सहकारी चीनी मिल फेडरेशन में चल रहा गोलमाल

उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल फेडरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) प्रदेश सरकार के बेदाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ईमानदार छवि के लिये चर्चित एसीएस गन्ना संजय भुसरेड्डी की छवि धूमिल करने में कोई कसर बाकी नही रख रहे है।

उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल (sugar mill) फेडरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) प्रदेश सरकार के बेदाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और ईमानदार छवि के लिये चर्चित एसीएस गन्ना संजय भुसरेड्डी की छवि धूमिल करने में कोई कसर बाकी नही रख रहे है। संघ में कर्मचारी सेवा नियमावली का कोई मायने नही रह गया है। नियमों को ताक पर रखकर संघ के एमडी ने भ्रष्टाचार में लिप्त एक सेवानिवृत अधिकारी को अस्थायी नियुक्ति देकर कमाऊं पदों का प्रभार सौंप दिया। वहीं 3 साल पहले रिटायर हुए अधिकारी को बगैर किसी अनुबंध के निजी सचिव बना रखा है।

हकीकत ये है कि कमाकर देने वाले रिटायर अधिकारियों को एमडी रिटायर करना ही नहीं चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक सहकारी चीनी मिल संघ के पूर्व प्रबंध निदेशक एसके सिंह अपने कार्यकाल के दौरान जीएस तड़ागी को बतौर निजी सचिव लाए थे। तड़ागी को एक साल के लिए 50 हज़ार रुपये प्रतिमाह के अनुबंध पर लाया गया था। तत्कालीन प्रबंध निदेशक एसके सिंह मार्च 2018 में सेवानिवृत्त हो गए। एक साल के लिए लाये गए तड़ागी का अनुबंध 2018 में ही समाप्त हो गया। अनुबंध समाप्त होने के बाद भी तड़ागी लगातार काम कर रहे है।

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इन्हें फेडरेशन बतौर पारिश्रमिक पचास हज़ार रुपये प्रतिमाह दिया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सहकारी चीनी मोरना में तैनात पूर्व प्रधान प्रबंधक हर्ष वर्धन कौशिक ने मिल में तैनात रहने के दौरान संघ को लाखों रुपये का चूना लगाया। इस सच का खुलासा मुजफ्फरनगर डीएम की कराई गई जांच रिपोर्ट से हुआ। डीएम ने कौशिक के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने के साथ गबन की गई धनराशि की रिकवरी करने का आदेश दिया।

इस आदेश के बाद भी चीनी मिल संघ के प्रबन्ध निदेशक ने दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय 28 फरवरी 2021 को रिटायर हुए एचबी कौशिक को अस्थायी नियुक्ति देकर चीनी विक्रय, शीरा बिक्री, कार्मिक और प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण कमाऊ पदों के प्रभार का तोहफा देकर विभागीय अफसरों में खलबली मचा दी। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि संघ में ईमानदारी से काम करने वाले अफसरों को किनारे बैठा रखा गया है। वही कमा कर देने वालो को उपकृत किया जा रहा है। उधर इस संबंध में जब एमडी विमल कुमार दुबे ने कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन इसके बाद भी उनका फ़ोन नही उठा।

 

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