हैवानियत का घिनोना रूप !!तमिलनाडु की एक क्रिश्चियन एनजीओ बुज़ुर्गों को मारकर हड्डियां और अंग दूसरे देशों को बेच रहा है

तमिलनाडू के ‘सेंट जोसेफ हॉस्पिंस’ नामक एक गैर-सरकारी संगठन के खिलाफ चौंकाने वाला आरोप उभरा है, जिसमें बीमार मरीज़ों को मार कर उनकी हड्डियों की कटाई की जा रही है। कुछ रिपोर्टों ने यह भी आरोप लगाया है कि यह एनजीओ, अपने मरीज़ों के अंगों की कटाई कर उसे अन्य देशों को बेच भी रही है। ‘Home for Dying Destitute’, नामक यह एनजीओ आर.वी. थॊमस द्वारा 2011 में बनाई गयी थी। ये ईसाई पादरी, डिंडीगुल और पालेश्वरम में भी इसी प्रकार के अन्य दो हॉस्पिंस चला रहा है।

यह क्रिश्चियन हॉस्पिंस, आश्रम की ही तरह होता है जो निराश्रित और बीमार लोगों की शुश्रूशा करता है। 3 फरवरी को “द हिन्दू” अखबार में मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए इस्तेमाल किए गए एक अनधिकृत वॉल्ट के बारे में एक लेख सामने आया था। हालांकि, इस आलेख में बुज़ुर्गों के इलाज के विवरण और स्थानीय लोगों द्वारा हड्डियों की कटाई के आरोप शामिल नहीं थे। लेकिन अब तमिल चैनल “तंति टीवी” ने ज़मीन तौर पर जांच पडताल किया है। इस चैनल ने एनजीओ के खिलाफ स्थानीय लोगों के आरोपों को रोशन किया है और एनजीओ का घिनौनी सच्चाई को जनता के सामने लाया है।

एनजीओ की कथित गैरकानूनी गतिविधियां तब उजागर हुईं जब ग्रामीणों ने एक वैन का रस्ता रॊक कर हंगामा कर दिया, जो अस्पताल से मृतकों की शवों को ले जा रहा था। वैन के अंदर से एक बूढ़ी महिला की रॊने की आवाज़ आ रही थी जिसे बाद में बचा लिया गया। अन्य एक बुज़ुर्ग पुरुष जो डिंडिगुल के निवासी थे उनको भी वैन के अंदर से बाहर निकाला गया। FCRA analyst नामक एक ट्विटर यूसर ने इस एनजीओ को आनेवाली पैसों के सूत्र का भी पता लगाया है। उसके अनुसार ‘Light for the Blind-India” नामक एक संस्था इस एनजीओ को वित्तीय सहायता दे रहा है। यह संस्था विदेशी है और भारत में इस एनजीऒ को पैसा दे रहा है।

समाजसेवा के आड़ में क्रिश्चियन एनजीओ किस तरह के घिनौने पाप कर रहें हैं आप खुद ही देखिए। हमारे दलाल पत्रकार गहरी नींद में हैं उन्हें क्रिश्चियन और मुसलमानों द्वारा किये जाने  वाले घिनौने काम नज़र ही नहीं आते। उनका ध्यान केवल हिन्दुओं के ऊपर है। आये दिन हिन्दुओं को बदनाम करना और जनता को झूठी खबर देना ही उनकी पत्रकारिता का अजेंडा है। द हिन्दू और डेक्कन क्रॊनिकल जैसे दलाल हिन्दू विरॊधी पत्रिकाओं ने केवल वैन से बुज़ुर्गों को बचाने का रिपॊर्ट छापते हुए एनजीओ के धार्मिक प्रकृति को छुपाये रखा था। अगर यही बात किसी हिन्दू आश्रम में हुआ होता तो उसे सुर्खियों में डाल कर देश सारे आश्रमों कॊ ही कटघरे  में खड़ा करते। लेकिन यहां मामला क्रिश्चियन एनजीओ का है इस लिए हो हल्ला नहीं मचायेंगे और न्यूस को वहीं दबादेंगे।

 

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