30 बच्चों की मौत का जिम्मेदार BRD मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल गोरखपुर छोड़ कर भगा

काफी पहले से पता था रुक जाएगी ऑक्सीजन सप्लाई

गोरखपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में में 24 घंटों के भीतर 30 मरीजों की मौत का मामला गर्माता जा रहा है. जहां इन मौतों का कारण ऑक्सीजन सप्लाई बंद होना बताया जा रहा है वहीँ डीएम राजीव रौतेला इसे सामान्य मौतें बता रहे हैं. इस मामले में चौंकाने वाला खुलसा यह हुआ है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को भुगतान के अभाव में ऑक्सीजन सप्लाई खत्म होने की बात कई दिनों पहले पता लग चुकी थी, लेकिन वे इस मामले में मीडिया को मैनेज करने में लगे थे. यही नहीं स्थिति बिगड़ने की आशंका के चलते वे पहले गोरखपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. यही नहीं अपनी पोल खुलने के डर से राजीव मिश्रा ने मेडिकल कॉलेज कैंपस में अघोषित बैन लगा रखा था.

यही नहीं जब दो दिन पहले बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से जब बजट के अभाव में ऑक्सीजन की सप्लाई के बारे में मीडिया ने पूछा तो, राजीव मिश्रा ने कहा, “ऑक्सीजन का बजट आ गया है, जल्दी ही भुगतान कर दिया जाएगा. वहीं सप्लाई की बात है तो इसके लिए ऑक्सीजन गैंस सिलेंडर पर्याप्त मात्रा में हैं.” इसके बाद भी 10-11 अगस्त की रात मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी गई।

इस मामले में जो तथ्य सामने आये हैं उनके मुताबिक़

– बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा सेल्स का करीब 70 लाख रुपये बकाया था, जबकि बकाया रकम की अधिकतम मियाद 10 लाख रुपये ही है.

– बकाया भुगतान न होने पर फर्म ने सप्लाई ठप करने की चेतावनी पहले दी थी. – बकाया भुगतान के लिए फर्म पुष्पा सेल्स के अधिकारियों ने महानिदेशक चिकित्सा-शिक्षा व डीएम को भी पत्र लिखा था.

– मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार को सेंटर पाइप लाइन ऑपरेटर ने प्रिंसिपल, एसआईसी, एचओडी एनेस्थिसिया, इंसेफेलाइटिस वार्ड के नोडल ऑफिसर को बाकायदा लिखित में न दोबारा लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई का स्टाक बेहद कम होने की जानकारी दी.

– गुरुवार को लिक्विड आक्सीजन की रीडिंग 900 पर पहुंच चुकी थी – बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2 साल पहले ही लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट लगाया गया था.

– बीआरडी मेडिकल कॉलेज और पुष्पा सेल्स के बीच ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर हुए एग्रीमेंट के मुताबिक़ बकाए की अधिकतम रकम 10 लाख रुपये ही हो सकती थी.

– पुष्पा सेल्स के ऑफिसर दिपांकर शर्मा ने पत्र लिखकर बताया था कि कालेज प्रशासन लगातार अनुबंध का उल्लंघन कर रहा है। शर्तों के मुताबिक कालेज को अधिकतम 10 लाख रुपये की गैस ही उधार मिल सकती है। उसे बिल प्रस्तुत करने के 15 दिन के अंदर रकम का भुगतान करना होगा। बीते छह महीने से बकाया धनराशि को लेकर पत्राचार चल रहा था।

– गोरखपुर के डीएम राजीव रौतेला के मुताबिक इस समय लगभग 70 लाख रूपये का हो चुका था और 35 लाख रूपये का भुगतान किया जा चुका था.

– डीएम राजीव रौतेला के मुताबिक कंपनी ने बताया था कि अभी भुगतान उसके अकाउंट में ट्रान्सफर नहीं हुआ था. – डीएम के मुताबिक़ उन्होंने कंपनी से भुगतान कराने का वादा करते हुए सप्लाई न रोकने की रिक्वेस्ट की थी.

– इस मामले में कंपनी ने 40 लाख रुपये का भुगतान फौरन करने की मांग की थी. यह पत्र पुष्पा सेल्स के दीपांकर शर्मा ने लिखा था कि लिक्विड ऑक्सीजन को देहरादून के आईनॉक्स कंपनी से खरीदा जाता है, इसलिए वे इस भुगतान के बाद ही ऑक्सीजन सप्लाई चालू रखने में  सक्षम हो सकेंगे.

इन तथ्यों के सामने आने के बाद सवालक उठ रहे हैं कि जब 70 लाख का बकाया हो चुका था तो प्रिंसिपल ने इस मामले में शासन को क्यों नही सूचित किया था? इस मामले में जब प्रिंसिपल राजीव मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ आया. जानकारी करने पर यह पता लगा कि स्थित बिगड़ने के डर से राजेव मिश्रा गोरखपुर से दिल्ली जा चुके हैं. 

 

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