BIG BREAKING-क्या मामा शिवराज का उपवास फिक्स था?

नई दिल्ली। 10 जून को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल के दशहरा मैदान में उपवास पर बैठे. भारीभरकम सरकारी तामझाम और इंतजाम मंच से एलान से लगा कि उपवास लंबा चलेगा. लेकिन जब अगले ही दिन 28 घंटे बाद उन्होंने अपना उपवास खत्म कर दिया तो सवाल उठने लगे. भले ही उन्होंने बहाना बनाया फायरिंग में मारे गए किसानों के परिवारों की अपील को. लेकिन ये बात हजम होती नहीं दिखी. ABP न्यूज भी तभी से भोपाल पहुंचे इन किसानों से लगातार बात करता रहा कि आखिर सच क्या है? जिन्होंने अपनों को खो दिया. क्या वो मंदसौर से साढ़े तीन सौ किलोमीटर दूर भोपाल अपने आप मुख्यमंत्री का उपवास तुड़वाने पहुंच गए?

एबीपी न्यूज़ के खुलासे पर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ”सीएम शिवराज सिंह चौहान नैतिकता खो चुके हैं. हमें पहले से ऐसी ही आशंका थी. अगर मध्य प्रदेश सरकार में थोड़ी सी भी नैतिकता बची है तो इस्तीफा दें. हम लगातार आंदोलन कर रहे हैं और इस मुद्दे को भी जनता के सामने रखेंगे. एबीपी न्यूज़ को खुलासे के लिए बधाई.”

ABP ऩ्यूज ने जब इन किसानों के गांव जाकर पूरी पड़ताल की तो कहानी कुछ और ही निकल कर आई. शनिवार यानी 10 जून की सुबह 11 बजे से शुरू हुआ शिवराज का उपवास 11 जून की दोपहर को ही खत्म हो गया. बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी ने जूस पिलाकर शिवराज का उपवास तोड़ा. उसी मंच से शिवराज ने ये एलान किया कि मंदसौर फायरिंग में मारे गए किसानों के परिवारवालों ने उनसे उपवास तोड़ने के लिए कहा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, ‘मैं अभिभूत हूं. कल जब मैंने वो दृश्य देखा, जिस परिवार के बच्चों की मृत्यु हई, वो परिवार वाले मेरे पास आए और उन्होंने द्रवित होकर कहा कि ठीक है चले गए हमारे बेटे तो इतना जरूर कर देना कि जो अपराधी हैं उनको सजा मिल जाए लेकिन तुम उपवास से उठ जाओ, तुम हमारे गांव आओ.’

किसान आंदोलन की आग में सुलग रहे मध्य प्रदेश में शिवराज का उपवास एक मास्टर स्ट्रोक की तरह था. 6 जून को मंदसौर में पुलिस ने फायरिंग की जिसमें 5 किसान मारे गए. किसानों की मौत शिवराज के गले का फंदा बन गई, ऐसे माहौल में पहले उपवास और फिर उपवास के मंच पर मृतक किसानों के परिवारवालों को बुलाकर शिवराज ने ये जताने की कोशिश की कि किसान उनके साथ हैं लेकिन क्या ये पूरा सच था ?

शिवराज का उपवास भोपाल में हुआ. जहां से मंदसौर करीब 350 किलोमीटर दूर है. 9 तारीख की शाम को शिवराज ने अपने उपवास का एलान किया था और 10 तारीख को मंदसौर से 4 मृतक किसानों के परिवार शिवराज के मंच पर पहुंच गए. आखिर ऐसा कैसे हुआ कि जिन किसानों की मौत शिवराज की पुलिस की गोली से हुई, उनके परिवार बस चंद घंटों में शिवराज का उपवास तुड़वाने मंदसौर से भोपाल पहुंच गए. सवाल है कि वो खुद गए या उन्हें एक सोची समझी योजना के तहत भोपाल लाया गया.

इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए एबीपी न्यूज संवाददाता जैनेंद्र कुमार मंदसौर पहुंचे. जैनेंद्र ने मंदसौर में उन परिवारों से बात की जिनके घर के लोग फायरिंग में मारे गए थे. फायरिंग में मारे गए पूनमचंद पाटीदार के परिवार से जैनेंद्र ने बातचीत में पूछा कि क्या वो वाकई शिवराज का उपवास तुड़वाने के लिए अपनी मर्जी से मंदसौर गए थे?

मृतक बबलू के रिश्तेदार ने कहा कि उन्होंने ऐसा बनाया कि ये परिवारजन आए हैं हमारा उपवास तुड़वाने के लिए, बाकी ऐसा कुछ हुआ नहीं. हमने तो बोला नहीं, हम क्यों बोलेंगे, तुम बैठे रहो, 10 महीने बैठे रहो, साल भर बैठो.

शिवराज के दावे की पोल खोलने वाले इस बयान को सुनने के बाद एबीपी न्यूज संवाददाता ने उन सभी परिवारों से बात की जो उपवास के दिन भोपाल गए थे. इन लोगों से बातचीत में जो सुनने को मिला वो चौंकाने वाला था.

एक मृतक के रिश्तेदार ने कहा कि राधेश्यामजी ने बताया था.. उनके पीए ने.. मतलब उन्होंने बोला कि तुम किसी बात पर चर्चा मत करना. पैसे या नौकरी की ऐसी कोई बात नहीं करना. सिर्फ ये कहना कि हम आपका उपवास तुड़वाने के लिए आए. रिश्तेदारों का यह बयान सुनकर आप भी ये सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि क्या शिवराज का उपवास फिक्स था?

सभार : एबीपी न्यूज़

 

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