सैफुद्दीन सोज की किताब पर मचे बबाल से कांग्रेस में हलचल, डैमेज कंट्रोल के लिए बनाई नई रणनीति

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री सैफुद्दीन सोज की किताब पर मचे बबाल के बाद कांग्रेस खुद के बचाव की रणनीति में जुट गई है. सोज ने अपनी किताब में कश्मीर में अलगाववादियों के पक्ष का समर्थन करने के साथ-साथ पाकिस्तान के परवेज मुशर्रफ की जमकर तारीफ की है. सोज ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने सही कहा था कि कश्मीर के लोग आजादी को तरजीह देंगे. उनके इस बयान के बाद भारत की राजनीति में भूचाल खड़ा हो गया है. हालांकि खुद कांग्रेस ने उनके इस बयान को अलग कर लिया है और इसे किताब की पब्लिसिटी का हथकंडा करार दिया.

इस पर जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने अपना रूख साफ करते हुए इस किताब के अध्ययन के लिए एक टीम का गठन करने का ऐलान किया है. राज्य पार्टी के अध्यक्ष जी.ए. मीर ने कहा कि हम आधिकारिक रूप से एक टीम का गठन कर रहे हैं जो इस बात का अध्ययन करेगी कि सोज की किताब में वास्तव में ऐसा कुछ लिखा हुआ है जिस पर इतनी आपत्तियां उठाई जा रही हैं. पूरी किताब का अध्ययन करने के बाद टीम विवादित मुद्दों को हाइलाइट कर उन पर सोज बात करेगी कि ये खुद उनके विचार हैं या फिर पार्टी के.

मीर ने कहा कि सोज पहले ही कह चुके हैं कि इस किताब में उन्होंने भारत की आजादी से पहले के कश्मीर के हालातों की व्याख्या की है. आजाद भारत के कश्मीर से उनका कोई लेना-देना नहीं है. मीर ने कहा कि सोज ने जो भी लिखा है वह आज के भारत में संभव ही नहीं है.

इसके अलावा मीर ने गुलाम नबी आजाद के उस बयान की भी वकालत की जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना द्वारा चलाए जा रहे अभियान में आतंकियों से ज्यादा आम नागरिक मारे जा रहे हैं. इस पर मीर ने कहा कि आजाद एक राष्ट्रवादी नेता हैं और इसके लिए उन्हें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह या किसी और नेता के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.

बता दें कि हाल ही में सोज की कश्मीर पर एक किताब ‘कश्मीर : ग्लिम्पसेस ऑफ हिस्ट्री एंड द स्टोरी ऑफ स्ट्रगल’ (Kashmir : Glimpses of History and the Story of Struggle) प्रकाशित हुई है. बताया जा रहा है कि सोज ने इस किताब में कश्मीर पर विवादित लेख लिखे हैं.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सोज और आजाद के बयानों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से देश की जनता से माफी मानने की बात कही थी, इस पर मीर ने कहा कि आजाद को इसके लिए ना तो बीजेपी और ना ही उसके किसी नेता कोई सर्टिफिकेट देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आजाद पिछले 40 सालों से राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने एक आम कार्यकर्ता से लेकर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष तक का सफर तय किया है.

उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद ना तो एक हफ्ते से ज्यादा राजनीति में हैं और ना ही किसी कोर्ट केस के जरिए राजनीति में आए है. यहां तक कि उन्होंने सामप्रदायिक घटनाओं में खुद को चमकाने की कोशिश की है. आजाद अपने कठीन परिश्रम, राष्ट्रवाद, ईमानदारी और समर्पण के कारण राजनीति में हैं. उन्हें खुद देश की जनता और इस देश ने जांचा-परखा है और देश की जनता उन्हें अच्छी तरह से जानती है.

पटेल पर भी साधा निशाना
देश की राजनीति में आए तूफान के बाद भी सैफुद्दीन सोज अपने बयान पर कायम हैं. शनिवार को उन्होंने दिल्ली कि सरदार पटेल ने हैदराबाद के बदले कश्मीर को पाकिस्तान को देने की पेशकश की थी लेकिन नेहरू को कश्मीर से विशेष लगाव था लिहाजा कश्मीर बच गया इस बात के सबूत हैं.

कांग्रेस ने सोज के बयान से खुद को किया अलग
सैफुद्दीन सोज की किताब बाजार में आने के बाद मचे घमासान पर कांग्रेस ने खुद को अलग कर लिया था. कांग्रेस ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और आगे भी बना रहेगा. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, सोज की किताब को लेकर कई सारे लोग कई तरह के बयान देंगे, लेकिन कांग्रेस पार्टी उनके बयान से इत्तेफाक नहीं रखती. उन्होंने कहा, मैं इतना कहूंगा कि यदि जिस सामग्री के बारे में लिखा गया है, अगर वह सही है, तो कांग्रेस पार्टी और भारत के नागरिक इस तरह की सामग्री को सिर्फ किताब बेचने का एक हथकंडा मानते हैं, जिसे अभी बाजार में आना बाकी है.

 

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