2030 तक 800 मिलियन लोगों की नौकरी खा जायेगा रोबोट

नई दिल्ली। भारत में खासतौर पर आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन का खतरा तेजी से उभर रहा है। अमेरिका की एक रिसर्च कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक भारत में 7 लाख लोगों की नौकरी जाने की बात कही गई है। एक नए रिसर्च की माने तो साल 2030 तक ऑटोमेशन से दुनियाभर में लगभग 800 मिलियन लोगों का रोजगार रोबोट (ऑटोमेशन) के कारण ख़त्म हो सकता है। यह संख्या आज के श्रमिकों की संख्याबल का पांच गुना है।

McKinsey & Co. ने अपने अनुसंधान में कुल 46 देशों और 800 से अधिक व्यवसायों को कवर करने वाली एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कहा गया है कि रोबोट के बढ़ते कदमों की वजह से दुनिया के तमाम उभरते देशों पर इसका असर पड़ेगा। इसमें मशीन ऑपरेटर, फास्ट-फ़ूड श्रमिक और बैक-ऑफिस कर्मचारी भी शामिल हैं जिनके रोजगार पर असर पड़ने की संभावना है।

यहां तक ​​कि अगर रोबोटों का उदय कम तेजी से हो, तो तकरीबन 400 मिलियन श्रमिक अब भी ऑटोमेशन के कारण खुद को विस्थापित कर सकते हैं। मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट के अध्ययन में पाया गया कि अगले 13 वर्षों में उन्हें नई नौकरी मिलनी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नौकरी से विस्थापित लोगों को नए कौशल सीखने होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें समय के साथ खुद को बदलना होगाऔर  नई चीजें सीखनी होगी।

एक आंकड़े के मुताबिक़ आईटी-बीपीओ के क्षेत्र में करीब 3.7 मीलियन लोग काम कर रहे हैं। लेकिन, ऑटोमेशन को लेकर सबसे ज्यादा असर बीपीओ और इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट स्पेस पर रहेगा जो ऑटोमेशन को अपना रहे हैं। इस वक़्त भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों में तकरीबन 42.5 लाख लोग काम कर रहे हैं।

लेकिन हालही में आये आईटी सेक्टर के बदलाव ने इस क्षेत्र में जाने वाले छात्रों के मन में एक भय पैदा कर दिया है। साल 2015 की ही बात करें तो भारतीय आईटी कंपनियों ने की 24 प्रतिशत नौकरियां कम हुई। इन कंपनियों में टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल और कॉग्निजेंट शामिल हैं।

 

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