16 मई 2014 मोदी जी की लोकसभा चुनाव में जीत,ठीक उसी दिन चिदम्बरम ने मोदी और चोकसी की डील को पारित किया, 21 मई को रघुराम राजन ने इसे मंजूरी दी मोदी जी के प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण से पांच दिन पहले! आखिर इतनी जल्दी क्या थी??
उस दिन जब पुरे देश का ध्यान आम चुनाव के परिणामों पर केंद्रित था, लेकिन कांग्रेस इस कोशिश में लगी थी की हमारे बचे आखरी दिनों में भी हम जितने घोटालों को मुकाम दे सकते है वो देदें| तब ही तो ठीक उसी दिन 16 मई 2014 को पी चिदंबरम ने आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन को जल्दी में एक आदेश पारित करने को दिया था की वह 13 कंपनियों को 80-20 फार्मूले में सोने का आयात करने की अनुमति दे। और मजे की बात तो ये है की उन 13 कंपनियों में, निरव मोदी और मेहुल चोक्सी की कंपनियों को भी आरबीआई से मंजूरी मिली। पी चिदंबरम से पत्र प्राप्त करने के केवल 5 दिन बाद ही, 21 मई को आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने 13 कंपनियों के लिए सभी पत्रों को मंजूरी दे दी क्यूँ की 26 मई, 2014 को प्रधान मंत्री मोदी का शपथ ग्रहण समारोह था|इसलिए उनके शपथ ग्रहण करने से सिर्फ 5 दिन पहले ही की कांग्रेस ने इस घटिया साजिश को अंजाम दे देदिया था।
#BREAKING UPA asked RBI to allow premier trading houses import gold under 80:20. #Epicentre with @maryashakil #NiravDaresIndia#NiravScamKingpin. @Ashish_Mehrishi pic.twitter.com/GmZG6lrpGb
— News18 (@CNNnews18) February 22, 2018
कांग्रेस द्वारा शुरुवात की गयी 80-20 स्वर्ण योजना में, व्यक्ति को सोने का आयात करने की अनुमति तब दी जाती है, अगर वह अपनी कंपनी से 20% सोने का निर्यात कर सके। उदाहरण के लिए: अगर मैं पहले माल में विदेश से 100 किलोग्राम सोने का आयात करता हूं, तो इससे पहले कि मैं स्वर्ण के लिए दूसरी खेप का आदेश देता हूं, मेरी कंपनी को कम से कम 20% सोने का यानी 20 किलोग्राम निर्यात करना होगा। चालू खाता घाटे को रोकने के लिए यूपीए सरकार ने 2013 में यह योजना लाई थी। लेकिन यह योजना असफल साबित हुई और 2016 की सीएजी रिपोर्ट के अनुसार यह योजना केवल कुछ चयनित कंपनियों के लिए लाभान्वित हुई है।
इन 13 कंपनियों में से 7 कंपनियों ने लाभ का 50% से ज्यादा फायदा उठाया है और मेहुल चोकसी की गीतांजली कंपनी उन्ही के बीच में से एक है। इसलिए ही पी चिदंबरम ने इस कंपनी के बारे में धोखाधड़ी का पता होने के बावजूद उन्हें अधिक सोने आयात करने की इजाजत दी, जिसने बैंकों में वर्तमान घाटे को बड़ाया है और कांग्रेस को अधिक पैसा लूटने में मदद की है। पी चिदंबरम जी आप को इतनी क्या जल्दी थी इस आदेश को पारित करने की और रघुराम राजन जी आपको नई सरकार सत्ता में आने से पहले इस समझौते को करने की इतनी क्या आवश्यकता आन पड़ी थी की पांच दिन के अन्दर अन्दर ही इस अमली रुपी जामा भी पहना दिया।
#BREAKING P Chidambaram signed order a week before leaving office. FinMin allowed 13 Pvt business to import gold. @Ashish_Mehrishi with exclusive details. #Epicentre with @maryashakil #NiravDaresIndia#NiravScamKingpin pic.twitter.com/PriCNZlmDZ
— News18 (@CNNnews18) February 22, 2018
यह सिर्फ एक सौदा नहीं था, बल्कि लाखों का आदान प्रदान था और प्रधान मंत्री मोदी के पद संभालने से पहले समझौते को पारित करने के पीछे क्या मकसद था? साफ़ जाहिर हो रहा है की यह एक सामान्य प्रक्रिया के रूप में नहीं किया गया था, लेकिन यह जानकर जानबूझकर किया गया था तांकि कार्यालय छोड़ने से पहले वे ऐसे सभी सौदों को पारित करदे। सत्ता संभालने के बाद, नवंबर 2014 में मोदी सरकार ने 80-20 योजना को रद्द कर दिया था, क्यूँ की मोदी सरकार ने यह पाया था कि इस योजना से केवल सोने के आयात में उछाल आया है और देश के बैंकों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। रघुराम राजन पूरी तरह से इस योजना को खत्म करने के खिलाफ थे और उन्होंने सरकार को इसे खत्म न करने की सलाह दी थी। इसलिए, यह एक बड़ा माफिया था, जो नीरव मोदी और चोकसी जैसे अपराधियों के पक्ष में काम कर रहे थे, और उनको फर्जी योजनाओं से लाभ पहुंचा रहे थे।
जब से यह घोटाला सामने आया है राहुल गांधी चिल्ला चिल्ला कर प्रधानमंत्री मोदी पर दोष लगा रहे हैं, लेकिन अब हर दस्तावेज इस और संकेत दे रहा हैं कि पी चिदंबरम और कांग्रेस नीरव मोदी और चोकसी की खुले तौर पे सभी लाभ प्राप्त करने में मदद कर रहे थे ये जानते हुए भी की उन्होंने बैंकों से धोखाधड़ी की है|इस बात का भी पर्दा फाश हो चूका है कि राहुल गांधी स्वयं निरव मोदी और उनकी कंपनी के संपर्क में थे और ये किसी और ने नही बल्कि उनके स्वयं की पार्टी के सदस्य ने ही खुलासा किया था।
मोदी जी से जवाब मांगने वाले राहुल गांधी और कांग्रेस के पास क्या अब इस बात का जवाब है|अभी तो जनता को तुम लोगों से और बहुत जवाब चाहिए धीरे धीरे तुम लोगों के ऐसे बहुत से रहस्य खुल रहे है|
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