2014 में मैंने भी दिया था मोदी को वोट, आज दादागीरी से करता हूं विरोध: हार्दिक

नई दिल्ली/मुंबई। गुजरात में पटेल आरक्षण को लेकर आंदोलन शुरू करने वाले हार्दिक पटेल का कहना है कि किसी ने यह नहीं पूछा कि आरक्षण क्यों मांग रहे हो, इसकी जरूरत क्यों पड़ी. न ही कभी इससे जुड़ी दिक्कतों को खत्म करने की कोशिश की गई.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2018 के चौथे अहम सत्र- ‘द यंग टर्क्स: द फ्यूचर ऑफ आइडेंटिटी पॉलिटिक्स’ में हर जगह जाति की बात करने संबंधी सवाल पर हार्दिक पटेल ने कहा कि हम किसी के विरोधी नहीं हैं. हमने किसी का विरोध नहीं किया. रोजगार मांगना, अच्छी शिक्षा मांगना अगर इसको कोई कास्ट पॉलिटिक्स कहता है तो यह मेरी समझ में नहीं आता है.

उन्होंने आगे कहा, ‘गुजरात और देश में जिस तरह से शिक्षा को लेकर भ्रष्टाचार हुआ, रोजगार है नहीं, किसान पूरी मेहनत करता है, दिनभर खेत में रहता है, लेकिन उसे उसके काम का पूरा दाम नहीं मिलता. मैंने गुजरात में जो भी बात कही है, युवाओं के रोजगार की बात की है. सही शिक्षा और किसानों के हक की बात की है. मैं मानता हूं कि एक समुदाय के लिए बात करना दूसरों को पसंद नहीं आ सकता.’

हार्दिक ने आगे कहा कि हमने एसटी-एससी, ओबीसी समाज का कभी विरोध नहीं किया. एक बड़ी बात यह है कि गुजरात के अंदर कुछ अच्छा करने का मौका मिला था, हम लोगों का मानना था कि समाज के सभी लोगों को उनका अधिकार मिलना चाहिए.

उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने स्कूल फीस को लेकर नियम बनाए हैं लेकिन सभी निजी स्कूल अपनी मर्जी से फीस वसूल रहे हैं. लेकिन कोई रोक लगाने वाला नहीं है.

आरक्षण से फायदा को लेकर उन्होंने कहा कि आरक्षण से सारी समस्याएं खत्म नहीं होंगी, लेकिन हम सरकारों (बीजेपी-कांग्रेस) की बनाई नीतियों का विरोध करते हैं. उन्होंने आज तक हमसे नहीं पूछा कि आप लोग आरक्षण मांग क्यों रहे हो, आखिर इसकी वजह क्या है. किसी ने यह नहीं पूछा कि पढ़ाई के बाद कोई रोजगार है? कोई हमारे सवाल उठाने को कास्ट पॉलिटिक्स कहता है, लेकिन हम बड़े गर्व से यह काम करते हैं.

 

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