सेना से कभी रिटायर नहीं हुए मार्शल अर्जन सिंह का निधन, 1962 युद्ध में थी बड़ी भूमिका

नई दिल्ली। वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया. वह 98 वर्ष के थे. अर्जन सिंह को जब वायु सेना प्रमुख बनाया गया था तो उनकी उम्र उस वक्त महज 44 साल थी और आजादी के बाद पहली बार लड़ाई में उतरी भारतीय वायुसेना की कमान उनके ही हाथ में थी.

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के एक मात्र अधिकारी थे, जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई.

अर्जन सिंह को शनिवार सुबह सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. भारतीय सैन्य इतिहास के नायक रहे अर्जन सिंह ने 1965 की लड़ाई में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था. पीएम मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा वायु सेना प्रमुख बी एस धनोवा ने अस्पताल का दौरा किया.

अर्जन सिंह कभी रिटायर नहीं हुए

अर्जन सिंह सेना के 5 स्टार रैंक अफसर थे. देश में पांच स्टार वाले तीन सैन्य अधिकारी रहे थे, जिनमें से फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और फील्ड मार्शल के एम करियप्पा का नाम है, ये दोनों भी जीवित नहीं हैं. ये तीनों ही ऐसे सेनानी रहे, जो कभी सेना से रिटायर नहीं हुए.

पीएम भी मिलने पहुंचे थे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार शाम अर्जन सिंह से मिलने के लिए अस्पताल पहुंचे थे. इससे पहले रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अस्पताल जाकर उनका हाल-चाल लिया था.

चीन के खिलाफ युद्ध में थी अहम भूमिका

चीन के साथ 1962 की लड़ाई के बाद 1963 में उन्हें वायु सेना उप-प्रमुख बनाया गया था. एक अगस्त 1964 को जब वायु सेना अपने आप को नई चुनौतियों के लिए तैयार कर रही थी, उस समय एयर मार्शल के रूप में अर्जन सिंह को इसकी कमान सौंपी गई थी.

19 साल की उम्र में पायलट ट्रेनिंग के लिए चयन

मार्शल अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को लायलपुर (फैसलाबाद, पाकिस्तान) में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा पाकिस्तान के मोंटगोमरी से पूरी की थी. अर्जन सिंह 19 वर्ष की उम्र में पायलट ट्रेनिंग कोर्स के लिए चुने गए थे.

आजादी के दिन लाल किले के ऊपर दिखा था अर्जन सिंह का कमाल

यही नहीं, अर्जन सिंह ने आजादी के दिन यानी 15 अगस्त 1947 को वायु सेना के 100 से भी अधिक विमानों के लाल किले के ऊपर से फ्लाइ-पास्ट का भी नेतृत्व किया था. पाकिस्तान के खिलाफ जंग में उनकी भूमिका के बाद वायु सेना प्रमुख के रैंक को बढ़ाकर पहली बार एयर चीफ मार्शल किया गया, उन्हें नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था.

 

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