2019 की तैयारी के लिए मायावती ने बदला नारा : ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ से ‘ब्राह्मण उत्पात मचाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’

लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव में चारों खाने चित हो जाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती अब फिर से सूबे में अपना हाथी दौड़ाने में जुट गयी हैं. दरअसल मायावती को इस करारी हार के बाद बहुत बड़ा झटका लगा है. जिसके चलते वह अभी से साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपना परचम लहराने की फ़िराक में हैं. यही नहीं सोशल मीडिया के जरिये वह बीजेपी की तरह बसपा को भी जीत की राह पर ले जाने के प्रयास में हैं.

इसी के चलते वह अपनी सोशल इंजीनियरिंग के नारे ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ को बदलते हुए नया नारा ‘ब्राह्मण उत्पात मचाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ गढ़ा है. अब वह 2019 के लोकसभा चुनाव तक अन्य दलितों और पिछड़े वर्ग पर भाजपा सरकार में होने वाली ‘जुल्म-ज्यादती’ से किनारा करेगी.

विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को 403 में से सिर्फ 19 सीटों पर ही सफलता मिली है. बसपा प्रमुख भले ही ईवीएम पर गड़बड़ी किए जाने की आशंका जाहिर कर रही हों, लेकिन तल्ख सच्चाई यह है कि कभी अनुसूचित जातियों (दलित) कोरी, खटिक, धोबी, मेहतर, कुछबंधिया, पासी और पिछड़े वर्ग की आरख, कहार, केवट, कुम्हार, काछी, कुर्मी, कलार, कचेर जैसी कई जातियां बसपा में राजनीतिक उपेक्षा के चलते पाला बदलते हुए भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में एकतरफा मतदान करने से ही उसकी हालत खस्ता हुई है.

कभी बसपा का गढ़ रहे बुंदेलखंड में बसपा का खाता तक नहीं खुला और भाजपा सभी 19 सीटें जीतने में सफल हुई है, इनमें ललितपुर की महरौनी, झांसी की मऊ-रानीपुर, जालौन की उरई सदर, हमीरपुर की राठ और बांदा जिले की नरैनी सुरक्षित सीटों पर कोरी बिरादरी के ही उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. इन सीटों पर बसपा मुखिया ने अपनी ही जाटव बिरादरी पर दांव लगाकर बहुत बड़ी राजनैतिक भूल की थी. इसी भूल का असर रहा है कि अप्रत्यक्ष रूप से बने ‘कोरी-ब्राह्मण’ गठजोड़ के अलावा सामान्य और अन्य पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी उतार कर भाजपा ने सपा और बसपा के मजबूत किले को ध्वस्त कर दिया है.

बसपा के बड़े नेता भले ही इस भूल को स्वीकार न करें, लेकिन बसपा कैडर से जुड़े जमीनी कार्यकर्ता इसे ही हार की असली वजह मानते हैं. इसके बावजूद वे आश्वस्त हैं कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सूबे की भाजपा सरकार में बसपा से मुंह मोड़ने वाले दलित और पिछड़े वर्ग के लोग ‘जुल्म-ज्यादतियां’ झेलने के बाद फिर बसपा में वापसी के लिए मजबूर होंगे. सूबे में बसपा के चुनाव चिन्ह ‘हाथी’ की पेंटिंग करने वाले सिकलोढ़ी गांव के पेंटर गोरेलाल सुमन का मानना है कि बुंदेलखंड की पांच सुरक्षित सीटों पर मायावती ने जाटव के अलावा अगर अन्य दलित कौम के व्यक्तियों को उम्मीदवार बनाया होता तो शायद इतनी बुरी हालत न होती.

बिसंडा थाने के एक गांव में कोरी बिरादरी की महिला के साथ दिनदहाड़े ब्राह्मण युवक द्वारा किए गए दुष्कर्म और बरछा डड़िया गांव में इसी बिरादरी की आंगनबाड़ी सेविका के घर में घुसकर अश्लील हरकत किए जाने को लेकर सुमन कहते हैं कि अभी तो यह बानगी है, 2019 तक ब्राह्मण वर्ग के उत्पात से ही ये सभी जातियां अपनी सुरक्षा की गरज से एक बार फिर बसपा की ओर रुख करेंगी और बुंदेलखंड की सभी चार लोकसभा सीटें बसपा जीतेगी.

बांदा के पूर्व बसपा जिलाध्यक्ष शिवदयाल रत्नाकर ने पार्टी के सोशल इंजीनियरिंग के नारे ‘ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ को ही बदल दिया है. उन्होंने नया नारा ‘ब्राह्मण उत्पात मचाएगा, हाथी बढ़ता जाएगा’ गढ़ते हुए कहा कि इस सरकार में जाटव के अलावा हर अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों पर ब्राह्मणों का कहर टूटेगा, जिससे बसपा को ही फायदा होगा. बुधवार को संपन्न बसपा की बांदा मंडलीय बैठक में मौजूद कार्यकर्ता लल्लू प्रसाद ने बताया कि बसपा के शीर्ष पदाधिकारियों ने भी इन कौमों पर होने वाली ज्यादती पर चुप्पी साधे रहना तय किया है और 11 अप्रैल को ईवीएम में गड़बड़ी किए जाने को लेकर काला दिवस मनाने की तैयारी में जुटने को कहा है.

बहरहाल इस बड़ी हार से घबराई बसपा जहां लोकसभा चुनाव तक ब्राह्मणों द्वारा किए गए जुल्म से किनारा करने की पक्षधर बनेगी, वहीं अपने से अलग हुई जातियों को फिर से जोड़ने के लिए ‘समस्याएं पैदा करो’ का फॉर्मूला भी अख्तियार कर सकती है.

 

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