हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर चिंतित सरकार, आधे नामों पर जांच में गड़बड़ी

नई दिल्ली। देश के उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार चिंतित है। जिन 126 नामों की सिफारिश की गई है, सरकार की जांच में उनमें से करीब आधे संदेह के दायरे में हैं। केंद्र की तरफ से कम से कम आय, ईमानदारी और क्षमता को इसका क्राइटीरिया बनाया गया है। सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो की मदद से उन सभी ऐडवोकेट के बारे में पता किया जिनका नाम जज बनने की सूची में शामिल है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कलीजियम को जानकारी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक कानून मंत्रालय ने हाई कोर्टकलीजियम की तरफ से भेजे गए नामों की जांच कराने के लिए एक तंत्र बनाया है।

जिनका नाम सूची में है सरकार उन्हें कम से कम वार्षिक आय, उनके द्वारा किए गए निर्णयों, उनकी छवि, व्यक्तिगत और पेशेवर कामों के हिसाब से परखती है। हाई कोर्ट में जजों की नियुक्तियों को लेकर सरकार ने कानून मंत्रालय में अपनी एक प्रणाली बना रखी है जो सभी अनुशंसित नामों के बैकग्राउंड का पता लगाती है। इसके बाद ही मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) को अंतिम रूप दिया जाता है।

‘आय के मानदंडों में खरे नहीं उतरे 30-40 वकील’
सूत्रों का कहना है कि 30 से 40 उम्मीदवार सरकार की नजर में हाई कोर्ट के जज बनने के योग्य नहीं हैं। इसके लिए पीछे के 5 सालों में वकीलों की औसत वार्षिक आय 7 लाख होनी चाहिए। उनके प्रदर्शन का भी मूल्यांकन किया गया है। मूल्यांकन के दौरान उम्मीदवारों द्वारा किए गए 1,000-1,200 फैसलों को देखा गया। खुफिया ब्यूरो ने उम्मीदवारों के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी जानकारी इकट्ठी की। कुछ लोगों को परिवारवाद और पक्षपात से जोड़ा गया। कुछ के करीबी सुप्रीम कोर्ट अथवा हाई कोर्ट में जज हैं या रह चुके हैं। ऐसे नामों की सिफारिशों पर कुछ हाई कोर्ट पर भी सवाल उठे।

1 अगस्त को हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट छापी थी कि सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा सुझाए गए नामों पर परिवारवाद को लेकर आपत्ति है। कोर्ट की तरफ से भेजे गए 33 वकीलों के नामों की जांच कराने पर पता चला कि इनमें से लगभग आधा दर्जन सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों के करीबी हैं। यह बात भी सामने आई थी कि जाति, धर्म के आधार पर भी ये सिफारिशें की गई हैं।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कलीजियम से दरख्वास्त की है कि जजों के नाम फाइनल करने से पहले इन बातों पर गौर किया जाए। यह MoP सुप्रीम कोर्ट में जुलाई 2017 से लंबित है। सरकार ने इसमें कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं। सरकार ने कहा है कि एक सेक्रट्रिएट बनाकर इन लोगों के बैकग्राउंड की जांच कराकर अंतिम सूची बनाई जाए।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Back to top button