5 साधुओं को राज्यमंत्री बनाने के पीछे शिवराज सिंह की क्या है रणनीति?

चुनावी साल में जहां भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता निगम एवं मंडलों में नियुक्ति पाने के लिए नेताओं की परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांच बाबाओं और संतों को राज्य मंत्री के दर्जे से नवाज कर सभी को चौंका दिया है. राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजे गए बाबा नर्मदा पट्टी में पूजे जाते हैं. माना यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री इन बाबाओं का उपयोग विधानसभा के चुनाव में अपनी ब्रांडिंग के लिए करेंगे.

राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजे गए बाबाओं को साधने के लिए सरकार ने नर्मदा किनारे पर वृक्षारोपण, स्वच्छता और जल संरक्षण के लिए जागरूकता के लिए एक समिति गठित की है. राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त बाबा इस समिति के सदस्य हैं. जिन बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है वे नर्मदानंद जी, हरिहरा नंद जी, कंप्यूटर बाबा, योगेन्द्र महंत जी और ग्रहस्थ संत भययूजी महाराज हैं.

दिग्विजय की परिक्रमा की काट है बाबा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा 9 अप्रैल को नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट में समाप्त हो रही है. माना यह जा रहा है कि दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा के समाप्त होने के बाद रेत के अवैध उत्खनन पर शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर बड़ा हमला बोल सकते हैं. राज्य में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं.

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इनमें 120 सीटें नर्मदा पट्टी की हैं. दिग्विजय सिंह अपनी परिक्रमा के दौरान ही कई बार यह संकेत दे चुके हैं कि सरकार ने नर्मदा के किनारे 6 करोड़ वृक्ष लगाने का जो दावा किया है, वह जमीन पर सही नजर नहीं आता है. उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा से पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी नर्मदा यात्रा की थी. मुख्यमंत्री चौहान की नर्मदा यात्रा 11 दिसंबर 2016 से 15 मई 2017 तक चली थी. जून माह में सरकार ने नर्मदा किनारे छह करोड़ वृक्ष लगाने का अभियान शुरू किया था.

सरकार का दावा था कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में वृक्षारोपण के लिए मध्यप्रदेश का नाम दर्ज होगा. दस माह बाद भी सरकार को वर्ल्ड रिकार्ड का सर्टिफिकेट नहीं मिला है. नर्मदा नदी के नाम पर बनाई गई समिति में बाबाओं की इंट्री और राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने के पीछे मुख्यमंत्री की रणनीति दिग्विजय सिंह के आरोपों से बचाव करने की है. बाबा यदि नर्मदा संरक्षण को लेकर सरकार की तारीफ करते हैं तो दिग्विजय सिंह के आरोपों की आसानी से हवा भी निकाली जा सकती है.

मुख्यमंत्री चौहान ने जिन बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है उनमें कंप्यूटर बाबा और योगेन्द्र महंत ने एक अप्रैल से पंद्रह अप्रैल तक नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने की घोषणा की थी. घोषणा पर अमल शुरू होता इससे पहले ही सरकार ने 31 मार्च को एक समिति गठित कर दी. समिति में इन बाबाओं को भी रख लिया. तीन मार्च को पांच बाबाओं को राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया.

सरकारी सुविधाओं को लेकर असमंजस

पांच बाबा और संत जिस समिति के सदस्य बनाए गए हैं, उसके अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं. समिति में कुछ मंत्री और विभागीय अधिकारी भी सदस्य हैं. कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता भी समिति हैं. राज्य मंत्री का दर्जा सिर्फ बाबा और संतों को दिया गया है. दर्जा मिलने के बाद ये बाबा राज्य मंत्री को मिलने वाली सुविधाओं के पात्र हो जाते हैं. बाबाओं को वेतन दिया जाएगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त इन बाबाओं का कोई कार्यालय नहीं होगा, इस कारण उन्हें सिर्फ राज्य मंत्री के समान यात्रा भत्ता ही उपलब्ध कराया जाएगा. यद्यपि सूत्रों ने कहा कि अन्य सुविधाओं के बारे में मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार व्यवस्था की जाएगी.

इंदौर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे कंप्यूटर बाबा

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कंप्यूटर बाबा का पूरा नाम नाम देव दास त्यागी है. वे तेज तर्रार स्वभाव के हैं. सोशल मीडिया में हमेशा ही सक्रिय रहते हैं. लैपटॉप हमेशा उनके साथ ही रहता है. वर्ष 2014 में कंप्यूटर बाबा की इच्छा इंदौर से लोकसभा का चुनाव लड़ने की थी. उन्होंने अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी से टिकट भी मांगा था. पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाया. कंप्यूटर बाबा लगातार शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर हमले बोलते रहे हैं. पिछले साल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुए साधु-संतों के भोज में भी बाबा कंप्यूटर बाबा को नहीं बुलाया गया था. उसके बाद कंप्यूटर बाबा ने सरकार के खिलाफ अभियान चलाने की घोषणा कर दी थी. ग्रहस्थ संत भय्यू जी महाराज इंदौर में रहते हैं. वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी के करीबी माने जाते हैं.

 

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