2000 के बाद सबसे सफल रहा यह मानसून सत्र, लोकसभा में हुआ रिकॉर्ड कामकाज

नई दिल्‍ली। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू हुआ था और 10 अगस्‍त को यह अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित हो गया. इस दौरान संसद में कई ऐसी घटनाएं हुईं, जो चर्चाओं का विषय बनी. जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाया गया और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को भरी संसद में गले लगाकर जादू की झप्‍पी दी.

इसके अलावा वर्ष 2000 के बाद संसद के मानसून सत्र में लोकसभा में सबसे अधिक कामकाज हुआ है. संसद की लोकसभा में यह उत्‍पादकता 110 फीसदी रही. जबकि राज्‍यसभा की उत्‍पादकता 68 फीसदी रही. सरकार तीन तलाक से संबंधित विधेयक को विभिन्न दलों के बीच सहमति नहीं होने के कारण राज्यसभा में चर्चा के लिए नहीं रख पाई.

कई विधेयक मंजूर
मानसून सत्र के दौरान कुल 17 बैठकें हुईं. इस दौरान ‘सत्र के हंगामे में धुल जाने की मीडिया की आशंकाओं को’ गलत साबित करते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मद्देनजर लाया गया अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक-2018 सहित कई प्रमुख विधेयकों को संसद की मंजूरी मिली.

अध्‍यक्ष ने की पुष्टि
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी सदन की कार्यवाही अनिश्चतकालीन समय के लिए स्थगित करने से पहले कहा कि यह सत्र हाल ही के पिछले दो सत्रों अर्थात बजट सत्र 2017 का दूसरा भाग (11वां सत्र) और 2017 का मानसून सत्र (12वां सत्र) की तुलना में कहीं ज्यादा सार्थक रहा.

हरिवंश बने राज्यसभा के उपसभापति
मानसून सत्र के दौरान ही सत्ता पक्ष को एक बड़ी सफलता तब हाथ लगी जब राज्यसभा के उपसभापति पद पर राजग के उम्मीदवार हरिवंश को जीत मिली. हरिवंश ने विपक्ष के उम्मीदवार एवं कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को 101 के मुकाबले 125 मतों से हराया. इससे विपक्षी एकता को झटका लगा क्योंकि उच्च सदन में संख्याबल राजग के पक्ष में नहीं है.

अविश्‍वास प्रस्‍ताव पर 11 घंटे 46 मिनट बहस
इसी सत्र में लोकसभा में तेदेपा सदस्य श्रीनिवास केसिनेनीर की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को 11 घंटे 46 मिनट की चर्चा चली. इस पर 51 सदस्‍यों ने चर्चा की. मत विभाजन के बाद यह प्रस्ताव गिर गया. प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और विपक्षी नेताओं ने राफेल विमान सौदे, बेरोजगारी और कृषि क्षेत्र सहित तमाम मुद्दों पर सरकार को जमकर घेरा. प्रस्ताव के जवाब में प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार और उसके कामकाज का जोरदार बचाव किया.

112 घंटे चली कार्यवाही
सत्र के दौरान लोकसभा की 17 दिनों की बैठक में कुल 112 घंटे कार्यवाही चली और कुल 22 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 21 विधेयक पारित किए गए. वर्ष 2018-19 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों (सामान्य) एवं वर्ष 2015-16 के लिए अतिरिक्त अनुदानों की मांगें (सामान्य) पर चार घंटे 46 मिनट से अधिक की चर्चा हुई और इसके बाद इन्हें मतदान के लिए रखा गया एवं संबंधित विनियोग विधेयक पारित किए गए.

इन विधेयकों को मंजूरी
मानसून सत्र में पारित विधेयकों में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक-2018 और उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के मद्देनजर लाया गया अनुसूचित जातियां एवं अनुसूचित जनजातियां (अत्याचार निवारण) संशोधन विधेयक-2018 प्रमुख हैं. इनके अतिरिक्त नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक-2017, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक-2018, भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक-2018, व्यक्तियों का दुर्व्यवहार (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2018, दांडिक विधि (संशोधन) विधेयक-2018 और वाणिज्यिक न्यायालय, उच्च न्यायालय प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग (संशोधन) विधेयक-2018, राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय 2018 को भी लोकसभा ने मंजूरी प्रदान की.

यह सत्र 140 प्रतिशत अधिक फलदायी
लोकसभा में रुकावटों और इसके परिणामस्वरूप किए गए स्थगनों के कारण आठ घंटे 26 मिनट का समय नष्ट हुआ तथा सभा ने 20 घंटे 43 मिनट देर तक बैठकर विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. उधर, राज्यसभा में समय की उपलब्धता के लिहाज से इस सत्र में 74 प्रतिशत से अधिक कामकाज हुआ जबकि पिछले सत्र में यह महज 25 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि इस सत्र में उच्च सदन से 14 विधेयक पारित किये गए जबकि पिछले दो सत्रों में दस विधेयक पारित हो सके थे. स्पष्ट है कि पिछले दो सत्रों की तुलना में यह सत्र 140 प्रतिशत अधिक फलदायी रहा. वेंकैया नायडू ने कहा कि यदि पिछले दो सत्रों में हुए कामकाज से तुलना की जाए तो मौजूदा सत्र में 140 प्रतिशत अधिक विधायी कामकाज हुआ. सत्र के दौरान लंबित भ्रष्टाचार निवारक संशोधन विधेयक भी पारित किया गया.

27 घंटे 42 मिनट व्‍यवधान
सत्र के दौरान हंगामे के कारण 27 घंटे 42 मिनट का व्यवधान हुआ. किंतु सदन चार दिन निर्धारित समय से अधिक बैठा और करीब तीन घंटे अधिक काम किया। इस दौरान कई नए सदस्यों ने शपथ ली. इनमें मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं. सत्र के अंतिम दिन उच्च सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 विचार एवं पारित किये जाने के लिये सूचीबद्ध था. उल्लेखनीय है कि यह विवादास्पद विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है. विभिन्न दलों की इस पर आपत्तियों को देखते हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसमें तीन संशोधनों को मंजूरी दी है.

 

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