कृषि कानून: कमेटी को लेकर वकील ने उठाए सवाल तो CJI ने कही ये बड़ी बात…

सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है. जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं.

सांसद तिरुचि सीवा की ओर से जब वकील ने कानून रद्द करने की अपील की तो चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि हमें कहा गया है कि साउथ में कानून को समर्थन मिल रहा है. जिसपर वकील ने कहा कि दक्षिण में हर रोज इनके खिलाफ रैली हो रही हैं. चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि वो कानून सस्पेंड करने को तैयार हैं, लेकिन बिना किसी लक्ष्य के नहीं. किसानों के एक वकील ने कहा कि इस तरह का मानना है कि कमेटी मध्यस्थ्ता करेगी. जिसपर चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि कमेटी मध्यस्थ्ता नहीं करेगी, बल्कि मुद्दों का समाधान करेगी.

अदालत में हरीश साल्वे की ओर से कहा गया कि 26 जनवरी को कोई बड़ा कार्यक्रम ना हो, ये सुनिश्चित होना चाहिए. जिसपर चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि दुष्यंत दवे की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि रैली-जुलूस नहीं होगा. हरीश साल्वे ने इसके अलावा सिख फॉर जस्टिस के प्रदर्शन में शामिल होने पर आपत्ति जताई और कहा कि ये संगठन खालिस्तान की मांग करता आया है. चीफ जस्टिस (CJI) ने कहा कि वो ऐसा फैसला जारी कर सकते हैं जिससे कोई किसानों की जमीन ना ले सके.

कृषि कानून को लेकर सरकार और किसाान के बीच चल रहे टकराव के मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है. इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं.

ये भी पढ़ें-बड़ी खबर: कृषि कानून के विवाद को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की कमेटी, इन लोगों को किया गया शामिल…

सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या के समाधान के लिए कमेटी बनाने का कहा है. कमेटी बनती है तो उसमें सिर्फ पंजाब के किसान ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान संगठनों से बातचीत की जाएगी. देश के कई राज्यों के किसानों ने इस बिल का समर्थन किया है. ऐसे में प्रदर्शन कर रहे पंजाब के किसानों को आशंका है कि उनकी मांगों को नहीं माना जाएगा.

कृषि कानून को लेकर पिछले 48 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है. बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एक कमेटी गठन करने की बात कही थी जिसके लिए सरकार और किसानों के पक्षकारों से कुछ नाम देने के लिए कहा था. लेकिन अब किसानों ने कमेटी में शामिल होने से इंकार कर दिया है. किसानों का कहना है कि, वह किसी भी कमेटी का हिस्सा नहीं बनेंगे. अगर सरकार बिल को वापस नहीं लेती है तो 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी.

किसान संघर्ष कमेटी ने कहा है कि, सुप्रीम कोर्ट कुछ भी कहे, हमारी मांग सिर्फ तीनों कानूनों को वापस कराने की है. अगर कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तो हमारी तैयारी पूरी है और 26 तारीख को परेड निकाली जाएगी और उससे पहले 13 तारीख को लोहड़ी मनाकर कृषि बिल की कॉपी जलाएंगे और लालकिला कूच करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठन के वकील ए पी सिंह को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको विश्वास हो या नहीं, हम सुप्रीम कोर्ट हैं. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमें लगता है कि जिस तरह से धरना प्रदर्शन पर हरकतें ( जुलूस, ढोल, नगाड़ा आदि) हो रही हैं उसे देख कर लगता है एक दिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ घटित हो सकता है. हम नहीं चाहते कि कोई घायल हो.

 

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