BJP नेता को 10 करोड़ खिलाकर मुख्य सचिव की कुर्सी पर बने हैं राहुल भटनागर !

लखनऊ। अखिलेश के चहेते आइएएस अफसर राहुल भटनागर की मुख्य सचिव की कुर्सी  योगी राज में भी नहीं हिल सकी है। जबकि डीजीपी जावीद अहमद बहुत पहले ही हटा दिए गए। खास बात है कि कई घोटाले में नाम सामने आने के बाद भी राहुल भटनागर को बचाने की भी नई सरकार में कोशिश हो रही है। हर जांच में क्लीन चिट मिल रही है। गोमती रिवर फ्रंट की न्यायिक जांच रिपोर्ट इसकी नजीरहै।  इस पर बड़ा सवाल उठ रहा है। राहुल भटनागर के मुख्य सचिव पद पर बने रहने को लेकर सत्ता के गलियारे में तमाम बातें उछल रहीं हैं।

माना जा रहा है कि शुगर लॉबी ने सूबे के सबसे ताकतवर एक बाहरी नेता को 10 करोड़ रुपया दिया। शुगर लॉबी चाहती है कि राहुल भटनागर से शुगर लॉबी का साथ न छूटे।  दरअसल राहुल भटनागर चीनी मिल मालिकों को अरबों का लाभ सपा सरकार में पहुंचाते रहे हैं। जबकि गन्ना किसानों के बकाए भुगतान को लेकर राहुल पूरी तरह से उदासीन रहे। यही वजह है कि मुख्य सचिव बने रहने के बाद भी वह गन्ना  विभाग के प्रमुख सचिव का पद भी अपने पास हथियाए रखे हैं। यह महकमे में उनकी निजी रुचि दर्शाता है।  चुनाव के समय भाजपा ने मुख्य सचिव राहुल भटनागर के भ्रष्टाचार की शिकायतें कर हटाने की मांग की थी। मगर सरकार बनने के सौ दिन बाद भी कुर्सी सलामत होने पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि क्या मुख्य सचिव अब ईमानदार हो गए।

गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच में भी मुख्य सचिव  राहुल भटनागर को बचाने की एक कोशिश हो रही है। जिस न्यायिक रिपोर्ट के आधार पर गोमती नगर थाने में जो एफआईआर दर्ज हुई उसमें भी सिर्फ अभियंताओं को ही दोषी ठहराया गया है। असली घोटालेबाज अफसरों और नेताओं को बख्श दिया गया। इस जांच रिपोर्ट और उसके बाद हुई कार्रवाई पर आम आदमी पार्टी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि यह सपा और भाजपा का मिलाजुला खेल है। इस रिपोर्ट से साफ है कि हजारों करोड़ के घोटाले के असली गुनाहगारों को प्रभावशाली पद पर बैठे हुए लोग बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

लगभग 74 पेज की रिपोर्ट में जांच कर रहे न्यायमूर्ति ने कहीं भी यह सवाल खड़ा नहीं किया कि प्रमुख सचिव वित्त रहते राहुल भटनागर ने पहले ही चरण में योजना को वित्तीय अनुमोदन किया। यहीं नहीं जब दूसरे चरण में योजना की धनराशि दोगुने से अधिक कर दी तब भी सूबे के प्रमुख सचिव राहुल भटनागर पर न्यायिक जांच में सवाल नहीं उठाए गए। यहीं नहीं कई महीनों तक परियोजना की उच्च स्तरीय अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष के रूप में जब वह चीफ सेके्रटरी थे मीटिंग की गई और परियोजना का निरीक्षण किया गया, मगर पूरी जांच रिपोर्ट में इस बिन्दु पर कोई सवाल नहीं उठाए गए। जाहिर है यह सब इसलिए हुआ क्योंकि राहुल भटनागर जिन पर वित्तीय संसाधनों को संभालने की जिम्मेदारी थी वह इस धांधली में शामिल थे, वे सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे हैं, तो कोई भी जांच निष्पक्ष हो पाएगी इसकी उम्मीद करना ही बेमानी है।

कहा जा रहा है कि पीएम मोदी चुनाव के वक्त यूपी में भ्रष्टाचारमुक्त शासन देने का वादा कर रहे थे। जबकि उनके ही नेता बड़ा खेल कर रहे हैं। ऐसे में मोदी  को भी अपने सूत्रों से पता लगाना चाहिए कि वह कौन सा भाजपा नेता है जो 10 करोड़ खाकर मुख्य सचिव को अभयदान दे रका है। नहीं तो योगी सरकार का दामन भी दागदार हो उठेगा।

उधऱ मुख्य सचिव के करीबी सूत्रों का कहना है कि ऐसी खबरें निराधार हैं। योग्यता और सीनियारिटी के चलते ही नई योगी सरकार भी राहुल भटनाकर की मुख्य सचिव पद पर सेवाएं ले रही है।

 

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