हिमाचल-गुजरात चुनाव: GST को लेकर कारोबारियों की समस्याएं जानेंगे मंत्री और सांसद

नई दिल्ली। बीजेपी नेतृत्व कारोबारियों को जीएसटी के कारण हो रही परेशानियों से चिंतित है। हिमाचल और गुजरात के चुनावों को देखते हुए पार्टी को लग रहा है कि कहीं कारोबारियों की नाराजगी से उसे राजनीतिक नुकसान न हो जाए। यही कारण है कि बीजेपी ने इन कारोबारियों की नाराजगी दूर करने का कार्यक्रम बनाया है। अब केंद्रीय मंत्री सहित बीजेपी के तमाम सांसद उनके मीटिंग करेंगे और जीएसटी पर उनकी समस्याएं सुनकर रिपोर्ट बनाएंगे और उसे वित्त मंत्रालय को सौंपेंगे। इस रिपोर्ट पर वित्त मंत्रालय तुरंत कार्रवाई करेगा और जीएसटी काउंसिल के जरिए उनकी समस्याओं को निपटाया जाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस बारे में कार्यक्रम बन चुका है और जल्द इस पर अमल शुरू किया जाएगा।

कारोबारियों के बीच में जाएंगे
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार के कई सीनियर मंत्रियों और बीजेपी के सीनियर नेताओं ने पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली से कहा कि नोटबंदी के बाद जिस तरह से जीएसटी लागू किया गया, उससे कारोबारी काफी नाराज हैं। छोटे और मंझोले स्तर के कारोबारियों को रिटर्न भरने से लेकर माल खरीदने और उसे बेचने में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि कारोबारियों के बीच जाकर इस बारे में उनसे सीधे बातचीत की जाए। अगर नाराज कारोबारियों को मनाया नहीं गया, तो चुनावी मैदान में पार्टी को नुकसान हो सकता है। वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि जीएसटी के तहत जितने लोगों ने अभी तक अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, उसमें 60 प्रतिशत से ज्यादा छोटे और मंझोले कारोबारी हैं।

फीड बैक लेंगे
केंद्र सरकार के मंत्री और सांसदों से कहा गया कि वे अब से नियमित रूप से कारोबारियों के बीच जाकर उनका हाल जानेंगे। उनके साथ नियमित रूप से बैठकें करेंगे। आर्थिक मामलों से जुड़े मंत्रालयों के कई मंत्रियों को ये निर्देश जारी किया गया है कि वे कारोबारियों के बीच जाएं और उनसे पूछें कि उन्हें जीएसटी समेत इन दिनों किस-किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। सांसदों को भी जीएसटी और नोटबंदी पर कारोबारियों से मिलने को कहा गया है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार हैं, उनसे भी कहा गया है कि वे जीएसटी को लेकर कारोबारियों से बातचीत करें। अगर समस्याएं राज्य स्तर पर ठीक हो सकती हैं, तो उसे ठीक करें। अगर नहीं तो वे इन समस्याओं और कारोबारियों से मिले सुझावों और सलाह की रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजें। इन रिपोर्ट की स्टडी के बाद समस्याएं निपटाने पर फोकस होगा।

 

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