2019 चुनाव: बिहार में अभी से शुरू हो गई युवा वोटर को रिझाने की कवायद

पटना।  2019 के आम चुनाव की तैयारी में लग चुके राजनीतिक दल फिर से युवाओं पर दांव लगाने की तैयारी कर रहे हैं. शुरुआत जदयू की ओर से की गई, तो सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने एक स्वर में कहा कि हमारे दल में सबसे ज्यादा युवा नेता हैं. इसके बाद युवाओं को टिकट देने के दावों की होड़ लग गई. आरजेडी तेजस्वी यादव को सबसे युवा नेता बता कर युवा वोटरों को रिझाने की तैयारी कर रहा है. वहीं, कांग्रेस राहुल गांधी और कौकब कादरी को युवा कह कर वोट मांग रही है.

राजनीतिक दल चाहे गरीब सवर्णों को आरक्षण मांग रहे हों या फिर एससी/एसटी एक्ट को पुराने रूप में लाने का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अगर इन दलों की सबसे ज्यादा नजर युवा वोटरों पर है. युवाओं के सहारे ही 2014 की तरह 2019 में चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी की जा रही है. शुक्रवार को जेडीयू के प्रधान महासचिव आरसीपी सिंह ने इसकी शुरुआत की. उन्होंने कहा कि हमारा दल लोकसभा चुनाव के टिकट बांटते समय युवा प्रत्याशियों का खास ख्याल रखेगा. ये बात जैसे ही फैली, अन्य दलों की ओर से देरी नहीं की गई. सबने युवा प्रत्याशियों और नेताओं का राग अलापना शुरू कर दिया.

युवा वोटरों पर निशाना साधने के लिए बिहार सरकार की ओर से खास तैयारी की गई है. युवाओं को ध्यान में रख कर कई योजनाएं चलाई गई हैं. पिछड़े वर्ग के युवाओं के लिए युवा उद्यमी योजना शुरू की गई है, जिसका अच्छा रिस्पांस सरकार को मिला है. शुरू में ही पांच सौ से ज्यादा आवेदनों को स्वीकार किया गया है. युवा बेरोजगारों को बिहार सरकार बेरोजगारी भत्ता के रूप में एक-एक हजार रुपये देने का ऐलान कर चुकी है. इसके अलावा छात्रावासों में रहनेवाले छात्रों को राशन दिया जाएगा. इसकी घोषणा भी हो चुकी है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए खास योजना की शुरुआत की गई है. अगर कोई युवा बीपीएससी की प्री परीक्षा पास कर लेता है, तो उसको तैयारी के लिए 50 हजार रुपये दिए जाएंगे और अगर यूपीएससी की प्री परीक्षा में सफल होता है, तो उसे एक लाख की मदद राज्य सरकार की ओर से की जाएगी.

राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को चार लाख तक का लोन देने की योजना भी चला रखी है. इसके लिए सरकार ने वित्त निगम का गठन किया है, जो युवाओं को लोन मुहैया करा रहा है. सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं को चुनाव में भुनाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है. जेडीयू नेता जिला-जिला में इन योजनाओं के बारे में युवाओं को जानकारी दे रहे हैं. जेडीयू की सहयोगी बीजेपी अपने युवा नेताओं की दुहाई दे रही है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर कहते हैं कि 2014 में चुनाव के बाद जिन राज्यों में भाजपा की सरकार बनी है, उनमें से ज्यादातर में युवा मुख्यमंत्री बने हैं. महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश इसके उदाहरण हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में कई युवा चेहरे शामिल हैं. पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से युवाओं के लिए स्किल इंडिया जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. युवाओं पर बीजेपी ने पहले भी काफी जोर दिया था और आनेवाले चुनाव में भी पार्टी का जोर युवाओं पर ही रहेगा.

कांग्रेस के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को युवा बताते हैं और फिर उस लिस्ट में खुद का नाम शुमार करते हैं और कहते हैं कि हमारे दल से ज्यादा जवान लीडरशिप किस राष्ट्रीय दल के पास है. इधर, कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं कि जेडीयू भले ही युवाओं को साधने की बात कह रही है, लेकिन उससे कुछ संभलने वाला नहीं है, क्योंकि उसकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब तक महागठबंधन के साथ थे, तब तक ही नेताओं में शुमार किये जाते थे, एनडीए में जाने के साथ वो याचक की भूमिका में आ गए हैं. आरजेडी अपने नेता तेजस्वी यादव की दुहाई दे रहा है और उन्हें प्रदेश का सबसे युवा नेता करार दे रहा है. राजद के विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन कहते हैं कि तेजस्वी यादव की जिस तरह से लोकप्रियता बढ़ी है. उनका लोहा देश के बड़े-बड़े नेता मानते हैं. वो भले ही राजनीतिक परिवार से आते हैं, लेकिन उन्होंने खुद को स्थापित किया है. वो ही असली युवा के नेता हैं.

 

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