हिन्दुओं को मंदिर बनाने के ‘गिल्ट’ में डुबो देने की कोशिशें जारी

शेखर पण्डित

राष्ट्रीय संकट के समय हम अक्सर कथित उदारवादी और सेक्युलर ब्रिगेड से सुना करते हैं कि भला होता जो मंदिर की जगह अस्पताल बनाए गए होते। मंदिरों पर हुए खर्च को किन्हीं बेहतर जगह खर्च करने की दुहाई दी जाती है। सामान्य दिनों में अस्पतालों के साथ-साथ विद्यालय बनाने के पक्ष में भी दलीलें होतीं हैं। अस्पताल, स्कूल चाहिए किसकी कीमत पर? मंदिरों की कीमत पर।

जबकि तथ्य यह है कि मंदिर बनाना और अस्पताल या विद्यालय बनाना बिल्कुल अलग-अलग गतिविधि नहीं है, दोनों ही जनकल्याण के लिए ही हैं। इसके बावजूद भी सोची समझी रणनीति के तहत हिन्दुओं को मंदिर बनाने के ‘गिल्ट’ में डुबो देने की कोशिशें जारी रहती हैं। हालाँकि, सामाजिक सरोकारों के प्रति सामान्य परिस्थिति में निभाई जा रही अपनी महती भूमिका के अतिरिक्त संकटकालीन स्थिति में आपदा के समय मंदिर हमेशा ही सरकारों तथा सामाजिक संगठनों को दान और सहयोग करने में सबसे आगे रहते हैं। वुहान वायरस महामारी भी इस मामले में कोई अपवाद नहीं।

संकट की इस घड़ी में अब तक देश भर से कई सारे मंदिर आगे आ कर कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में अपने अंशदान की घोषणा कर चुके है। कोरोना संक्रमण, और उसको फैलने से रोकने के लिए लगाए गए इस लॉकडाउन जैसी विषम स्थिति में देश के मंदिर न सिर्फ नगद के रूप में बल्कि भोजन आदि कल्याणकारी गतिविधियों के मार्फत से भी देश को इस संकट के समय सहयोग करते देखे जा सकते हैं। इसके बावजूद भी मंदिरों को अपनी भूमिका के एवज में कभी न्यायोचित क्रेडिट नहीं दिया जाता। इस कारण मंदिरों के खिलाफ एक झूठे प्रोपेगण्डे को पर्याप्त जगह मिल जाती है, जिसमें मंदिरों पर सामाजिक हित में पर्याप्त भूमिका न निभाने का आरोप लगाया जाता है। जबकि यह सच्चाई से कोसों दूर की बात है।

इस वजह से हमने निर्णय लिया कि हम उन मंदिरों तथा मठों की एक लिस्ट बनाने का काम करें, अपने पाठकों के लिए, जो अब तक इस संकटकालीन परिस्थिति में अपने-अपने सहयोग की घोषणा कर चुके हैं। किसी भी प्रकार से यह लिस्ट सम्पूर्ण नहीं है क्योंकि बहुत सारे बड़े-बड़े मंदिर जिनका ट्रस्ट सरकार के पास है, और उनके फंड्स का क्या करना है वो सरकार तय करती है। ऐसे मंदिर इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं, आने वाले समय में शायद सरकारें इन मंदिरों के सहयोग पर कुछ निर्णय लें। साथ ही इस लिस्ट में उन छोटे छोटे सैंकड़ों हजारों मंदिरों के भी नाम नहीं आ सकते थे जो कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में अपने-अपने उपलब्ध संसाधनों के जरिए अपनी-अपनी यथोचित भूमिका के निर्वहन में लगे हुए हैं।

  • शिरडी साईं बाबा संस्थान : महाराष्ट्र के प्रसिद्ध शिरडी साईं बाबा मंदिर ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रिलीफ फंड में 51 करोड़ रूपए दान किए।
  • बाबा रामदेव और पतंजलि ट्रस्ट : योग गुरु बाबा रामदेव ने घोषणा की है कि वे प्रधानमंत्री राहत कोश में 25 करोड़ का सहयोग करेंगे इसके साथ ही साथ पतंजलि और रूचि सोया के सभी एम्प्लॉई अपने एक दिन का वेतन भी प्रधानमंत्री कोष में दान करेंगे जो कुलमिलाकर 1.5 करोड़ बैठता है। इसके अतिरिक्त योग गुरु ने अपने हरिद्वार स्थित दोनों संस्थानों और कोलकाता, मोदी नगर-यूपी, सोलन-हिमाचल प्रदेश स्थित आश्रमों को कोरोना रोगियों के इलाज के लिए देने की घोषणा की। इन सभी स्थानों में 1500 रोगियों को आइसोलेशन में रखा जा सकता है। यहाँ जिन्हें भर्ती किया जाएगा उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी पतंजलि करेगा।
  • महावीर हनुमान मंदिर, पटना : पटना स्थित महावीर हनुमान मंदिर ने कोरोना से लड़ने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपए दान किए।
  • अम्बाजी मंदिर : अम्बा जी माता मंदिर ट्रस्ट, ‘आरासुरी अम्बा जी माता देवस्थानम ट्रस्ट’ ने 1 करोड़ 1 रुपए का दान किया
  • स्वामीनारायण मंदिर: गुजरात भर में फैले 7 स्वामीनारायण मंदिरों ने कुलमिलाकर 1.88 करोड़ रुपए का सहयोग किया। इसके अलावा कोरोना संक्रमित मरीजों को आइसोलेशन में रखने के लिए तकरीबन 500 बेड का भी इंतजाम स्वामीनारायण ट्रस्ट ने किया है।
  • सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट : सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट ने गुजरात के मुख्यमंत्री राहत कोष में 1 करोड़ रुपए दान किए।
  • कांची मठ : कांची कामकोटि पीठम ने 21 मार्च को जारी किए स्टेटमेंट में प्रधानमंत्री राहत कोष तथा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री राहत कोष में 10-10 रुपए के अंशदान की घोषणा की।
  • माता वैष्णों देवी मंदिर : जम्मू-कश्मीर स्थित माता वैष्णों देवी मंदिर के गैर राजपत्रित स्टॉफ ने जहाँ राज्य के राहत कोष में एक दिन की सैलरी देने का निर्णय लिया, वहीं ट्रस्ट के राजपत्रित स्टॉफ ने अपनी दो दिनों की सैलरी राज्य के राहत कोष में दान की। इसके अतिरिक्त बोर्ड के वाइस चेयरमैन मुर्मू के निर्देश पर कटरा बस्ती में जरूरतमंदों के बीच राशन किटों का भी वितरण किया गया। इसके अलावा श्राइन बोर्ड ने अपने आशीर्वाद काम्प्लेक्स को जिला प्रशासन के लिए सौंप दिया है जो 600 बेडों के अस्पताल के लिए काम आ सकता है।
  • महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन : महाकालेश्वर मंदिर ट्रस्ट ने कुल 5 लाख रुपए, 2.5 लाख प्रधानमंत्री राहत कोष और 2.5 लाख मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किए।
  • माँ महामाया मंदिर ट्रस्ट, विलासपुर छत्तीसगढ़ : मंदिर ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में 5 लाख 11 रुपए दान किए और रेड क्रॉस सोसाइटी को कोरोना के खिलाफ अभियान में 1 लाख 11 हजार दान किए।
  • श्री नित्य चिंताहरण गणपति मंदिर ट्रस्ट : रतलाम मध्य प्रदेश के गणपति मंदिर ट्रस्ट ने भूखों को खाना खिलाने के लिए 1 लाख 11 हजार का दान किया।
  • इसके अलावा सिद्ध विनायक मंदिर रक्त संकलन करने में अपना योगदान देगा।
 

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