हार के बाद बसपा में मची ‘भगदड़’, 112 नेताओं ने दिया इस्तीफा

लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त से बसपा पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में असंतोष किस कदर हावी है, इसका असर असर गुरुवार को देखने को मिला। बसपा से एक साथ 112 नेताओं ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने की वजह हार के असल कारण तलाशने की बजाय ठीकरा ईवीएम में गड़बड़ी और कार्यकर्ताओं पर फोड़ना करार दिया।

फतेहपुर जिला संगठन में पार्टी के प्रजापति समाज के इलाहाबाद मंडल कोआर्डिनेटर डॉ. गोविंदराज प्रजापति, पूर्व जिला प्रभारी ज्ञानेंद्र सचान ज्ञानू ने आरोप लगाया कि पार्टी मुखिया जिस रास्ते पर चल रही हैं, उसे देखते हुए बसपा के लिए काम करना मुमकिन नहीं।

शहर के शादीपुर चौराहा स्थित एक बैंक्वेट हॉल में मीडिया से रूबरू बसपा के पूर्व जिला महासचिव व पूर्व जिला प्रभारी डॉ. ज्ञानेंद्र सचान ज्ञानू ने पार्टी सुप्रीमो मायावती के ईवीएम प्रकरण पर हर महीने की 11 तारीख को काला दिवस मनाने की आलोचना की। कहा कि वह हार की असल वजह की तह तक जाने की बजाय मशीन में गड़बड़ी का आरोप लगा रही हैं। बयानबाजी से पार्टी कार्यकर्ता आहत हैं। उन्हें समाज के बीच में रहना होता है।

सच तो यह है कि बसपा सुप्रीमो पार्टी संस्थापक कांशीराम के बनाए सिद्धांताें से इतर चल रही हैं। बसपा के पूर्व लोकसभा प्रभारी सुशील सिंह चंदेल ने कहा कि जो धरना-प्रदर्शन जनसमस्याओं के लिए होने चाहिए, वह ईवीएम के खिलाफ हो रहा है। यह जनादेश का अपमान है।

शादीपुर चौराहा स्थित बैंक्वेट हॉल में मीडिया से बात करते बसपा के पूर्व जिला महासचिव डॉ. ज्ञानेंद्र सचान ज्ञानूPC

और शुरू हो गई बसपा में भगदड़
फतेहपुर जिले की सियासत में दो दशक तक सिरमौर बनी रही बसपा में भगदड़ शुरू हो गई। बसपा के तीन कद्दावर चेहरों के इस्तीफा देने के बाद जिला संगठन में अफरातफरी के हालात हैं। करारी हार मिलने के बाद पार्टी के तमाम नेता दूसरे दल पर जाने का इरादा बना लिया है। यह भी, कभी भी, किसी भी दल के हो सकते हैं। बसपा ने वर्ष 1993 से जिले की सियासत में इंट्री मारी थी। पहले चुनाव में बसपा को एक सीट मिली थी। 1996 में यह संख्या बढ़कर पांच हो गई थी। 2002 में तीन सीट पर सिमटी बसपा 2007 के चुनाव मेें चार सीट पर चुनाव जीती थी। 2012 में तीन सीट मिली।

इस चुनाव में क्लीनस्वीप के इरादे से उतरी थी ​बसपा
बसपा इस चुनाव में क्लीनस्वीप के इरादे से उतरी थी। खासकर उसके लिए अयाहशाह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न थी, क्योंकि बसपा के पास यह सीट पर चार बार से थी। कई सीटों पर उसका दावा माना जा रहा था। मोदी की सुनामी में यह दावे ऐसे फुर्र हुए कि हालात सामने हैं। बसपा के प्रजापति समाज के इलाहाबाद मंडल कोआर्डिनेटर डॉॅ. गोविंदराज प्रजापति ने बुधवार को बड़ी तादाद में समाज से जुड़े लोगों के जल्द पार्टी छोड़ने के संकेत दिए। उससे एक बात साफ हो चुकी है कि हार का ठीकरा पार्टी स्तर से फूटे उससे पहले बसपा के महावत खुद इस्तीफा देना ज्यादा बेहतर मान रहे हैं। जिसकी शुरूआत भी हो गई है। पार्टी सूत्रों की माने तो कई और पदाधिकारी इसी सप्ताह संगठन से बॉय-बॉय कर सकते हैं। उधर, बसपा जिलाध्यक्ष सीताराम गौतम का कहना है कि उन्हें ऐसी जानकारी नहीं है। इस मामले की जानकारी कराई जाएगी।

 

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