लखनऊ। तीन दशकों तक जुर्म की दुनिया में आतंक मचाने वाले मुन्ना बजरंगी का साम्राज्य मात्र 28 महीने में खत्म हो गया। प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने 1984 में एक व्यापारी की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद उसने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
तीन दशकों में आतंक का दूसरा पर्याय बन चुके मुन्ना बजरंगी को पहला झटका 5 मार्च 2016 को लगा। मुन्ना बजरंगी का पूरा कारोबार देखने वाले उसके साले पुष्पजीत सिंह की लखनऊ के विकास नगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुष्पजीत सिंह के साथ उसके दोस्त संजय मिश्रा की भी हत्या हुई थी। सजंय मिश्रा इंटर कॉलेज में प्रवक्ता था।
मुन्ना बजरंगी भले ही जेल में हो लेकिन, पुष्पजीत सिंह उसके जुर्म के करोबार को आगे बढ़ा रहा था। पुष्पजीत की मौत के बाद न सिर्फ मुन्ना बजरंगी का कारोबार ढगमगाया, बल्कि उसकी पकड़ भी कुछ कमजोर पड़ने लगी थी।
पुष्पजीत के परिवार ने हत्या का आरोप पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के परिवार पर लगाया था। पुलिस ने पूर्व विधायक के भाई बृजेश राय, मनोज राय और आनंद ऊर्फ मुन्ना राय के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन जांच में इन सभी को निर्दोष पाया और क्लीन चिट दे दी।
पुष्पजीत की मौत से शुरू हुआ सिलसिला
पुष्पजीत की मौत के बाद गिरोह की कमान मुन्ना बजरंगी के बेहद करीबी तारिक ने संभाली। लेकिन दिसंबर 2017 में गोमती नगर विस्तार ओवर ब्रिज पर बाइक सवार बदमाशों ने तारिक की भी गोली मारकर हत्या कर दी।
इस हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह व तारिक की पत्नी ताहिरा उर्फ नेहा ने गोमती नगर थाने में नामजद एफआईआर दर्ज करायी थी। इस मामले की जांच एसटीएफ कर रही है।
बिखर चुके साम्राज्य को बचाने की आखिरी कोशिश
तारिक की हत्या के बाद से मुन्ना बजरंगी का गिरोह बिखरने लगा था। वह खुद जेल में था। विधायक मुख्तार अंसारी (जिसकी शह पर मुन्ना बजरंगी का दबदबा पूरे पूर्वांचल में कायम था) भी लंबे समय से जेल में था। जेल के बाहर मौजूद उसके गैंग के गुर्गे या तो मारे जा चुके थे, या एनकाउंटर के डर से अंडरग्राउंड हो चुके थे। जेल में बंद मुन्ना बजरंगी काफी कमजोर पड़ चुका था।
वहीं उसके दुष्मन अभी-भी उसकी जान लेने की फिराक में थे। इसी डर के चलते मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा ने 29 जून को प्रेस कॉफ्रेंस कर सीएम योगी से सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन प्रेस कॉफ्रेंस के दस दिन बाद जेल में बंद मुन्ना बजरंगी की हत्या इस अंदाज में जेल के अंदर ही हो जाएगी, इसकी कल्पना न शायद सीएम योगी ने की थी और न ही पुलिस प्रशासन ने।
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