BHU से है RSS का पुराना नाता, जानिए क्यों यहां कभी बंद हुई थी संघ की शाखा

वाराणसी। प्रणब मुखर्जी का RSS के कार्यक्रम में जाने को लेकर सियासी हलचल मची हुई है, लेकिन ये कोई पहली बार नहीं है कि कांग्रेस का कोई बड़ा नेता संघ को समझना चाहता है. जिस संघ पर गांधी की हत्या का आरोप और प्रतिबंध लगा, उसी संघ से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी प्रभावित थे. 1934 में संघ के वर्धा में हो रहे कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शरीक हुए और संघ को जातीय भेदभाव से ऊपर बताया था. लेकिन, हम बात कर रहे हैं कांग्रेस के दिग्गज नेता और राष्ट्रवाद के प्रतीक काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय की RSS से करीब होने की. इस कहानी के जरिए आप संघ और महामना के बीच के रिश्ते के बारे में बेहतर समझ सकते हैं.

यूपी में संघ की पहली शाखा BHU में खुली थी
‘संघ राष्ट्र के लिए काम कर रहा है’. ये कथन 8 अप्रैल 1938 को राम नवमी के दिन महामना मदन मोहन मालवीय ने BHU में  संघ के कार्यक्रम में दिया था. उस कार्यक्रम में महामना के साथ संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार और गोलवलकर जी भी एक ही मंच पर मौजूद थे. 1929 से ही डॉक्टर हेडगेवार का BHU में आना-जाना था. ये भी एक रोचक तथ्य ही है कि यूपी में सबसे पहली शाखा काशी के भोंसले घाट पर लगी थी. भईया जी दांणी तब काशी में प्रचारक थे. उनकी वजह से ही महामना और डॉक्टर हेडगेवार के बीच निकटता बढ़ी.

BHU में था संघ भवन
उस समय माधव सदाशिव गोलवलकर उर्फ गुरुजी BHU में अध्यापन का कार्य कर रहे थे. यहीं डॉक्टर हेडगेवार के नजदीक आए गुरुजी. महामना हेडगेवार जी के व्यक्तित्व और संघ के कार्यों से इतने प्रभावित हुए की लॉ कॉलेज के दो भवन उन्होंने संघ को अलॉट कर दिया. इसे संघ भवन कहा जाने लगा और ये संघ का कार्यालय हो गया. 1942 तक BHU में कई जगहों पर शाखाएं लगने लगी थीं.

राष्ट्रपिता की हत्या के बाद 1948 में RSS को बैन कर दिया गया था
1948 में राष्ट्रपिता की हत्या के बाद जब संघ पर प्रतिबंध लगा था, तब तत्कालीन कुलपति और महामना के पुत्र गोविंद मालवीय ने संघ भवन पर ताला लगवा दिया. डेढ़ साल बाद जब संघ निर्दोष साबित हुआ तब गोविंद जी ने ससम्मान संघ भवन RSS को लौटा दी. लेकिन, आपातकाल के दौरान संघ भवन श्रीमती गांधी के कोपभाजन का आखिरकार शिकार बन ही गया. तत्कालीन कुलपति और आगे चलकर देश के शिक्षामंत्री बने कालूलाल श्रीमाली ने श्रीमती इंदिरा गांधी को खुश करने के लिए रातों रात संघ भवन तुड़वाकर समतल करा दिया.

राष्ट्रवाद की वजह से थे संबंध
महामना और डॉक्टर हेडगेवार के बीच का संबंध दलीय निष्ठा से ऊपर और राष्ट्रवाद की वजह से था. दो बार जो कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहा हो और लीग-कांग्रेस समझौते का आधार जिसने तैयार किया हो, उस महामना ने संघ को राष्ट्र के लिए कार्य करने वाला सांस्कृतिक संगठन बताया था. आज भले ही RSS को सांप्रदायिक संस्था बताकर प्रणब मुखर्जी के वहां जाने पर आलोचना हो रही हो, लेकिन हकीकत ये है की संघ की कार्यशैली की तारीफ राष्ट्रपिता ने भी की थी और महामना ने भी.

 

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