26/11: फांसी के रोज पुलिस अधिकारी से ये शर्त हारा था कसाब

मुंबई। 26/11 हमले में शामिल आतंकी अजमल आमिर कसाब मानता था कि अफजल गुरु और उसे भारत की अदालतें कभी भी फांसी की सजा नहीं दे पाएंगी। कसाब की यह धारणा थी कि न तो अफजल को और न ही उसे कभी फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा। इसलिए अपनी फांसी से 2 दिन पहले जब 26/11 केस के मुख्य जांच अधिकारी रमेश महाले ने उससे आर्थर रोड जेल में कहा कि उठो, अब तुम्हें फांसी के लिए चलना है, तो उसने उन्हें जवाब दिया था कि मैं आपसे शर्त हार गया।

दरअसल, अपनी गिरफ्तारी के बाद कसाब करीब सवा दो महीने तक मुंबई क्राइम ब्रांच की कस्टडी में रहा था। उसे करीब एक दर्जन केसों में आरोपी बनाया गया था, इसलिए कोर्ट से उसकी इतनी लंबी पुलिस कस्टडी पाने में क्राइम ब्रांच टीम को सफलता मिली थी। बाद में उससे जुड़े सभी केसों को एक में ही समाहित कर दिया गया था।

..जब पुलिस अधिकारी ने लगाई कसाब से शर्त
पूछताछ की उसी प्रक्रिया के दौरान वह जांच अधिकारियों को अपने दिल के कई राज खोल बैठा था। उसी दौरान एक दिन जब महाले ने उससे कहा कि उसने जो गुनाह किया है , क्या उसे अहसास है कि इसमें उसे फांसी हो सकती है? तो कसाब ने जवाब दिया था कि जब आप लोग आठ साल में अफजल गुरु को फांसी नहीं दे पाए, तो मुझे क्या दे पाओगे। तब महाले ने उससे शर्त लगाई थी कि अफजल को भी फांसी होगी और तुम्हे भी। महाले ने बताया कि जब मैं सन 2012 में 19 और 20 नवंबर की रात आर्थर रोड जेल में उसकी बैरक में गया, तो मैंने उससे पूछा कि पहचान कौन? उसने फौरन जवाब दिया- रमेश महाले। तब मैंने उसे बताया कि तुम्हें क्या मेरी फांसी वाली बात याद है? चलो, अब तुम्हें फांसी के लिए ही यहां से चलना है। तब उसने कहा कि मैं वाकई आपसे शर्त हार गया। कसाब को 21 नवंबर, 2012 को और अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था।

पुलिस कस्टडी में कसाब को दिए गए नए कपड़े
किसी भी आरोपी व आतंकी से अधिक से अधिक जानकारी निकालने के लिए अलग-अलग जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारी पूछताछ की अलग -अलग प्रक्रिया अपनाते हैं। ऐसे अपराधियों से कभी सख्ती से, तो कभी बहुत प्यार से सवाल पूछे जाते हैं। महाले ने भी कसाब के साथ ऐसा ही किया था। गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद तक कसाब वही कपड़े पहने रहा जिसे पहनकर वह कराची से अपने 9 साथियों के साथ मुंबई आया था, लेकिन बाद में उसे पुलिस कस्टडी में ही दो जोड़ी नए कपड़े दिए गए।

महाले ने कसाब को दिलाए तीन जोड़ी कपड़े
पुलिस कस्टडी खत्म होने के बाद जब उसे जेल भेजा गया और 2009 में उसके खिलाफ आर्थर रोड जेल में ही बनी विशेष अदालत में मुकदमा आरंभ हुआ, तो एक दिन कसाब ने महाले को उन नए दो जोड़ी कपड़ों की याद दिलाते हुए उनसे एक जोड़ी और नए कपड़े की फरमाइश कर दी। महाले ने उसके लिए फौरन एक जोड़ी नए कपड़े मंगवाए। जब वह इन कपड़ों को पहनकर कोर्ट में पेश हुआ, तो जज ने उससे कुछ पारंपरिक प्रारंभिक सवालों की प्रक्रिया के दौरान एक सवाल यह भी पूछा कि क्या पुलिस वालों ने तुम्हे पुलिस कस्टडी में मारा था? तो जवाब में उसने जज को महाले से मिले इन तीन जोड़ी नए कपड़ों की याद दिला दी। महाले कहते हैं कि पाकिस्तान को समझना चाहिए कि प्रिंसिपल ऑफ नेचुरल जस्टिस भी यही होता है, लेकिन पाकिस्तान ने हमारे कुलभूषण जाधव के साथ जो बर्ताव किया और कर रहा है, वह बहुत ही क्रूर और बेहद ही अमानवीय है।

बेहद गोपनीय रखी गई कसाब को फांसी के फैसले की बात
26/11 केस के मुकदमे के बाद अलग-अलग कोर्ट से हरी झंडी मिलने और राष्ट्रपति द्वारा सिग्नेचर करने के बावजूद कसाब को फांसी दिए जाने की तारीख को बेहद गोपनीय रखा गया था। सिर्फ चंद पुलिस अधिकारियों को इसकी जानकारी थी । इनमें तब के डीजीपी संजीव दयाल, मुंबई पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह, जॉइंट सीपी सदानंद दाते, आईजी देवेन भारती, जेल की अडिशनल डीजी मीरा बोरवनकर के अलावा दो-तीन अन्य पुलिस अधिकारी शामिल थे।

परिवार को भी नहीं बताई थी फांसी की बात
रमेश महाले को सत्यपाल सिंह ने पांच दिन पहले फांसी की तारीख बता दी थी जबकि दाते ने उन्हें उसी दिन इसकी सूचना दी थी, जिस दिन कसाब को आर्थर रोड जेल से निकालकर पुणे की यरवदा जेल ले जाया जाना था। महाले उन दिनों क्राइम ब्रांच की यूनिट-वन में कार्यरत थे। तब क्राइम ब्रांच के चीफ हिमांशु राय हुआ करते थे, जो हकीकत में महाले के बॉस थे। पर आश्चर्यजनक रूप से हिमांशु राय को पता ही नहीं था कि महाले कसाब को फांसी दिलवाने के लिए मुंबई से बाहर गए हुए हैं। कसाब का फांसी का ऑपेरशन इतना गोपनीय रखा गया था कि महाले ने क्राइम ब्रांच की यूनिट वन में अपने केबिन का दरवाजा तीन दिन तक ओपन रखा था, ताकि उनके सहकर्मियों को यह गलतफहमी रहे कि वह मुंबई में ही कहीं हैं, मुंबई के बाहर नहीं। आम दिनों में महाले जब भी अदालती प्रक्रिया या पुलिस मुख्यालय से बाहर किसी मीटिंग के लिए निकलते थे, तो उनके केबिन के दरवाजे पर हमेशा ताला लटका मिलता था। उन्होंने अपने परिवार से भी कसाब की फांसी की तारीख का राज छिपा कर रखा था।

 

देश-विदेश की ताजा ख़बरों के लिए बस करें एक क्लिक और रहें अपडेट 

हमारे यू-टयूब चैनल को सब्सक्राइब करें :

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें :

कृपया हमें ट्विटर पर फॉलो करें:

हमारा ऐप डाउनलोड करें :

हमें ईमेल करें : [email protected]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button