सेनाओं में सातवें वेतन आयोग का मुद्दा उलझा!

army23नई दिल्ली। सेना में 1 अक्टूबर से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सैलरी मिलेगी या नहीं, इस पर स्थिति साफ नहीं है। सिफारिशों में विसंगतियों की सुनवाई से सेना को अलग रखने का मुद्दा कोर्ट में चला गया है। अब मामला और उलझ सकता है। पहले रिपोर्ट्स आई थीं कि सभी सेना मुख्यालयों को वेतन आयोग की सिफारिशों पर 1 अक्टूबर से अमल का आदेश जारी कर दिया गया है। सेना के सूत्रों ने गुरुवार को इस बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया है, जबकि पूर्व सैनिकों ने सोशल मीडिया पर कहा है कि इस बारे में ब्यूरोक्रेसी की ओर से अफवाह फैलाई जा रही है। उन्हें शंका है सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक सेना चाहती है कि सिफारिशों पर अमल से पहले विसंगतियों को सुलझा लिया जाए।

इस बीच सेना में सेवारत कर्नल प्रीतपाल सिंह ग्रेवाल ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कहा था कि सभी केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के सामने अपने प्रतिनिधि के जरिये अपनी शिकायत रखने की सुविधा मिली है, जबकि फौज को नहीं। इस पर कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल में रक्षा कर्मियों की बातें भी सुनी जाएं। शिकायत है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक फौज में सैलरी करीब 15 फीसदी बढ़ेगी। पांचवें और छठे वेतन आयोग में यह 40 फीसदी बढ़ी थी। सेना से जुड़े लोगों का कहना है कि सवाल पैसे का नहीं, सिविल सर्विस के मुकाबले उन्हें कमतर आंका गया।

पांच प्रमुख मुद्दों पर शिकायत
नॉन फंक्शनल अपग्रेड- प्रमोशन पाने वाले अफसरों के बैचमेट्स को पे ग्रेड के लाभ से न रोका जाए। सिविल सर्विसेज में यह सुविधा उपलब्ध है।
कॉमन पे मैट्रिक्स – बेसिक पे फिक्स करने के लिए जो फॉर्म्युला अपनाया गया है, वह दूसरे केंद्रीय कर्मचारियों से अलग है। हर रैंक पर अफसर का पे स्केल कमतर है।
मिलिटरी सर्विस पे – जेसीओ को 5200 रुपये मिलिट्री सर्विस पे की सिफारिश की गई है, जो जवानों के बराबर है। जेसीओ के लिए यह 10 हजार रुपये होना चाहिए।
डिसैबिलिटी पेंशन – विकलांगता के अलग-अलग प्रतिशत के हिसाब से पेंशन दी जानी चाहिए, जबकि इसके लिए बैंड बना दिया गया है।
एचएजी प्लस स्केल – सभी लेफ्टिनेंट जनरलों को एचएजी (हायर ऐडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड) प्लस स्केल दिया जाए जैसा कि पुलिस में डायरेक्टर जनरल को मिलता है।

बढ़ती गई मुश्किल
19 नवंबर 2015- सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार को सौंपा गया। सेना में सिफारिशों को लेकर असंतोष की रपटें।
11 मार्च 2016 – तीनों सेनाओं के प्रमुख सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति के पास गए। सिफारिशों पर गौर करने वाली इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सेक्रटरी थे।
7 सितंबर 2016 – वेतन आयोग की सिफारिशों में अमल के नोटिफिकेशन पर रक्षा मंत्रालय में साइन हुए। नोटिफिकेशन में सिफारिशों के मुकाबले बदलाव नहीं दिखा।
9 सितंबर 2016 – तीनों सेना प्रमुखों ने सिफारिशों पर अमल टालने किए कहा, लेकिन जल्दी ही रक्षा मंत्री ने सुनवाई का भरोसा देते हुए अमल के लिए कहा।

वन रैंक वन पेंशन में भी विसंगति
वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियों को पूर्व सैनिक जल्द सुलझाने की मांग कर रहे हैं। राष्ट्रीय सैनिक संस्था के अध्यक्ष तेजेंद्र पाल त्यागी के मुताबिक, पहली शिकायत कट ऑफ इयर पर है। अधिकतम पेंशन के लिए 33 साल की नौकरी की शर्त 1 जनवरी 2006 के पहले के सिविल पेंशनरों के लिए हटा दी गई है। इसे पूर्व फौजियों के लिए भी लागू करने की मांग हो रही है। कुछ और मांगें हैं – जैसे पेंशन को नए सिरे से तय करने का काम हर 5 साल की जगह हर साल हो। इसके लिए बेस इयर 2014 की जगह 2013 हो। उस साल जिस माह में अधिकतम वेतन हो, उस पर री-फिक्सेशन हो। फिलहाल जस्टिस एल. नरसिंह रेड्डी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग पूर्व सैनिकों की पेंशन में विसंगतियों पर शिकायतें सुन रहा है।

 

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