सुप्रीम कोर्ट ने तुगलकी फरमान जारी करने वाली खाप पंचायतों को अवैध करार दिया, इन पर प्रतिबंध लगाने के भी दिए निर्देश

नई दिल्ली। बेशक कुछ समय से खाप पंयायतों के तुगलकी फरमान ना सुनाई पड़ रहे हों। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने खाप पंचायतों को अवैध करार दिया है। इसके साथ इस तरह की पंचायतों और केंद्र सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बात को लेकर अपनी नाराजगी जताई कि उनकी ओर से खाप पंचायतों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई क्‍यों नहीं की जा रही। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को काफी तल्‍ख लहजे में चेताते हुए कहा कि अगर आप खाप पंचायतों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में सक्षम नहीं हैं तो अदालत को कड़े कदम उठाने होंगे। दरअसल, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश और हरियाणा में खाप पंचायतों का काफी दबदबा है। ये पंचायतें अकसर प्रेमी जोड़ों को लेकर अपने तुगलकी फरमान सुनाती रहती हैं। ये पंचायतें अंतरजातीय विवाह और एक ही गोत्र में शादी के खिलाफ रही हैं। इन पंचायतों के कई तुगलकी फरमान सामने आ चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों वाली खंडपीठ ने लव मैरिज करने वाले जोड़ों पर खाप पंचायतों के हमले नहीं रुकने पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत का कहना है कि कोई भी बालिग लड़का या लड़की अपनी मर्जी से किसी से भी शादी कर सकता है। उसे रोकने का अधिकार किसी को भी नहीं है। कोई भी खाप पंचायत या सामाजिक संगठन लव मैरिज करने वाले युवाओं के फैसले पर सवाल उठाने के हकदार नहीं हैं। यहां तक कि उनके अभिभावक भी उनके इस फैसले का विरोध नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोई भी खाप पंचायत इस तरह के मामले में प्रेमी जोड़ों को सजा नहीं दे सकती है।

इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी भी खाप पंचायत के पास ये अधिकार नहीं है कि वो प्रेमी जोड़ों को अपनी पंचायत में बुलाने के लिए समन भेजें। इसके बाद तीन जजों की खंडपीठ ने सख्‍त लहजे में केंद्र सरकार से कहा कि अगर आप खाप पंचायतों पर प्रतिबंध लगाने में अफसल हैं तो फिर हमें ही इस दिशा में कोई कड़ा कदम उठाना होगा। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो जिस मामले की सुनवाई कर रहे हैं वो साल 2010 का मामला है। लेकिन, केंद्र सरकार इस मसले पर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक केंद्र सरकार की ओर से खाप पंचायतों को लेकर कोई सुझाव तक नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार अपनी मर्जी से शादी करने वाले युवाओं की सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं लाती है कि अदालत को गाइडलाइन तय करनी होगी। ताकि प्रेमी जोड़े खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें।

उधर, एमिकस क्यूरी राजू रामचन्द्रन का कहना है कि लॉ कमिशन भी अंतरजातीय शादी करने वाले युवाओं की सुरक्षा को लेकर कानून बनाने की वकालत कर चुका है। लेकिन, इस मामले में केंद्र सरकार का रवैया काफी लचर रहा है। दरसअल, पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश और हरियाणा की खाप पंचायतें कई बार प्रेमी जोड़ों के खिलाफ तुलगकी फरमान सुना चुकी हैं। कुछ मामलों में झूठी शान की खातिर प्रेमी जोड़ों की हत्‍या तक हो चुकी है। लेकिन, राजनैतिक नफा-नुकसान के चक्‍कर में हर पार्टी खाप पंचायतों के फैसलों से दूर ही रहना चाहती है। शायद यही वजह है कि इन खाप पंचायतों के हौंसले दिन-ब-दिन बढ़ते ही रहे हैं। जबकि सरकारें इनके आगे बेबस नजर आईं हैं। कुछ जगहों पर तो खाप पंचायतें चुनावों को प्रभावित करने तक की हिम्‍मत रखती हैं। शायद यही वजह है कि कोई भी दल इनसे सीधा पंगा नहीं लेता है। हर कोई इनसे कन्‍नी काटकर बचना चाहता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट को ये सब मंजूर नहीं।

 

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