हमले के बाद दलित लेखक को वॉर्निंग-ऊंची जाति के खिलाफ लिखा तो उंगलियां काट देंगे

prashad-1नई दिल्ली/ बेंगलुरु। दिल्ली में शुक्रवार को साहित्य अकादमी ने लेखकों की हत्या और उन पर हो रहे हमलों के विरोध में एक प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव में इस तरह की घटनाओं की कड़ी निंदा की गई है। दूसरी तरफ, लेखकों पर हमलों का सिलसिला थमता दिखाई नहीं दे रहा है। कर्नाटक के ही दावणगेरे में एक युवा दलित लेखक एच प्रसाद पर हमले की खबर सामने आई है। इस मामले में दर्ज FIR के मुताबिक प्रसाद ने जाति व्यवस्था के विरोध में एक बुकलेट छापी थी, जिसे लेकर ऊंची जाति के लोगों एतराज था। गौरतलब है कि कन्नड़ लेखक कलबुर्गी की हत्या भी कर्नाटक में हुई थी।
यह है मामला?
युवा दलित लेखक हचंगी प्रसाद कर्नाटक की दावणगेरे यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट हैं। प्रसाद यूनिवर्सिटी के होस्टल में ही रूम लेकर रहते हैं। उनके मुताबिक कुछ दिन पहले एक अनजान आदमी उनके पास आया और उसने कहा कि उनकी मां बहुत बीमार हैं, उन्हें हार्ट अटैक आया है, वे हॉस्पिटल में एडमिट हैं। उसने प्रसाद से अपने साथ चलने को कहा। जब प्रसाद उसके साथ चले तो वह उन्हें थोड़ी दूर एक सुनसान जगह पर उसके करीब 8-10 साथियों ने मिलकर प्रसाद पर हमला कर दिया और उनसे मारपीट की। प्रसाद ने बताया कि वे लोग मेरी किताब को हिंदू विरोधी करार देते हुए मुझे पीटने लगे। प्रसाद के मुताबिक उन लोगों ने उनके चेहरे पर कालिख पोती और धमकी दी कि अगर फिर से जाति व्यवस्था या हिंदू धर्म के खिलाफ लिखा तो तेरी उंगलियां काट देंगे। प्रसाद ने बताया कि उन लोगों से छूटने के बाद वे अस्पताल पहुंचे उसके बाद उन्होंने पुलिस में FIR दर्ज कराई। पुलिस ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ SC/ST एक्ट में मामला दर्ज कर लिया है।
साहित्य अकादमी ने की कलबुर्गी की हत्या की निंदा
देश की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी ने कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या की निंदा की है। अकादमी ने एक प्रस्ताव पास कर लेखकों की हत्या और देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लेखकों और कवियों के साथ एकजुटता दिखाई। शुक्रवार को दिल्ली में कन्नड़ के मशहूर लेखक एमएम कलबुर्गी की हत्या और बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में लेखकों के साहित्यिक अवॉर्ड लौटाए जाने को देखते हुए साहित्य अकादमी की बैठक बुलाई थी। अकादमी ने उन लेखकों से पुरस्कार वापस लेने की भी अपील की है जिन्होंने अवार्ड लौटा दिए हैं।
दो धड़े में बंटे लेखक
कन्नड़ के मशहूर लेखक एम.एम. कलबुर्गी की हत्या और देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में कई लेखकों ने साहित्यिक अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए हैं। ऐसे लेखकों के समर्थन में कुछ साहित्यकारों ने दिल्ली में मौन जुलूस निकाला। उनका कहना है कि उनका यह प्रदर्शन असामाजिक घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार के आंखें मूंदे रहने के खिलाफ लेखकों का आक्रोश को दर्शाने के लिए है। वहीं दूसरी तरफ कई साहित्यकार ऐसे भी हैं जो पुरस्कार लौटा रहे लेखकों का विरोध करते नजर आए।
पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों के विरोध में हुए प्रोटेस्ट में भाग लेने आए मशहूर साहित्यकार नरेंद्र कोहली ने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाने वाले लेखकों पर सवाल उठाते कहा, ‘लेखक नहीं बंटे हैं, बल्कि लेखकों की राजनीति ने उन्हें बांट दिया है। उन्होंने कहा कि जब कश्मीर में हिंसा हुई, हिंदुओं और कश्मीरी पंडितों को वहां निकाला गया, 1984 में सिखों का कत्ल-ए-आम किया गया तब किसने अवॉर्ड लौटाए थे।’
 

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