ये तो गजब है: फिर बाहर आया EVM का जिन्न, वोटर मात्र 90 और पड़ गए 171 वोट!!!

असम में हो रहे विधानसभा चुनाव में एक बार फिर चुनाव आयोग सवालों के घेरे में आ गया है. लेकिन इस बार मामला पहले से ज्यादा हैरान करने वाला है. दरअसल असम के हाफलॉन्ग विधानसभा क्षेत्र के खोटलिर एलपी स्कूल के 107ए मतदान केंद्र पर सिर्फ 90 मतदाता पंजीकृत हैं. यानि इस पोलिंग बूथ पर  सिर्फ 90 मतदाता ही हैं. लेकिन जब वोटिंग हुई तो पता चला कि यहां तो 171 वोट पड़ गये।

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अब इसी बात को लेकर चुनाव आयोग विपक्षी दलों के निशाने पर आ गया है। दरअसल आजादी के 70 सालों में चुनाव आयोग ने कई चुनाव कराए हैं. लेकिन बीते कुछ सालों से अगर देखें तो चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं. जब भी कहीं चुनाव होते है, तो विपक्षी दल चुनाव आयोग की निष्पक्षता और सत्तारूढ़ दल की सहायता करने का आरोप लगाते रहते है.

इन सबके बीच चुनाव आयोग को कई बार अपनी तरफ से सफाई भी देनी पड़ी। यहां तक की चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्षता साबित करने के लिए तमाम राजनीतिक दलों को ईवीएम में गड़बड़ी साबित करने का मौका भी दिया। लेकिन इस सबके बाद भी चुनाव आयोग पर सवाल उठने बंद नही हुए है।

एक बार फिर से देश में चुनावी माहौल है और फिर से ईवीएम का जिन्न बाहर निकल आया है. जिसे लेकर विरोधी दलों ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। क्योंकि गाहे-बगाहे ऐसा चमत्कार होता रहा है जिसे लेकर विपक्ष एक सुर में चुनाव आयोग पर सवाल खड़े करने लगता है।

अब इस मामले को ही देख लिजिये असम की हाफलॉन्ग विधानसभा क्षेत्र के खोटलिर एलपी स्कूल के 107ए मतदान केंद्र पर सिर्फ 90 मतदाता हैं लेकिन वहां 171 वोट पड़ गये। ये कोई चमत्कार तो नहीं है. जाहिर है कि वोटिंग में अनियमितता हुई है. दोगुना मतदान हुआ. ऊपर से सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि एक चुनाव अधिकारी के मुताबिक गांव के प्रधान ने चुनाव आयोग की मतदाता सूचि को मानने से ही इनकार कर दिया. और अपनी एक अलग ही सूची लेकर सामने आ गए।

जिसके बाद चुनाव आधिकारियों ने ना सिर्फ गांव के प्रधान द्वारा दी गई सूची को स्वीकार किया, बल्कि गांव वालों ने प्रधान की सूची के मुताबिक वोट भी डाला. हालांकि इस पूरे मामले में अभी तक चुनाव आयोग के अधिकारियों की तरफ से इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है कि अखिरकार उन्होंने क्यों गांव के प्रधान की सूची को स्वीकार किया.

 

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