29 साल पुराना मिथक तोड़ नोएडा पहुंचे CM योगी, बायर्स को दिया भरोसा

नोएडा। पिछले 29 साल से यूपी के मुख्यमंत्रियों का नोएडा में न आने के मिथक को योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को तोड़ दिया. योगी आज 25 दिसंबर को नोएडा के बोटेनिकल गार्डेन मेट्रो स्टेशन पर होने वाले मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह की तैयारियों का जायजा लेने आए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे.

योगी ने कहा कि मैं 25 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम का मुआयना करने आया हूं. योगी ने यहां एक बार फिर से पिछली सरकारों को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे की समस्याएं पिछली भ्रष्ट सरकारों की की देन है. बीजेपी के सत्ता में आते ही बिल्डर, बायर और किसान की समस्याओं के लिये मंत्री समूह का गठन किया गया है.

योगी ने बताया कि पहली बार हम लोग 31 दिसंबर तक 40 हजार बायर्स को घर उपलब्ध कराने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिल्डर-बायर्स के जो भी मुद्दे हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से सुलझाया जाएगा. आगामी तीन महीने में इतने ही फ़्लैट दिये जाएंगे. न्यायालय के बाहर जो भी मामले हैं, सरकार उनका समाधान करेगी.

गौरतलब है कि यूपी की सियासी जमात के बीच अनकही मान्यता है कि मुख्यमंत्री रहते हुए जो भी शख्स नोएडा पहुंचेगा, उसकी सत्ता छिन जाएगी. अपशगुन का ये चक्रव्यूह इतना खतरनाक माना जाता है कि 19 सालों में सिर्फ मायावती ने ही बतौर सीएम नोएडा का दौरा किया था. अब मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को तोड़ दिया है.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि नोएडा बस एक मिथक है और वो इसे तोड़कर रहेंगे. इसलिए एक नहीं दो-दो बार नोएडा की धरती पर कदम रखकर योगी आदित्यनाथ ये जताएंगे कि वो सियासत के साथ धर्म-कर्म और पूजा पाठ में भले ही डूबे रहते हों लेकिन अंधविश्वासों से परे हैं चाहे ये अंधविश्वास उनकी कुर्सी से ही क्यों न जुड़ा हो.

नहीं पहुंचे थे अखिलेश

पिछली सरकार के मुखिया अखिलेश यादव 5 साल में एक बार भी नोएडा कदम रखने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. नोएडा से जुड़ी कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास अखिलेश ने लखनऊ बैठे-बैठे ही कर डाला.

अब योगी आदित्यनाथ नोएडा आ रहे हैं, वो ऐसा करने वाले वो 29 साल में सिर्फ दूसरे मुख्यमंत्री होंगे. आदित्यनाथ ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो जानबूझ कर राजनीतिक रूप से ‘मनहूस’ माने जाने वाले नोएडा जाने की हिम्मत कर रहे हैं. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जानते-बूझते 2011 में नोएडा गई थीं और 2012 के चुनावों में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.

 

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