालों का कुछ भी पता नहीं चला है। सवाल ये उठ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद लोगों को तेजाब खुले आम कैसे मिल जा रहा है।

बताया जा रहा है कि महिला पर उस समय हमला हुआ जब वह गर्ल्स हास्टल के कमरे से बाहर आकर पानी भर रही थी। वह लखनऊ में एसिड अटैक पीडि़तों द्वारा संचालित एक कैफे में काम करती है। पुलिस का कहना है कि महिला को चेहरे के दाहिनी तरफ नुकसान पहुचा है। महिला अभी बयान देने की हालत में नहीं है। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी ने कहा महिला गर्ल्स हॉस्टल के बाहर फोन पर बात कर रही थी तभी अंधेरे में कोई शख्स उसके पास आया और एसिड से हमला कर भाग गया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। इस मामले में रायबरेली पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। वहीं महिला अभी बयान देने की स्थिति में नहीं है।

प्रदेश में राजधानी लखनऊ समेत तमाम शहरों में खुलेआम तेजाब बिक रहा है। तेजाब से बढ़ती घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शिकंजा कसते हुए इसकी खुली बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद जिले में परचून की दुकानों पर खुलेआम तेजाब की बोतलें बिक रही हैं। हैरत की बात है कि इन दुकानों पर न तो तेजाब लेने वाले का नाम व पता दर्ज किया जाता और न ही उसकी उम्र को लिखा जाता। आलम यह है कि दुकानदार कमाई के चक्कर में नाबालिगों को 15 से 30 रुपये तक में तेजाब की बोतल बेंच देते है। हैरत की बात है कि इस पर प्रशासन का शिकंजा भी कसता नजर नहीं आ रहा।

ज्ञात हो कि देश में तेजाब फेंकने की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट में एक पीड़िता ने रिट दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री के बाबत निर्देश जारी किए थे। जिस पर अमल करने को प्रदेश सरकार ने भी फरमान जारी किया था। नियमानुसार पंजीकृत दुकानदारों द्वारा ही तेजाब की बिक्री की जा सकती है। इसके लिए बिक्री करने वाले दुकानदारों का ब्योरा प्रशासनिक व पुलिस अफसरों के पास रहना चाहिए, ताकि उसकी समय-समय पर जांच की जा सके, पर जिले में तेजाब की बिक्री कितनी दुकानों से हो रही, इसकी सूचना किसी भी जिम्मेदार महकमे के पास नहीं है। सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में पिछले छह वर्षों में एसिड अटैक के मामलों में हुई बढ़ोतरी एएसएफआई (एसिड सर्वाइवर फाउंडेशन इंडिया) के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पिछले 6 सालों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। बर्ष 2013 में यूपी में जहां एसिड हमलो की संख्या 18 थी वहीं 2014 में इनकी संख्या बढ़ कर के 43 हो गई जबकि 2015 सबसे ज्यादा 61 मामले सामने आए। हालांकि 2016 में हमलों की संख्या घट कर के 42 हो गई।

उत्तर प्रदेश में एसिड हमलों के मामले

वर्ष मामलो की संख्या

2012 11

2013 18

2014 43

2015 61

2016 42

18 साल से कम उम्र के लोगों को तेजाब की बिक्री नहीं की जा सकती, दुकानदार को बिक्री और स्टाक की जानकारी देनी होगी, तेजाब खरीदने वाले का पूरा विवरण दुकानदार अंकित करेगा, तेजाब खरीदने वाले व्यक्ति की फोटो सहित आईडी लेगा, दुकानदार दुकान में एक रजिस्टर रखेगा जिसमें सारा विवरण अंकित करेगा, दुकानदार को तीन दिन के अंदर तेजाब के स्टाक और बिक्री के संबंध निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचना देनी होगी, दुकानदार 15 दिन के अंदर स्थानीय मजिस्ट्रेट को तेजाब के स्टाक और बिक्री की जानकारी देगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तेजाब की बिक्री के संबंध में स्टाक रजिस्टर न रखने, बगैर अनुमति के तेजाब की बिक्री करने और संबंधित अधिकारी को समय से सूचना न देने पर दुकानदार को पचास हजार रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं तेजाब फेंकने वाले के विरुद्ध गैरजमानती धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।

 

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