13 साल की रेप विक्टिम बनी मां, सवालों में घिरा मां-बेटी का भविष्य

babyतहलका एक्सप्रेस
लखनऊ। यह निर्भया तो नहीं, लेकि‍न 13 साल की उम्र में मां बनी रेप विक्टिम की कहानी कुछ कम दर्दनाक नहीं है। दोनों नन्हीं जानें अभी आईसीयू में हैं। यहां से निकल रहे कई सावल अपना जवाब ढूंढ़ रहे हैं। जिस उम्र में मुनिया (बदला हुआ नाम) को खुद मां के आंचल की जरूरत है, उस उम्र में कैसे वह मां की जिम्मेदारी उठा सकती है? मुनिया का भविष्य क्या होगा? सवाल सिर्फ ये नहीं। सवाल तो यह भी है कि उस बच्चे का क्या होगा, जो दुनिया में एक जुल्म की वजह से आया है।
हंसने-खेलने की उम्र में रेप और फिर प्रेग्नेंसी की पहाड़ जैसी तकलीफ से लड़ने वाली मुनिया के लिए आगे का रास्ता कहीं अधिक कठिन होने वाला है। जिस समाज में अभी जींस और मोबाइल तक ठीक से स्वीकार न किया गया हो, वहां मुनिया के साथ क्या व्यवहार होगा। यह इमेजिन करना भी ब‍हुत कठिन नहीं। लखनऊ के क्‍वीन मैरी हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती मुनिया के बच्चे को सभ्‍य समाज के ठेकेदार क्या नाम देंगे? बच्चे की शक्ल तो खुद मुनिया भी नहीं देखना चाहती, जो उसे हर बार अपने साथ हुए जुल्म की याद दिलाए। मुनि‍या का रो-रोकर बुरा हाल है। रोते-रोते उसके आंखों का पानी तक सूख चुका है। बच्चे को देखकर मानों वह यह सोच रही हो, ”तुमने इस धरती पर कदम क्‍यों रखा? तुम्‍हारा भवि‍ष्‍य क्‍या होगा, यह मुझे भी नहीं मालूम। किसी तरह मेरा पीछा छोड़ दो। ताकि समय के साथ मेरे और मेरे मां-बाप के जख्‍म भर सकें। मेरे भाई-बहनों का भविष्य भी मेरे साथ जुड़ गया है।”
‘साहब, इज्‍जत उतर गई’
अनचाही बच्‍ची के धरती पर आंख खोलने के बाद मुनि‍या के मां-बाप ने अभी इसका चेहरा तक नहीं देखा है। आंखों में आसूं और माथे पर चिंता की लकीरें लिए मुनिया के पिता कहते हैं, ”आखि‍र अब हम पड़ोसियों, रि‍श्‍तेदारों और समाज से कैसे आंख मि‍ला पाएंगे। साहब, इज्जत उतर गई है हमारी। मजदूरी कर घर चलाता हूं। बड़ी बि‍टि‍या इंटर में है। मुनि‍या की एक छोटी बहन और एक भाई है। ऐसे में अब उनका क्‍या होगा? अंत में आसमान की तरफ देखते हुए पूछते हैं- न जाने भगवान ने कि‍स जन्‍म की सजा दी है।”
मुनिया के पिता कहते हैं, ”साहब, उसके (आरोपी) घर की चौखट पर कई बार मत्‍था तक टेक चुका हूं, लेकि‍न वो कहते हैं कि बेटा जेल में सड़ जाए, लेकि‍न न तो मुनि‍या को अपनाएंगे और ना ही उसके बच्चे को। जि‍तना पैसा खर्च करना होगा करेंगे, लेकि‍न अपनाएंगे नहीं।”
नवजात बच्‍ची और मुनि‍या के भवि‍ष्‍य के बारे में पिता कहते हैं, ”साहब, उस बच्‍ची को लेकर तो वे घर नहीं जाएंगे। बच्‍ची को हॉस्पिटल में ही छोड़ देंगे। मुनि‍या तो हमारी बच्‍ची है, अभी तक उसने ठीक से होश भी नहीं संभाला है। गुडगांव और दि‍ल्‍ली से दो लोग बच्‍ची को गोद लेने के लिए भी आए थे, लेकिन मैंने कह दिया मुझे इस बारे में कुछ नहीं मालूम। अब जज साहब ही जानें। आठ तारीख को जज साहब मि‍लने आए तो, उन्‍होंने पूछा कि बच्‍ची के पैदा होने के बाद क्‍या करोगे? मैंने साफ कह दि‍या कि मैं नहीं ले जाऊंगा। आप ही जानें क्‍या करना है।”
सरकार और समाज आए आगे
लखनऊ यूनिवर्सिटी के समाजशास्‍त्री डॉ. डीआर साहू कहते हैं, ”परि‍वार की आधारशि‍ला भावनाओं पर टि‍की होती है। सामाजि‍क परि‍वार के परि‍पेक्ष्‍य में देखें तो समाजिकरण और संस्‍कृति‍यों के आदान-प्रदान को आगे बढ़ाने के लि‍ए वंशावली की परंपरा होती है। जहां तक वैध-अवैध का प्रश्‍न है तो जान के खतरे की वजह से बच्‍ची को जन्म दिया गया। मुनिया के मां-बाप को यही लग रहा है कि आने वाले समय में समाज उसका ति‍रस्‍कार कर देगा। मुनि‍या की कोई गलती नहीं है। वह तो अभी छोटी बच्ची है। इस मामले में सरकार और सामाजि‍क संगठनों को आगे आना चाहि‍ए। मुनि‍या पर बोझ डालना ठीक नहीं होगा।”
कानून की नजर में मुनि‍या की पहली जिम्मेदारी
लॉ एक्सपर्ट राकेश सिंह ने कहा,’कानून की नजर में दोनों नाबालि‍ग हैं। कानूनी पहलू से देखा जाय तो कि‍सी भी नवजात बच्‍चे की पहली जिम्मेदारी मां पर होती है। यदि उसके मां-बाप अपनी बच्‍ची को ले जा रहे हैं तो नवजात को भी उन्‍हें अपने साथ लेकर जाना होगा।”
चाइल्‍ड लाइन भेजी जा सकती है बच्‍ची
वहीं, मुनि‍या के माता-पि‍ता के बच्‍ची को अपनाने से इनकार कि‍ए जाने के बाद उसे चाइल्‍ड लाइन के हवाले कि‍या जा सकता है। जहां से कि‍सी को एडाप्‍ट करा दि‍या जाएगा, लेकि‍न मामला कोर्ट से जुड़ा होने के कारण अधि‍कारि‍यों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दि‍या है। इस बीच हॉस्पिटल के सूत्रों ने बताया कि संभवत: कोर्ट के आदेश पर बच्‍ची को चाइल्‍ड भेजा जा सकता है। उधर, बाल कल्‍याण समि‍ति से संपर्क कि‍या गया तो उन्‍होंने बताया कि यदि कोर्ट आदेश दे तो वह बच्‍ची को लेने के लि‍ए तैयार हैं।
यह है मामला
रेप पीड़िता की मां के मुताबिक, बीते 17 फरवरी को गांव में भागवत कथा हो रही थी। रात करीब 11:30 बजे कथा खत्म हुई तो बेटी मंदिर के पीछे बाथरूम करने चली गई। वहां आरोपी ने उसे पकड़ लिया और मुंह दबाकर रेप किया। फिर धमकी दी कि किसी को बताया तो घरवालों को मार डालेगा। इस धमकी से बेटी बुरी तरह डर गई। आठ जुलाई को अचानक उसकी तबियत बिगड़ गई। उसे तुरंत मुजफ्फरनगर महौली से बाराबंकी ले जाया गया। डॉक्टरों ने सोनोग्राफी की तो पता चला कि वो गर्भवती है। इसके बाद बेटी से रेप की घटना के बारे में पता चला। इसके बारे में पुलिस से शिकायत की गई। फिर बेटी के पिता गर्भपात की इजाजत लेने 13 अगस्त को बाराबंकी मजिस्ट्रेट कोर्ट गए, लेकिन वहां कहा गया कि जिला अस्पताल जाओ। 18 अगस्त को सीएमओ से मिले तो उन्होंने कोर्ट जाने को कह दिया। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन 7 सितंबर को कोर्ट ने कहा कि पहले मेडिकल जांच कराओ। जांच के बाद डॉक्टरों की टीम ने ये कहकर इजाजत देने से मना कर दिया कि गर्भ साढ़े सात महीने का हो चुका है। बच्ची की जान जा सकती है।
 

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