1857 की क्रांति के योद्धा और महान स्वतंत्रता सेनानी अहमदुल्ला शाह के नाम पर बनेगी अयोध्या की मस्जिद!

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) जिले में बन रहे भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) से करीब 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद (Mosque) का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी अहमदुल्ला शाह (Ahmadullah Shah) के नाम पर रखे जाने की खबर आ रही है।

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) जिले में बन रहे भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) से करीब 25 किलोमीटर दूर धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद (Mosque) का नाम महान स्वतंत्रता सेनानी अहमदुल्ला शाह (Ahmadullah Shah) के नाम पर रखे जाने की खबर आ रही है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम समाज को मिली 5 एकड़ जमीन पर गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर मस्जिद की नींव रखी गई है।

प्रथम स्वाधीनता संग्राम यानी गदर के सेनानी मौलवी अहमदुल्ला शाह (Ahmadullah Shah) के नाम पर मस्जिद का नाम रखने के बारे में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा मस्जिद निर्माण की देखरेख के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित न्यास इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (Indo Islamic Cultural Foundation) गंभीरता से विचार कर जा रहा है।

अयोध्या में बनने वाली मस्जिद को एकदम नया लुक दिया गया है। पांच एकड़ पर बनने वाली वाली तीन इमारतों की मस्जिद का डिजाइन इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला पर आधारित है। मस्जिद के परिसर के 24 हजार स्क्वॉयर फीट में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन कंटेंपरेरी है। यह पुराने ट्रेडिशनल मस्जिदों की डिजाइन से बिल्कुल अलग है।

आपको बता दें कि अहमदुल्ला शाह 1857 की क्रांति के योद्धा थे। ब्रिटिश शासन से लोहा लेने वाले और उनको नाकों चना चबवाने वालों में सबसे बड़ा नाम मौलवी अहमदुल्ला शाह ‘फैजाबादी’ का था। उन्हीं के नेतृत्व में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की पहली जंग में अवध पर विजय पाई गई थी।

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कहते हैं कि उनकी संगठन शक्ति इतनी मजबूत थी कि लाख कोशिशों के बावजूद भी अंग्रेज हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ नहीं पाए थे। अहमदुल्ला शाह के शौर्य का लोहा अंग्रेज भी मानते थे, इसलिए उन्हें फौलादी शेर कहकर बुलाते थे।

लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि अवध पुलिस ने उनको गिरफ्तार करने के आदेश को ही मानने से इनकार कर दिया था। फिर अंग्रेज फौज ने आकर 19 फरवरी, 1857 को गिरफ्तार किया। उनकी बहादुरी की वजह से अंग्रेज उन्हें ‘फौलादी शेर’ कहते थे। पांच जून 1858 को अहमदुल्ला शाह शहीद हो गए थे।

 

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