1800 साल बाद फिर राजधानी बनी अमरावती

amrawatiहैदराबाद। आज इतिहास के एक गुजरे दौर ने जैसे फिर से खुद को दोहराया। इतिहास की किताबों में धूल खाती अमरावती ने 18 सदी के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर राजधानी का दर्जा हासिल कर लिया। पीएम मोदी ने नई अमरावती राजधानी की आधारशिला रखी। विजयदशमी के इस पारंपरिक दिन को खास तौर पर आंध्र प्रदेश की राजधानी अमरावती के नए निर्माण की शुरुआत के लिए चुना गया था।

 अमरावती का शानदार इतिहास ऐतिहासिक, राजनैतिक, पुरातत्व, धार्मिक और सांस्कृति महत्व से भरा हुआ है। प्राचीन भारत के सातवाहन वंश की राजधानी रही यह जगह अपने ऐतिहासिक महत्व के बावजूद सदियों तक उपेक्षित रही, लेकिन अब 5 करोड़ आंध्र प्रदेश वासियों की राजधानी और सत्ता के केंद्र के रूप में एक बार फिर अमरावती का नाम राजधानी के तौर पर दर्ज हो गया है।

पुरानी अमरावती ने एक विशाल भूभाग पर फैले लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया। आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक के हिस्सों को 450 साल से भी ज्यादा समय तक यहीं से शासित किया गया। आधुनिक अमरावती की सोच ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के तौर पर विकसित की गई है। भारत के पूर्वी तट पर वाणिज्य, व्यापार, इंडस्ट्री, ज्ञान, चिकित्सा, प्रशासन, हरियाली और पर्यटन के गढ़ के तौर पर विकसित किया जाएगा।

लंबे समय तक उपेक्षित रहने के बाद अमरावती का फिर से खड़ा होना आसान नहीं था। इसके सामने कई राजनैतिक, पर्यावरणीय, प्रशासनिक और सामाजिक बाधाओं को पार करने की चुनौती थी। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने संदेहों को गलत साबित करते हुए विजयवाडा-गुंटुर इलाके में कृष्णा नदी के किनारे की 30,000 एकड़ की कृषियोग्य भूमि को सफलतापूर्वक नई राजधानी बसाने के लिए हासिल किया।

भारत में यह पहला मौका है जब कोई राजधानी इस तरह लैंड-पूलिंग योजना के तहत बसाई जा रही है। इस योजना के मुताबिक जमीन के मालिकों को जमीन के विकास और उसकी कीमत बढ़ जाने के बाद उसमें हिस्सा मिलेगा। उन्होंने अपनी जो कृषियोग्य जमीन दी थी उसका लगभग 30 फीसद हिस्सा उन्हें शहर की महंगी जमीन के तौर पर वापस मिल जाएगा।

हालांकि सीएम नायडू ने किसानों को अपनी जमीन राजधानी के निर्माण के लिए देने को तैयार कर दिया, लेकिन विजयवाडा-गुंटुर इलाके में राजधानी बसाने के अपने फैसले के कारण उन्हें विवाद का भी सामना करना पड़ा। जिस जमीन को राजधानी बसाने में इस्तेमाल किया गया है वहां किसान साल में 3 फसलें उगाते थे। इस इलाके को पारिस्थितिक रूप से बेहद संवेदनशील माना जाता है। अपनी खास वनस्पति व जीवन, जलीय स्रोत और पूर्वी घाट बनाने वाली पहाड़ियों के कारण यह इलाका काफी अहम माना जाता है।

विशेषज्ञों का यह भी कहना था कि प्राचीन भारत के अमरावती शहर का अस्तित्व नया शहर बनने के बाद बिल्कुल खत्म हो जाएगा। हालांकि अमरावती शहर राजधानी का एक हिस्सा है, लेकिन यह नई अमरावती के भौगोलिक अधिकारक्षेत्र से बाहर बसाया गया है। वाम दलों ने राजधानी के निर्माण के लिए सिंगापुर और जापान के ऊपर जरूरत से ज्यादा निर्भर हो जाने के लिए भी सीएम की आलोचना की।

इन चिंताओं से अलग अमरावती 2 मुख्य शहरों- विजयवाडा और गुंटुर के बीच के खांचे में फिट बैठ गया है। ये दोनों शहर राजधानी के विकास में अपनी भूमिका निभाएंगे। यहां 4 राष्ट्रीय राजमार्ग, एक राष्ट्रीय जलमार्ग, एक ‘ग्रैंड ट्रंक’ रेलवे रूट, तेजी से विस्तार ले रहा एक हवाई अड्डा और एक बंदरगाह निर्माण के लिए प्रस्तावित हैं।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button